रायपुर: छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को अलग-अलग करने की तैयारी में है. छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग जल्द बिछड़ जाएंगे. इन विभागों में बटवारा होने की खबर आ रही है. सूत्रों की मानें तो संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को अलग करने को लेकर मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिल गई है. अब इसके बाद संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को अलग-अलग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसकी घोषणा कर सकते हैं. इन तमाम मुद्दों को लेकर ETV भारत की टीम ने इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र से बातचीत की.
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छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को अलग-अलग करने की तैयारी जोरो पर चल रही है. हालांकि इसे लेकर अब तक विभाग की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया है. लेकिन हाल ही के दिनों में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में जिस तरह से उनके अलग होने को लेकर चहल कदमी चल रही है. उससे साफ जाहिर है कि यह दोनों विभाग जल्द ही बिछड़ जाएंगे.
संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अलग होने पर पड़ेगा क्या प्रभाव
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि यदि संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग अलग-अलग होते हैं, तो इसका काम पर क्या प्रभाव पड़ेगा. क्या संस्कृति और पुरातत्व के विभाग के काम में गुणवत्ता सहित बेहतर काम हो सकेगा या फिर इससे दोनों का काम प्रभावित होगा. इस मामले को लेकर ETV भारत ने इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र से बात की. उन्होंने बताया कि संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग से अलग होने से स्वाभाविक तौर से लाभ मिलेगा. पुरातत्व विभाग स्वतंत्र रूप से अपने काम को कर सकेगा. संस्कृति विभाग को भी प्रदेश की संस्कृति को आगे बढ़ाने का बेहतर अवसर मिलेगा.
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20 साल से एक छत के नीचे हो रहा दोनों विभागों का संचालन
रमेंद्रनाथ ने कहा कि दूसरे राज्यो में पुरातत्व संस्कृति एवं अभिलेख विभाग अलग-अलग बने हैं. छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल से ये विभाग एक ही बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं. पिछले सालों में देखा जाए तो पुरातत्व विभाग अपेक्षाकृत काम नहीं किया है. अगर बात संस्कृति विभाग की जाए तो वहां ढोलक मजीरा के अलावा भी बहुत कुछ है.
उत्खनन से इतिहास के कई नए पन्ने खुलेंगे
रमेंद्रनाथ ने कहा कि राज्य में बहुत कुछ करने को है. उस दृष्टि कोण से यदि पुरातत्व विभाग अलग होता है, तो निश्चित लाभ मिलेगा. छत्तीसगढ़ में इतने एतिहासिक स्थान हैं. उसका उत्खनन किया जाए तो नई-नई जानकारियां सामने आएगी. इतिहास के कई नए पन्ने खुलेंगे. रमेंद्रनाथ ने कहा कि इसी प्रकार से संस्कृति दृष्टिकोण से अपना विकास करेंगे खासकर स्थानीय प्रतिभाओं को कलाकारों को आगे बढ़ाएं तो बेहतर होगा.
पुरातत्व संग्रहालय ओर परिषद का 28 जिलों में हो गठन
रमेंद्रनाथ ने बताया कि उन्होंने शासन को सुझाव दिया था कि 28 जिलों में 28 पुरातत्व संग्रहालय खोले जाएं. मध्य प्रदेश पुरातत्व परिषद की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में परिषद गठन किया जाए. हर जिला में जिला पुरातत्व संघ का गठन किया जाए. इससे बेरोजगार युवकों को नौकरी मिलेगी. जिला बार संग्रहालय बनेगा. वहां की कला संस्कृति ओर पुरातत्त्व की चीजें सामने आएगी.
संस्कृति एवं पुरातत्व के जानकारों की हो नियुक्ति
रमेंद्रनाथ ने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि इन विभागों में जब भी नियुक्ति की जाए. इस बात का ध्यान रखा जाए कि वह व्यक्ति इसका जानकार हो. इसमें रुचि रखता हो. तभी काम बेहतर हो सकेगा. यदि विभाग द्वारा आईएएस आईपीएस और आईएफएस को यह काम दिया जाता है. तो उनके पास काम ज्यादा होने की वजह से वह इस पर ध्यान नहीं दे पाते हैं.
रजवाड़ों की धरोवर आएगी सामने
रमेंद्रनाथ ने कहा कि संस्कृति एवं पुरातत्व अलग होगा तो न केवल राज्य को लाभ मिलेगा. दूसरों को लाभ मिलेगा और सबसे बड़ी बात है. जो धरोहर रजवाड़ा जमीन में छिपे पड़े हैं. वह सामने आएगा. यहां के नव युवकों को काम करने का अवसर मिलेगा. 20 साल बीत गया उसे भूल जाएं, लेकिन अब आगे क्या बेहतर कर सकते हैं. उसे लेकर चलेंगे तो निश्चित तौर पर बेहतर होगा.
क्या सच में अलग हो जाएंगे ये दोनों विभाग
बता दें कि राज्य बनने के बाद से ही संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग एक साथ एक छत के नीचे काम कर रहा है. जो अब बिछड़ सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें अलग अलग करने तैयारी शुरू कर दी गई है. जिसे मुख्यमंत्री की ओर से भी हरी झंडी मिलने की बात सामने आ रही है. अब दोनों विभागों के अलग होने से काम बेहतर होता है या फिर प्रभावित, यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा.