International Music Day 2023: रायपुर का इंडियन रोलर म्यूजिक बैंड की परफॉर्मेंस क्यों है खास, जानिए ! - अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस
International Music Day 2023 हर साल की तरह आज 1 अक्टूबर को पूरी दुनिया विश्व संगीत दिवस मना रही है. इस खास मौके पर ईटीवी भारत की टीम आपको रायपुर के रायपुर के एक ऐसे म्यूजिक बैंड से रूबरू करा रही है, जो छत्तीसगढ़ की समसामयिक मुद्दे और सामाजिक कुरीतियों को अपने गीतों के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत करते हैं. इस बैंड का नाम है 'इंडियन रोलर'. आइए जानते हैं क्यों खास है 'इंडियन रोलर' म्यूजिक बैंड.
रायपुर:दिलों को दिलों से जोड़ने वाला, भावनाओं को शब्दों का रूप देकर संगीत के रूप में उभरने वाला, भेद भाव से परे एक ही है संगीत. इसी संगीत को सेलिब्रेट करने के लिए पूरी दुनिया 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस मनाती है. हर साल की तरह आज वर्ल्ड म्यूजिक डे पूरी दुनिया सेलीब्रेट कर रही है. इस खास दिन पर हम आपको आज राजधानी रायपुर के इंडियन रोलर म्यूजिक बैंड से रूबरू कराने जा रहे हैं.
इंडियन रोलर म्यूजिक बैंड क्यों है खास: इस बैंड की खासियत यह है कि शुरुआती दिनों में बैंड के किसी भी सदस्य ने संगीत की दुनिया में ना तो कोई ट्रेनिंग ली थी, ना ही कोई डिग्री ली थी. हॉबी के तौर पर इन्होंने अपना बैंड बनाया और आगे बढ़ते गए. धीरे-धीरे इन्होंने अपने आप को निखारने के लिए संगीत की डिग्री ली और रियाज करना शुरू किया. आज यह छत्तीसगढ़ के टॉप बैंड में से एक हैं. युवाओं में इनका क्रेज भी देखने को मिलता है.
2019 में हुई थी इसकी शुरुआत: 'इंडियन रोलर' म्यूजिक बैंड की शुरुआत साल 2019 में की गई थी. आधिकारिक तौर पर 2 साल पूहले ही इस बैंड ने अपना नाम इंडियन रोलर रखा. इस बैंड में कुल पांच सदस्य हैं, जिसमें ऋषि वालिया बैंड के प्रमुख हैं. ऋषि शायरियों को गाने का रूप देते हैं. आयुष मणी लीड सिंगर हैं. सुमित जॉनसन बेस गिटारिस्ट हैं. आशीष सिन्हा ड्रमर हैं और संदीप बसंत लीड गिटारिस्ट है.
ह्यूमन ट्रैफिकिंग को बनाया अपनी पहला मुद्दा:इंडियन रोलर म्यूजिक बैंड ने सबसे पहले समसामयिक मुद्दा ह्यूमन ट्रैफिकिंग को चुना. ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जशपुर के हर गांव में 2019 में अपना पहला परफॉर्मेंस दिया. यह सिलसिला चलता गया और छत्तीसगढ़ के कई गांव इंडियन रोलर ने अपनी परफॉर्मेंस दी. इंडियन रोलर सिर्फ ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ ही नहीं, नारियों के साथ हो रहे अत्याचार, नारियों के साथ छेड़छाड़, महिलाओं के साथ हो रहे अपराध, बुजुर्गों के साथ हो रहे अपराध जैसे कई अन्य सामाजिक मुद्दों को लेकर लिरिक्स बनाते हैं. जिसे म्यूजिक का रूप देकर उसे लोगों के सामने रखतो हैं. इंडियन रोलर टीम ने छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान और उड़ीसा में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है.
राजनीतिक पार्टी का नहीं करते प्रमोशन: खास बात यह है कि यह बैंड किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए कोई प्रमोशनल वीडियो नहीं बनाते. ना ही किसी तरह का प्रमोशनल परफॉर्मेंस देते हैं. अपनी परफॉर्मेंस से होने वाली इनकम का आधा हिस्सा यह जरूरतमंद लोगों को भी दान करते हैं. इस टीम के कई मेंबर ऐसे भी है जिन्होंने अपनी नौकरी, अपना बिजनेस छोड़कर इस बैंड का हिस्सा बने. इस टीम में एक इंटीरियर डिजाइनर है, जिसने अपना काम छोड़कर म्यूजिक को ही अपना काम बना लिया. ऋषि वालिया, जो की एक शायर हैं, वह पहले पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते थे. उन्होंने पत्रकारिता का क्षेत्र छोड़कर म्यूजिक में अपना करियर बनाने का फैसला किया. टीम के लोगों का मानना है कि कला के जरिए जितना हो सके धीरे ही सही वह लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं.
कला किसे पसंद नहीं है. दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा, जिसे कला से प्रेम नहीं होगा. खासकर संगीत से. संगीत लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है. तनावपूर्ण जिंदगी से तनाव को काम करता है. हर व्यक्ति के अंदर छिपे कल को उभारने के साथ रचनात्मकता को बढ़ावा देता है. शायद यही वजह है कि साल 1949 में यूनेस्को ने 1 अक्टूबर को इंटरनेशनल म्यूजिक डे घोषित किया था.