रायपुर : कांग्रेस की सबसे बड़ी दुश्मन, खुद कांग्रेस ही है! यह बात सुनने में आपको अटपटी जरूर लग रही होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ में इन दिनों कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है. जिस तरह सत्ता पर काबिज होने के बाद से लगातार कांग्रेस के अंदर विवाद, लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौज और आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं उससे फिलहाल ऐसा ही लग रहा है कि कांग्रेस को घेरने के लिए दूसरे राजनीतिक दल (Other Political Parties) की जरूरत ही नहीं है. यह काम खुद कांग्रेस के कार्यकर्ता ही कर ले रहे हैं. इसका सबसे ताजा उदाहरण जशपुर की घटना है.
प्रचंड बहुमत से विकास के प्रति आशान्वित थे लोग, पर अब स्थिति बिल्कुल उलट
करीब 15 वर्षों के वनवास के बाद जब कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई तो लोगों को लगा कि बेतहाशा बहुमत हासिल करने के बाद अब कांग्रेस सरकार प्रदेश को एक अलग ऊंचाई पर ले जाएगी. पार्टी एकजुट होकर प्रदेश के विकास के लिए योजना बनाएगी. किसान, गरीब, मजदूर, युवा और महिला सभी वर्गों के लिए काम करेगी. यहां तक कि इतना बहुमत हासिल करने के बाद सरकार को घेरने की हिम्मत शायद ही कोई दल कर सकता था. लेकिन आज परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है.
कांग्रेस को सत्ता में काबिज होने के करीब 3 साल होने जा रहे हैं. इन 3 सालों में शायह ही ऐसा समय रहा हो जब पार्टी अंतर्कलह से जूझती नजर न आई. कभी ढाई-ढाई साल का फार्मूला तो कभी कप्तान बदलाव की चर्चा. कभी एक विधायक का दूसरे मंत्री पर हत्या करा देने का आरोप तो कभी अन्य कोई मामले. ऐसे कई मौके आए जब पार्टी अपने आप में ही गिरती नजर आई. उसे घेरने के लिए अन्य राजनीतिक दलों को मेहनत ही नहीं करनी पड़ी.
बीते रविवार को जशपुर में कार्यकर्ता सम्मेलने में मंच पर ही धक्का-मुक्की
इस बीच कुछ दिनों से कांग्रेस के अंदर छाई शांति तब भंग हो गई, जब बीते रविवार को जशपुर जिले में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक नेता के साथ धक्का-मुक्की हुई. मंच पर ही उनका माइक छीन लिया गया. जिस समय यह घटना घटी, उस दौरान मंच पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिव सप्तगिरि शंकर भी मौजूद थे. इस घटना के बाद एक बार फिर पार्टी के अंदर चल रहा अंतर्कलह खुलकर सामने आ गया है.
सीएम ने घटना को बताया दुर्भाग्यजनक