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Puskar snan 2022 पुष्कर स्नान का महत्व और धार्मिक मान्यता

Puskar snan 2022 भारत में वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि हर खास दिन पर लोग किसी न किसी पवित्र स्थान पर स्नान करते ही हैं. यहां तक कि दुनिया का सबसे बड़ा मेला कुंभ भी स्नान पर ही आधारित है. जहां मकर संक्रांति के दिन गंगा जी में स्नान करने दुनिया भर से करोड़ों भक्त पहुंचते हैं. राजस्थान में स्थित पुष्कर कार्तिक एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक स्नान करने का विशेष महत्व है. Importance and religious beliefs of Pushkar Snan

Puskar snan 2022
पुष्कर स्नान का महत्व और धार्मिक मान्यता

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Published : Nov 7, 2022, 3:44 AM IST

रायपुर :राजस्थान में एक छोटा सा कस्बा है पुष्कर यहां दुनिया का इकलौता ब्रह्मा जी का मंदिर पुष्कर स्थापित है. इस मंदिर की गिनती भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में होती है.अरावली की पहाड़ियों से घिरा पुष्कर बेहद खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है. पुराणों में इस मंदिर के निर्माण से जुड़ी कई कथाएं मौजूद हैं, लेकिन पद्म पुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने धरती पर यज्ञ करना चाहा लेकिन उस वक्त पूरी धरती वज्रनाभ नामक राक्षस के आतंक से ग्रसित थी.Puskar snan 2022

ब्रह्मा ने किया राक्षस का वध :तब ब्रह्मा जी ने अपने प्रिय पुष्प कमल के एक वार से ही इस असुर का वध कर दिया था. जब ब्रह्मा जी द्वारा चलाया गया कमल का पुष्प उस राक्षस का वध कर धरती पर तीन जगह गिरा तो इन तीनों ही जगहों से पृथ्वी का सीना चीर कर जल की धारा बहने लगी और वहीं तीन झील बन गई. जिसमें पहले झील का नाम जेष्ठ पुष्कर, दूसरे झील का नाम मध्य पुष्कर और तीसरे झील का नाम कनिष्ठ पुष्कर रखा गया. इन्हीं में से जेष्ठ पुष्कर में ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था जिसे एक तीर्थ स्थल होने का गौरव प्राप्त हुआ. Importance and religious beliefs of Pushkar Snan

क्यों है पुष्कर की मान्यता : ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने इस सरोवर में कार्तिक एकादशी से पूर्णिमा तक यज्ञ किया था इसीलिए यहां हर साल 5 दिनों तक एक धार्मिक मेला का आयोजन होता है जिसमें स्वर्ग से सभी देवी-देवता उतर कर शामिल होते हैं. माना जाता है कि इन 5 दिनों यानी कार्तिक एकादशी से पूर्णिमा तक इस झील में स्नान करने वाले भक्तों को विशेष फल मिलता है उन्हें साल भर का पुण्य एक साथ ही इस झील में डुबकी लगाने मात्र से ही मिल जाता है.

पुष्कर में ही ब्रह्मा का इकलौता मंदिर :इस सृष्टि के निर्माता ब्रह्म देव की पूजा इस पृथ्वी पर केवल एक ही जगह हो यह अपने आप में ही एक अद्भुत सवाल है. दरअसल, एक बार ब्रह्मा जी पृथ्वी पर यज्ञ करना चाहते थे और उन्होंने अपनी पत्नी सरस्वती जी को अपने साथ यज्ञ में बैठने के लिए कहा, सरस्वती जी ने ब्रह्मा जी से कुछ देर इंतजार करने को कहा. ब्रह्मा जी सरस्वती जी का इंतजार कर रहे थे लेकिन जब कुछ वक्त तक सरस्वती जी पृथ्वी पर नहीं पहुंची तब ब्रह्मा जी ने वहीं एक ग्वालन से यज्ञ के लिए शादी कर ली. जब सरस्वती जी यज्ञ में बैठने पहुंची और अपनी जगह किसी और को देखा तो वह क्रोधित हो गईं और ब्रह्मा जी को यह श्राप दिया कि आज के बाद इस पृथ्वी पर तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी.हालांकि, जब सभी देवी देवताओं ने उनसे विनती की और उनका मन शांत हुआ तब उन्होंने कहा कि हे ब्रह्मदेव आपकी पूजा इस समग्र संसार में केवल एक ही जगह होगी और वह है पुष्कर.

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