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national deworming day 2023 :राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का महत्व और इतिहास

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Published : Jan 19, 2023, 6:51 PM IST

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस देश में हर बच्चे को कृमि मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की एक पहल है. यह छोटी अवधि के दौरान बड़ी संख्या में बच्चों तक पहुंचने वाले बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है.

national deworming day 2023
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का महत्व और इतिहास

रायपुर / हैदराबाद : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से एक से उन्नीस वर्ष की उम्र के बीच के विद्यालय जाने से पहले और विद्यालयी-आयु के बच्चों को कीड़े समाप्त करने की दवा देना है.स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को सब स्तरों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) के कार्यान्वयन से संबंधित दिशा-निर्देश देने के लिए एक नोडल एजेंसी है. यह कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के तहत स्कूल, शिक्षा और साक्षरता विभाग के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.

कब मनाया जाता है राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस :एनडीडी (प्रथम चरण) प्रतिवर्ष 10 फरवरी को आयोजित किया जाता है. जिन राज्यों में एसटीएच संक्रमण बीस प्रतिशत से अधिक है, उन राज्यों में कृमि मुक्ति के द्विवार्षिक चरण के आयोजन की सिफारिश की जाती है. जिन राज्यों में एसटीएच संक्रमण बीस प्रतिशत से कम है उन राज्यों में कृमि मुक्ति के वार्षिक चरण आयोजन की सिफारिश की जाती है. केवल दो राज्यों ‘राजस्थान और मध्य प्रदेश’ में एसटीएच का संक्रमण बीस प्रतिशत से कम है. इसलिए इन राज्यों में कृमि मुक्ति के वार्षिक चरण की सिफारिश की गयी है. अन्य सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में कृमि मुक्ति के द्विवार्षिक चरण का आयोजन किया गया है.

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कितने बच्चे हैं संक्रमित : विश्वभर में 836 मिलियन से अधिक बच्चों को परजीवी कृमि संक्रमण का जोखिम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में एक से चौदह वर्ष की आयु वर्ग के 241 मिलियन बच्चे परजीवी आंत्र कृमि के जोखिम से पीड़ित है, जिसे मृदा-संचारित कृमि संक्रमण या एचटीएच के नाम से भी जाना जाता है.हेल्मिंथ (कृमि/कीड़े), जो कि मल से दूषित मिट्टी के माध्यम से फैलते हैं, उन्हें मृदा-संचारित कृमि (आंत्र परजीवी कीड़े) कहा जाता है. गोल कृमि (असकरियासिस लंबरिकॉइड-), वीप वार्म (ट्राच्यूरिस ट्राच्यूरिया), अंकुश कृमि (नेकटर अमेरिकानस और एन्क्लोस्टोम डुओडिनेल) कीड़े हैं, जो कि मनुष्य को संक्रमित करते हैं.

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