रायपुर:एनआईटी रायपुर ( NIT Raipur ) में ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस (Humanity and Social Science) नाम का एक कोर्स संचालित किया जाता है. इस कोर्स में 6 सब्जेक्ट होते हैं. स्टूडेंट को अलग-अलग सेमेस्टर में पास करना होता है. इस कोर्स के माध्यम से छात्र-छात्राओं की ग्रूमिंग की जाती है. साथ ही उनके कम्युनिकेशन स्किल्स (Communication Skills) को बढ़ाया जाता है ताकि अपने नॉलेज को वे समाज में और बेहतर तरीके से अप्लाई कर सकें.
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एनआईटी रायपुर के ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर अनूप तिवारी ने बताया कि ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस डिपार्टमेंट में कुल 6 फैकेल्टी हैं जो कम्युनिकेशन स्किल्स एंड मैनेजमेंट पढ़ाते हैं और 4 फैकल्टीज हमारे योगा में है. ये पढ़ाने का उद्देश्य यह है कि जो हमारे टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट हैं, वह समाज को समझ पाएं. उनकी कम्युनिकेशन स्किल डेवलप हो पाए. साथ ही वे एक बेहतर हेल्थी लाइफस्टाइल जी पाएं.
ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस डिपार्टमेंट कोर्स में 6 सब्जेक्ट
वैल्यू एजुकेशन :- वैल्यू एजुकेशन हम बच्चों को इसीलिए पढ़ाते हैं ताकि उनको समाज के वैल्यू के बारे में पता चले. जो भी वह इन्वेंट कर रहे हैं, वह हमारी वैल्यू को सपोर्ट करता हो.
योगा, हेल्थ एंड हाइजीन क्लासेस :-बच्चों को अपने हेल्थ के प्रति जागरूक और हेल्दी रखने के लिए हम लगातार बच्चों के योगा क्लासेस भी होती हैं.
मैनेजमेंट स्किल्स:- यह सब्जेक्ट हम इसीलिए बच्चों को पढ़ाते हैं ताकि जब बच्चे इंडस्ट्री में जाए तो उन्हें बेसिक मैनेजमेंट स्किल्स की नॉलेज रहे, जिससे वह टीम लीड आसानी से कर सकें.
कम्युनिकेशन स्किल्स:- कम्युनिकेशन स्किल्स बहुत जरूरी होता है. स्टूडेंट इंडस्ट्री में जाते हैं तो उन्हें टीम लीड करना रहता है. नए-नए लोगों से मिलना रहता है. उनको अपना प्रोजेक्ट समझाना रहता है. ऐसे में कम्युनिकेशन स्किल्स होना उनमें बहुत जरूरी है ताकि वह अपनी बात दूसरों तक आसानी से पहुंचा पाए.
इनोवेशन:-इनोवेशन बच्चों को इसलिए पढ़ाते हैं क्योंकि इंडस्ट्री में जाने के बाद हमेशा उन्हें नए-नए रिसर्च और नई-नई टेक्नोलॉजी के साथ काम करना पड़ता है. ऐसे में इनोवेशन के बारे में उन्हें नॉलेज होने पर आगे उन्हें नए प्रोजेक्ट पर काम करने में आसानी होती है.
एंटरप्रेन्योरशिप:- एंटरप्रेन्योरशिप इसीलिए बच्चों को पढ़ाते हैं ताकि जो बच्चे अपने समाज के लिए कोई नई इन्वेंशन या नई टेक्नोलॉजी को इन्वेंट करते हैं तो समाज के बीच वह समाज के लिए कितना उपयोगी होगा. यह सोचकर वह उस डिवाइस को इन्वेंट करें.
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शिक्षाविद जवाहर सूरीसेट्टी ने बताया कि आज से 10-12 साल पहले एक कांसेप्ट चलता था, जिसका नाम स्टेम (STEM) साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग मैथमैटिक्स था. यह अमेरिका से लेकर आए थे भारत में. स्टार्टअप समय भी टेक्नोलॉजी अच्छा रहता है, लेकिन उसका समाज में उपयोग क्या होता है यह हम बता नहीं पाते. टेक्नोलॉजी और मेडिसिन का उपयोग जब तक हमको समझ में नहीं आएगा कि समाज में कैसे करेंगे, तब तक उसका कोई मतलब नहीं है. इसीलिए ह्यूमैनिटी को विषय की तरह प्रोफेशनल कोर्सेस में एप्लीकेशन टू सोसाइटी को कैसे करें यह दिखाने के लिए लिया गया है.
ह्यूमैनिटी कोर्स में दो तीन चीजें होती हैं. एक सामाजिक ज्ञान होता है. जिसमें समाज को हम कैसे अपनी तकनीक का उपयोग करके उसको बेहतर बना सकते हैं, ये होता है. दूसरी मानसिकता और साइकोलॉजी की बात होती है कि जिस समाज में हम रहते हैं उसका मानसिक विकास और बौद्धिक विकास जिस तरह से होगा उसी हिसाब से आगे वह प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा या मेडिसिन का उपयोग होगा. इस कोर्स में इकोनॉमिक्स भी होता है. इकोनॉमिक्स के ज्ञान को समाज पर किस तरह अप्लाई करें. उसका क्या खर्चा होगा और उस खर्चे का क्या उपयोग होगा ये उसमें पढ़ाया जाता है.