रायपुर:कोरोना का असर हर वर्ग पर पड़ा है. चाहे वह अमीर हो या गरीब हो, एक मजदूर से लेकर उद्योगपति को भी कोरोना के चलते नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं एक ऐसा वर्ग भी है, जिसके बिना हमारे घर के सभी काम रुक जाते हैं. जिसके नहीं आने से सबकुछ अस्तव्यस्त हो जाता है. हम बात कर रहे हैं हाउस मेड यानी घरेलू सहायिकाओं की. वे हमारे घरों में बर्तन, झाड़ू-पोंछा, साफ-सफाई, कपड़ा धुलाई और खाना बनाने जैसे अनेकों काम करती हैं. वो एक तरह से घर की लाइफलाइन होती है. पूरे घर का काम उसके आने पर निर्भर करता है. अगर कभी हाउस मेड न आए, तो गृहिणियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं.
लॉकडाउन के दौरान घरों में काम करने वाली महिलाओं का आना कई लोगों ने प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है. इसके साथ ही मेड वापस काम पर लौट आई हैं और अपना मोर्चा संभाल लिया है.
सतर्क और सावधान होकर घरों में काम कर रहीं मेड
कोरोना काल में अब धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होने के बाद एक बार फिर घरों में मेड ने अपना काम शुरू कर दिया है. जहां लॉकडाउन और कोरोना के कारण बने हालात के कारण उनकी आजीविका पर असर पड़ा था, वहीं अब सतर्क और सावधान होकर हाउस मेड्स अपने कामों को पूरे लगन के साथ कर रही हैं. वे मास्क पहनकर घरों में काम करने के लिए आ रही हैं और साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रख रही हैं.
लॉकडाउन में घर पर बैठना किसी बुरे सपने से कम नहीं था
लॉकडाउन के दौरान कई घरों में काम करने वाली मेड ने बताया कि कोरोना संक्रमण चलते कई घर वालों ने उन्हें काम पर आने से मना कर दिया था. जिसके चलते उन्हें कॉलोनी और घरों में प्रवेश पर प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस दौरान उन्हें अपना घर चलाने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन कुछ लोगों ने मानवता दिखाते हुए उन्हें पूरी तन्ख्वाह दी.
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