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holi festival 2023 : साल 2023 में होली कब है

भारत देश में पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक आपको अलग अलग समुदाय के लोग मिल जाएंगे.हर किसी की संस्कृति रहन सहन और पहनावे में फर्क देखने को मिल जाएगा.लेकिन जब बात त्यौहारों की हो तो पूरे भारत में त्यौहार मनाने का तरीका एक जैसा ही रहता है. ऐसा ही एक त्यौहार होली है.जो पूरे भारतवर्ष में काफी उत्साह से मनाया जाता है. साल 2023 में भी होली का त्यौहार काफी उत्साह से मनाया जाएगा.तो आईए जानते हैं आने वाले साल में ये त्यौहार कब आ रहा है.Holi festival and auspicious time in year 2023

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Published : Dec 10, 2022, 7:22 PM IST

साल 2023 में होली कब है
साल 2023 में होली कब है

Holi festival 2023 : हिंदू धर्म में होली का बहुत महत्व होता है. होली बच्चों को तो बहुत होती है. होली में रंगों के अलावा अलग-अलग प्रकार के पकवान बनते हैं. जैसे गुझिया, इमरती, मावा पेड़े, बेसन की बर्फी, बेसन के लड्डू, बालूशाही, केसर मलाई के लड्डू,ठंडाई. हिंदू पंचाग के अनुसार होली हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा (Fagun Month Purnima 2023) तिथि को मनाई जाती है. साल 2023 में रंगों का त्योहार होली (Holi 2023) 8 मार्च के दिन पड़ रहा है. होलिका दहन 7 मार्च (Holika Dahan date and time) को होगा.

होली का शुभ मुहूर्त

  • फाल्गुन माह पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 6 मार्च 2023 को 4 बजकर 17 मिनट से
  • फाल्गुन माह पूर्णिमा तिथि का समापन: 7 मार्च 06 बजकर 09 मिनट पर
  • होलिका दहन: 7 मार्च 2023 की शाम को 6 बजकर 24 मिनट से लेकर 8 बजकर 51 मिनट तक

भारत के कई राज्यों में होती है छुट्टी : भारत में होली एक महत्वपूर्ण त्यौहार है.ज्यादातर राज्य अपने राज्य वासियों को सार्वजनिक अवकाश रंग फेंकने वाले दिन मार्च 8 2023 को देंगे.केवल 7 राज्यों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है. कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, मणिपुर , पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल. इन राज्यों में होली के लिए सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है,क्योंकि त्यौहार या तो अलग से मनाया जाता है या इन जगहों पर बिल्कुल भी नहीं मनाया जाता है.Holi festival and auspicious time in year 2023

क्या है होली से जुड़ी पौराणिक कथा :पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था. जो बहुत घमंडी था. ऐसा कहा जाता है की वह खुद के ईश्वर होने का दावा भी करता था.हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में ईश्वर के नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी और खुद को ईश्वर मानने लगा था.लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था. हिरण्य कश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला हुआ था. एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए. लेकिन आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया. तब से ही ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होलिका दहन किया जाने लगा. अधर्म पर धर्म की, नास्तिक पर आस्तिक की जीत के रूप में भी देखा जाता है.Mythology related to Holi

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