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जानें कब से लग रहे हैं होलाष्टक, इस दौरान रुक जाएंगे सभी मांगलिक कार्य - होलाष्टक

इस साल होलाष्टक 21 मार्च से लेकर 28 मार्च तक रहेगा. 28 मार्च की रात्रि में होलिका दहन किया जाएगा. होलाष्टक को लेकर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा ने बताया कि इस कालखंड में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद पर अत्याचार करने के साथ उन्हें प्रताड़ित किया था. इस कारण कोई भी शुभ कार्य इस अवधि के बीच नहीं किया जाता है.

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जानें कब से लग रहे हैं होलाष्टक

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Published : Mar 18, 2021, 6:31 PM IST

रायपुरःहोलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है. जिसका मतलब होता है होली के आठ दिन. हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, जिसके बाद अगले दिन सुबह को रंग वाली होली खेली जाती है. इस बार होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा. इसके आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाते हैं. इस साल 22 मार्च से 28 मार्च 2021 तक के बीच होलाष्टक लगेगा.

जानें कब से लग रहे हैं होलाष्टक

होलाष्टक में शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि नहीं होता, लेकिन फाल्गुन के माह में भगवान कृष्ण और शिव जी को समर्पित होता है, इसलिए होलाष्टक की अवधि में इनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. होलाष्टक को लेकर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा ने बताया कि इस साल होलाष्टक 21 मार्च से 28 मार्च तक रहेगा.

21-28 मार्च तक रहेगा होलाष्टक

ज्योतिषाचार्य के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक होलाष्टक कहलाता है. इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. वर्ष 2021 में होलाष्टक 21 मार्च की सुबह 7 बजे से शुरू होकर 28 मार्च की देर रात तक होलाष्टक रहेगा. होलाष्टक के दौरान जीवन-मृत्यु और आकस्मिक सभी तरह के कार्य किए जा सकते हैं. लेकिन नवीन व्यापार प्रारंभ करना हो, कोई नई डील करना हो, नामकरण करना हो, विद्या आरंभ करना हो, विवाह संस्कार, उपनयन संस्कार करना हो या अन्य नए कार्य वर्जित रहता है.

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शुभ कार्यों पर प्रतिबंध
ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा ने बताया कि होलाष्टक के इस कालखंड में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद पर अत्याचार करने के साथ उन्हें प्रताड़ित किया था. इसी कारण से कोई भी शुभ कार्य इस अवधि के बीच नहीं किया जाता है. वर्ष 2021 का होलाष्टक 21 मार्च रविवार सुबह 7 बजे से 28 मार्च रविवार देर रात तक रहेगा. इस दौरान शुभ कार्यों पर प्रतिबंध भी रखना उचित माना जाता है.

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