रायपुर: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से पूरा देश लॉकडाउन है. ये बंद पढ़ाई को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. हमारे देश का भविष्य घर में कैद रहकर शिक्षा से वंचित न रह जाए इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 8 अप्रैल को पढ़ई तुंहर दुआर यानी कि पढ़ाई तुम्हारे द्वार पोर्टल लॉन्च किया है.
पढ़ई तुंहर दुआर कितना सफल अब तक इस पोर्टल में 13 लाख 50 हजार से ज्यादा बच्चे जुड़ चुके हैं. इसके साथ ही डेढ़ लाख से ज्यादा टीचर इसमें इनरोल हैं. शिक्षक अपनी कक्षाएं लगातार दे रहे हैं और स्टडी मैटेरियल भी बच्चों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन ऑनलाइन और ऑफलाइन हो रही ये पढ़ाई ग्रामीण इलाकों में रहने वाले शिक्षकों और छात्रों के लिए सिरदर्द बन गई है.
डिजिटल वर्ल्ड इनके लिए पहेली
छत्तीसगढ़ की आबादी का बड़ा हिस्सा ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में रहता है. जिनके लिए डिजिटल वर्ल्ड ही पहेली से कम नहीं. जहां एंड्रॉयड फोन ही मुश्किल हो, वहां इससे पढ़ाई मुश्किल नजर आ रही है.
ETV भारत की ये रिपोर्ट बता रही है कि कैसे पढ़ई तुंहर दुआर की ये सुविधा एक वर्ग के लोगों के द्वार नहीं पहुंच पा रही है.
सरकार के दावे और हकीकत के बीच का सच
दावा-सभी पाठ्यक्रम पोर्टल पर मौजूद
हकीकत- 11वीं और 12वीं का NCERT पीडीएफ अबतक तैयार नहीं
दावा-सवालों के जवाब लिंक पर मौजूद
हकीकत- जवाब के साथ लिंक में अंदर टिकटॉक के वीडियो भी मिलेंगे
दावा- जूम एप से होगी पढ़ाई
हकीकत-जूम एप सपोर्ट नहीं करने के साथ डाटा खर्च, रिजल्ट भी शून्य
दावा- करीब डेढ़ लाख बच्चे हुए इनरोल
हकीकत- विभाग के पास पंजीयन को लेकर कोई जानकारी नहीं
दावा- एप के जरिए पढ़ाई जारी
हकीकत- अब तक विभाग और टीचर सोशल मीडिया ग्रुप बनाने में जुटे
ये तो हुई तंत्र के दावों और उनकी हकीकत. इन सबके बीच ऑनलाइन शिक्षा देने वाले शिक्षक और छात्रों के सामने कई चुनौतियां हैं.
शिक्षकों की परेशानी
- पहली से 10 वीं तक के छात्रों का नंबर शिक्षकों के पास नहीं.
- सभी कक्षा के छात्रों को एक साथ जोड़ना शिक्षकों के लिए चुनौती
- जिन छात्रों का पंजीयन हो चुका वो टाइम पर कनेक्ट नहीं होते.
- जनरल प्रमोशन के कारण छात्र पढ़ने में रुचि नहीं ले रहे हैं.
- गांव के अंदरूनी इलाकों में 4जी नेटवर्क की सुविधा नहीं.
शिक्षक तो इन परेशानियों का सामना कर रहे हैं. अंदरूनी इलाकों के बच्चे भी तमाम परेशानी का सामना कर रहे हैं. क्योंकि तकनीक से अच्छी तरह वाकिफ न होने की वजह से बच्चे पढ़ाई से ज्यादा सिर धुन रहे हैं.
छात्रों की परेशानी
- सभी छात्रों के पास फोन नहीं
- फोन है तो रिचार्ज के पैसे नहीं
- सोशल डिस्टेंसिंग के कारण एक फोन काफी नहीं.
- गांव में वाई-फाई की सुविधा नहीं.
- परिजन और छात्र एप को समझने के लिए टेक्निकली साउंड नहीं.
जब इन तमाम समस्याओं को लेकर ETV भारत की टीम शिक्षा विभाग सचिव आलोक शुक्ला से बात की और उनसे पूछा कि क्या बिना एप के पढ़ाई करना संभव है, इसके जवाब में आलोक शुक्ला ने कहा पढ़ाई के लिए एप डाउनलोड़ करने की जरूरत नहीं है. cgschool.in पर जाकर पहली से बीएससी तक के बच्चे सीधे पढ़ाई कर सकते हैं.
नेटवर्क असुविधा पर जवाब
जब हमने नेटवर्क में हो रही असुविधा को लेकर उनसे बात की तो उनका कहना था कि ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी इसकी पढ़ाई की जा सकती है. नेटवर्क रहने पर इसे डाउनलोड करके कभी पढ़ा जा सकता है. साथ ही अपनी सुविधा के अनुसार सवाल जवाब और समझ नहीं आने पर दोबोरा भी देखा जा सकता है.
वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन का काम पूरा
वहीं बच्चों को हो रही असुविधा को लेकर हमने बात की तो उनका कहना था कि टीचर की मदद से उन्होंने वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन करवाया है. गांव में नेटवर्क कम होने की वजह से कई बार वह पढ़ाई नहीं कर पाते हैं पर वीडियो डाउनलोड करने के बाद वह पढ़ाई कर पा रहे हैं. साथ ही वॉयस रिकॉर्ड और इमेज से भी उनकी पढ़ाई हो रही है.
कैसे काम कर रहा है पोर्टल
- वेबसाइट पर जाकर शिक्षक और बच्चे ऑनलाइन पंजीयन कर रहे हैं.
- शिक्षक जो पढ़ाना चाहते हैं, उसका मैटेरियल अपलोड कर देते हैं.
- बच्चों को लॉग इन करने पर पढ़ाई का मटेरियल मिल जाता है.
- इस वेबसाइट के माध्यम से बच्चे अपना होमवर्क भी कर सकते हैं.
- बच्चे होमवर्क की कॉपी का फोटो खींच अपलोड कर देंगे. टीचर के पास होमवर्क पहुंच जाएगा, जिसे टीचर चेक कर वापस वेबसाइट में अपलोड कर देंगे तो बच्चों को भी आसानी से मिल जाएगा.
- इसके अलावा ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के थ्रू टीचर और बच्चे एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं. रेगुलर क्लास भी अटेंड कर सकते हैं.
इस तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों की शिक्षा के लिए पढ़ई तुंहर दुआर पोर्टल लॉन्च कर अच्छी पहल तो की लेकिन डर ये है कि ये पहल ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं के अभाव में दम न तोड़ दे.