रायपुर:कोरोना संकट के दौर में कई ऐसे युवा और ऊर्जावान जनसेवक हैं. जो अपनी जान की बाजी लगाकर दिन रात कोविड पीड़ित मरीजों की सेवा में जुटे हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं गौरव मंधानी जिन्होंने खुद अपने पिता के कोविड संक्रमित होने के बाद अस्पताल और अस्पताल के बाहर दिन रात मरीजों के दर्द को करीब से देखा. इसके बाद उन्होंने कोविड से जूझ रहे लोगों की मदद का फैसला लिया. वे बताते हैं कि उनके पिता जब कोरोना संक्रमित हुए थे उस समय किसी तरह के संसाधन काम नहीं आ रही थे, बावजूद इसके उन्होंने अपने पिता को कोरोना से लड़कर वापस लाया है.
अस्पताल में रहकर महसूस किया मरीजों का दर्द
युवा कोरोना वॉरियर गौरव मंधानी जो दिन रात कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं. वह सुबह से लेकर देर रात तक कोरोना मरीजों की सेवा करते दिख जाएंगे. गौरव में यह सेवा भाव की भावना उनके पिता के कारण शुरू हुई. गौरव के 65 वर्षीय पिता हाल ही में कोरोना से संक्रमित हुए थे, हालांकि वे पूरी तरह से फिट होकर लौट चुके हैं. लेकिन इस दौरान उन्होंने और उनके परिजनों ने कोरोना मरीजों को हो रही दिक्कतों को बेहद करीब से महसूस किया. यही वजह रही कि उन्होंने अपने पिता के स्वस्थ होने के बाद ही नहीं बल्कि उनके अस्पताल में रहने के दौरान ही कोविड मरीजों की हर संभव मदद की.
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ऑक्सीजन, वेंटीलेटर और खाने की कर रहे व्यवस्था
ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए गौरव बताते हैं कि उन्होंने तो अपने पिता को जैसे-तैसे अस्पताल में भर्ती करा दिया था, बावजूद इसके उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए शहर ही नहीं शहर से बाहर भी चक्कर काटने पड़े. अस्पताल के बाहर कई मरीजों के परिजनों से लगातार मिलने-जुलने और उनकी तकलीफों को करीब से देखने का मौका मिला. इस दौरान यह समझ में आया कि बहुत ही कम लोग सक्षम है जो कोविड का इलाज करा पा रहे हैं. लोग बेबस और लाचार है. उस दिन से ऑक्सीजन सिलेंडर, बेड, वेंटिलेटर और खाना ही नहीं लोगों को सही समय पर अस्पताल में भर्ती कराने के लिए वे दिन-रात काम कर रहे हैं.