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भोजन पॉलिटिक्स में जुटे छत्तीसगढ़ के राजनीतिक दल, जानिए क्या है इसके मायने

छत्तीसगढ़ में भाजपा के नेता कार्यकर्ताओं के घर जाकर भोजन कर रहे हैं. food politics in chhattisgarh पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह भी कार्यकर्ताओं के घर पहुंच भोजन कर रहे हैं. chhattisgarh assembly election 2023. इसके पहले भेंट मुलाकात के जरिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी ग्रामीणों और आदिवासियों के यहां भोजन करने गए थे. यह सभी तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं. raipur news update आखिर नेताओं के लोगों के घर भोजन करने का क्या राजनीतिक लाभ मिलता है. 2023 विधानसभा चुनाव में इसका किस तरह का प्रभाव पड़ेगा.

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छत्तीसगढ़ में भोजन पॉलिटिक्स

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Published : Dec 31, 2022, 8:31 PM IST

छत्तीसगढ़ में भोजन पॉलिटिक्स

रायपुर:भाजपा की केंद्रीय टीम ने राज्य के तमाम बड़े नेताओं को निर्देश दिए हैं. food politics in chhattisgarh जसमें कहा गया है कि पृथक तौर पर विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों का दौरा करें. इस कार्यकर्ताओं के घर ही रात बिताएं और वहीं भोजन करें. chhattisgarh assembly election 2023 जिसके बाद छत्तीसगढ़ में भी भाजपा नेताओं का कार्यकर्ताओं के बीच उठना बैठना शुरू हो गया है. raman singh विधानसभा और लोकसभा बार पार्टी के नेता और पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के यहां पहुंच रहे हैं. उनके साथ बैठकर भोजन भी कर रहे हैं. इन सारे क्रियाकलापों को सोशल मीडिया के माध्यम से यह पदाधिकारी लोगों तक भी पहुंचा रहे हैं.

रमन सिंह ने ग्रामीण के घर किया भोजन:इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, सांसद सुनील सोनी सहित कई बड़े दिग्गज नेता कार्यकर्ताओं के यहां पहुंच रहे हैं. भोजन कर रहे हैं साथ ही उनके द्वारा तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है. food politics in chhattisgarh हाल ही में डॉ. रमन सिंह सोशल मीडिया में अपने बिलासपुर प्रवास के दौरान एक ग्रामीण व्यक्ति के घर में भोजन करते हुए तस्वीर साझा की थी. chhattisgarh assembly election 2023 इस तस्वीर में उन्होंने लाल भाजी और जिमीकंद की सब्ज़ी के स्वाद की तारीफ की.

रमन सिंह पर सीएम का बयान:इस तस्वीर पर सीएम भूपेश बघेल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि "रमन सिंह का ससुराल मध्यप्रदेश में है. वहां छत्तीसगढ़िया खाना बनता नहीं. भाभी ने अब सीख लिया होगा. इसीलिए वह छत्तीसगढ़िया खाना खा रहे हैं."

"15 साल रमन ने किसी गरीब के यहां नहीं किया भोजन":इतना ही नहीं कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने भी रमन सिंह के इन तस्वीरों पर तंज कसा. उन्होंने कहा था कि "रमन सिंह 15 साल गरीबों के घर खाना नहीं खाए. chhattisgarh assembly election 2023 यदि गरीबों के घर खाना खाए हैं तो फोटो जारी करें. raipur news update सीएम भूपेश का असर रमन पर पड़ रहा है."


"आज मुद्दों पर नहीं खाने-पीने की हो रही बात":भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि "यह लोग छत्तीसगढ़ की अस्मिता के ठेकेदार कब से बन गए. आज प्रदेश में मुद्दों पर बात नहीं की जा रही है. आदिवासियों आरक्षण किसान नियमितीकरण पर बात नही हो रही है. food politics in chhattisgarh अब खाने पीने को लेकर चर्चा की जा रही है. मायके और ससुराल की बात कर रहे हैं. कांग्रेस के नेता मानसिक दिवालियापन के शिकार हो गए. आज पूरे प्रदेश में बेटियां सुरक्षित नहीं है. cm bhupesh baghel यह किस महतारी की मूर्ति लगाने की बात कर रहे हैं." जिसके बाद गौरी शंकर ने कांग्रेस से सवाल किया कि "छत्तीसगढ़ियावाद की परिभाषा क्या है. chhattisgarh assembly election 2023 किसको छत्तीसगढ़िया होने का यह लोग सर्टिफिकेट बांटते हैं. यह बात कांग्रेस को स्पष्ट करना होगा."

"सीएम को भोजन में भी नजर आने लगा भीतरी बाहरी": मामले में भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राजेश मूणत ने कुछ दिन पहले एक ट्वीट किया. उन्होंने हुए लिखा कि "कभी रंग के नाम पर,कभी जाति आधार पर, कभी भाषा और क्षेत्रवाद के आधार पर लोगों को आपस मे लड़वाने वाले भूपेश बघेल जी को भोजन में भी भीतरी बाहरी नजर आने लगा हैं. food politics in chhattisgarh बघेल जी! भात दाल, जिमीकांदा संपूर्ण भारत मे खाया जाता है. chhattisgarh assembly election 2023 आपके घर में धरती के बाहर का खाना बनता है क्या?"

"सफेद कपड़े से ढंका चकाचक पीढ़ा रहता है तैयार":इतना ही नहीं राजेश मूणत ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा "मुख्यमंत्री @bhupeshbaghel जी के ग्रामीणों के घर पहुंचने से पहले सफेद कपड़े से ढंका चकाचक पीढ़ा तैयार रहता है. इधर @drramansingh जी बिना प्रचार के जमीन पर ही भोजन करके अपनापन बंटाते रहे! food politics in chhattisgarh अंतर साफ है, जनता के प्रति प्रायोजित दिखावा नहीं,समायोजित अपनापन जरूरी है."

"भोजन की पहले से है परंपरा":वहीं इस पूरे भोजन पॉलिटिक्स को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "यह कोई नई परंपरा नहीं है. भाजपा में कार्यकर्ताओं के घर जाकर भोजन करने की काफी पुरानी परंपरा है. हालाकि उस समय यह ज्यादा चर्चित नहीं था. food politics in chhattisgarh क्योंकि पहले इसका इतना प्रचार-प्रसार नहीं होता था. लेकिन आज सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार की वजह से यह ज्यादा चर्चा में है.

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भोजन का मिलता है राजनीतिक लाभ:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान गांव में जाकर आम लोगों के यहां भोजन करने के मुद्दे पर भी शशांक शर्मा ने बताया. शशांक शर्मा ने कहा. "ये एक सामान्य प्रक्रिया है. उनका कहना है कि "नेता मंत्री विधायक सांसद मुख्यमंत्री या फिर पार्टी पदाधिकारी यदि किसी आम व्यक्ति के यहां जाते हैं या फिर कार्यकर्ता क्यों जाते हैं. chhattisgarh assembly election 2023 वहां उनके साथ बैठकर भोजन करते हैं तो इसका खासा प्रभाव देखने को मिलता है. food politics in chhattisgarh उस परिवार में उस क्षेत्र में और उस समाज में इसका खासा असर पड़ता है. चुनाव पर भी इसका काफी प्रभाव देखने को मिलता है. चाहे फिर वह किसी भी राजनीतिक दल का ही नेता क्यों ना हो उसका लाभ जरूर उसे चुनाव में मिलता है. हालांकि दोनों दलों के द्वारा इन भोजन करने को लेकर की गई टीका टिप्पणी को शशांक शर्मा ने महज राजनीतिक बयान बाजी बताया है."

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