रायपुर: छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल का सीएम का फॉर्मूला भले ही सीएम बघेल और छत्तीसगढ़ के अन्य नेताओं ने खारिज कर दिया हो. लेकिन इस मुद्दे पर सियासी घमासान थमता नहीं दिख रहा है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस का यह झगड़ा अब दिल्ली तक पहुंच गया है. यही वजह है कि पहले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को दिल्ली बुलाया गया. फिर उसके बाद सीएम भूपेश बघेल को दिल्ली तलब किया गया. दिल्ली रवाना होने से पहले सीएम बघेल ने भी अपने बयान से कोई इशारा नहीं किया. उन्होंने इसे सिर्फ आलाकमान से चर्चा मात्र बताया है.
सीएम बघेल और सिहंदेव दिल्ली तलब दिल्ली रवाना होने से पहले सीएम ने रायपुर में कहा कि बहुत दिनों बाद दिल्ली जाना हो रहा है. कोरोना काल के बाद पहली बार दिल्ली जा रहा हूं बीच में हिमाचल जाना हुआ था. उस दौरान प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई थी. इस बार राहुल गांधी जी के साथ बैठक है. इस मीटिंग में केसी वेणु गोपाल, प्रदेश प्रभारी पपीएल पुनिया भी मौजूद रहेंगे. टीएस सिंहदेव के दिल्ली जाने के सवाल पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, मुझे केवल राहुल गांधी के साथ बैठक की सूचना मिली है.
एक तरफ पंजाब और राजस्थान में कांग्रेस कलह की स्थिति का सामना कर रही है. उसके बाद छत्तीसगढ़ में यह नया सियासी घटनाक्रम बघेल खेमे के साथ-साथ सिंहदेव गुट के समर्थकों में भी बेचैनी बढ़ा रहा है. जानकारी के मुताबिक दोनों नेता मंगलवार को राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया भी मौजूद रहेंगे. राहुल गांधी से मुलाकात से पहले बघेल और सिंहदेव कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात करेंगे.पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि राहुल गांधी दोनों नेताओं की शिकायतों को दूर करने के लिए उनसे अलग-अलग मुलाकात कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस संकट : सीएम बघेल और टीएस सिंहदेव दिल्ली तलब
जिस तरह से कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के झगड़े को शांत कराया था. उसी तरह छत्तीसगढ़ में चल रहे कयासों के दौर और संकट को पार्टी खत्म करने का काम कर सकती है. लेकिन इस मुद्दे पर न तो सिंहदेव खुल कर बोल रहे हैं और न ही सीएम भूपेश बघेल कोई पत्ता खोल रहे हैं. दोनों नेता मीडिया के सामने ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले को नकारते आ रहे हैं.
आपको बता दें कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. जिसके बाद ही पार्टी के अंदर सीएम पद को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया. सिंहदेव दबी जुबान में कई बार दिल्ली दरबार तक अपनी मन की बात पहुंचा चुके हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में उन्होंने इस मुद्दे पर खुलकर कुछ भी नहीं कहा है. दोनों नेता इसे हाईकमान की पसंद की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ते रहे हैं. उधर जब भूपेश बघेल से ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर मीडिया ने पूछा तो उनका जवाब यही था कि 'हाईकमान ने मुझे शपथ लेने का निर्देश दिया था, इसलिए मैंने शपथ ली. जब वे कहेंगे कि कोई और मुख्यमंत्री बनेगा तो ऐसा ही होगा. गठबंधन सरकारों में इस तरह के समझौते होते हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास तीन-चौथाई बहुमत है.
अभी हाल में छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बृहस्पति-सिंहदेव का विवाद काफी गहराया था. मानसून सत्र से एक दिन पहले बृहस्पति सिंह के काफिले पर सरगुजा में हमला हुआ था. इस हमले का आरोप बृहस्पति सिंह ने सिंहदेव पर लगा दिया था. जिसके बाद मानसून सत्र में यह मुद्दा काफी गरमाया. खुलकर सिंहदेव, राज्य सरकार और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू से नाराज नजर आए. वह सदन से बाहर भी चले गए. करीब दो दिनों तक यह सियासी हंगामा चलता रहा. जब गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने सदन में इस मुद्दे पर बयान दिया. तब जाकर सिंहदेव माने. लेकिन सूत्रों के मुताबिक सिंहदेव इसी घटना से नाराज बताए जा रहे हैं. अब देखना होगा कि मंगलवार का दिन छत्तीसगढ़ की सियासत में कितना अहम साबित होता है.