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डॉ. श्रीकांत से जानिए किडनी की बीमारी से जुड़ी अहम जानकारी

11 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे पर ETV भारत ने छत्तीसगढ़ में अंग प्रत्यारोपण समिति के प्रमुख से खास बातचीत की. डॉ. श्रीकांत राजिमवाले, जिनका किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है. वे आज सामान्य लाइफ जी रहे हैं. किडनी से संबंधित बीमारी के विषय में उन्होंने अहम जानकारी दी है.

exclusive coversation with dr shrikant rajimwale on World kidney day
वर्ल्ड किडनी डे

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Published : Mar 11, 2021, 2:35 AM IST

Updated : Mar 11, 2021, 2:58 AM IST

रायपुर:11 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे है. इस साल वर्ल्ड किडनी डे की थीम रखी गई है 'किडनी रोग के साथ अच्छी तरह से रहना'. किडनी की बीमारी से बचना तो जरूरी है ही. यदि किडनी की बीमारी हो भी जाती है तो कुछ बातों का ख्याल रखकर जिंदगी को आसानी से जिया जा सकता है. विश्व किडनी दिवस के मौके पर हम आज एक ऐसे डॉक्टर से बात कर रहे हैं जिनका खुद किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है. आज वे छत्तीसगढ़ में अंग प्रत्यारोपण समिति के प्रमुख हैं. ईटीवी भारत ने डॉ. श्रीकांत राजिमवाले से इस विषय पर खास बातचीत की है.

डॉ. श्रीकांत से खास बातचीत पार्ट-1

सवाल : आपका किडनी ट्रांसप्लांट कब और किन परिस्थितियों में हुआ था?

जवाब: डॉ. श्रीकांत राजिमवाले ने बताया कि एक सड़क हादसे के बाद साल 1987 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. उन्हें उनके भाई ने किडनी दिया था. उसके बाद से वे लगातार आज तक अपने सारे काम बखूबी करते आ रहे हैं. उन्हें काम करने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है. हालांकि इस बीच उन्हें अपनी दिनचर्या में जरूर कुछ बदलाव करने पड़े हैं. जिसमें खानपान सहित अन्य बातें शामिल हैं.

डॉ. श्रीकांत से खास बातचीत पार्ट-2
सवाल :किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आज आप कैसा महसूस कर रहे हैं, किसी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी का सामना तो नहीं करना पड़ रहा है ?जबाव: डॉ. राजिमवाले कहा कि क्या आपको मुझे देखकर लगता है कि मेरा किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है ? उन्होंने कहा कि मैं यदि किसी को ना बताऊं तो किसी को पता भी नहीं चलेगा कि मेरा किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है. उन्होंने कहा कि इस बीच थोड़ा सा जीवन शैली में बदलाव करना पड़ा और खाने पीने पर ध्यान देना पड़ा. किडनी ट्रांसप्लांट वाले व्यक्ति भी अपना साधारण जीवन जी सकते हैं. डॉक्टर ने कहा कि मेरे पास आज 10-11 डिपार्टमेंट है. मेरे खुद के काम है. मैं लगातार काम करता रहा हूं. मुझे लगता है कि जिन का ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है वह भी इतना काम नहीं करते होंगे जितना मैं करता हूं.आज मैं एक नॉर्मल जीवन जी रहा हूं.

किडनी मरीजों की जुबानी जानिए, 'कैसे रखें किडनी का ख्याल'

सवाल : किडनी सहित अन्य अंग प्रत्यारोपण करने मरीजों को कई बार जानकारी नहीं होती है. जिसकी वजह से वे एक जगह से दूसरी जगह भटकते रहते हैं. ऐसे में उन मरीजों को सही मदद मिल सके, वह किससे संपर्क करें ?

जवाब-छत्तीसगढ़ में अभी किडनी और लीवर के ट्रांसप्लांट होते हैं. यदि किडनी से संबंधित समस्या है तो उसे यूरिन में प्रॉब्लम होती है. जलन होती है. लंबे समय तक इस तरह की तकलीफ हो रही है या ब्लड जा रहा है तो आपको जरूर डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

सवाल- ऑर्गन ट्रांसप्लांट किस तरह से किया जाता है, उसके क्या नियम है और कौन ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर सकते हो ?

जवाब : ब्लड रिलेटिव किडनी ट्रांसप्लांट सबसे अच्छा होता है. उसका रिजल्ट अच्छा होता है. यदि रिश्तेदार देने में असमर्थ है या मैच नहीं कर रहा है तो ऐसी परिस्थिति में नॉन रिलेटेड डोनर से भी किडनी ले सकते हैं.

सवाल : कौन लोग किडनी ले सकते है, इसके लिए क्या नियम है ?

जवाब :जिनकी दोनों किडनी खराब हो जाती है. उनकी रिपोर्ट को सरकार द्वारा बनाई गई समिति के समक्ष रखा जाता है. उसके बाद समिति के सदस्य जिसमें डॉक्टर सहित सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य सदस्य मौजूद होते हैं, वह निर्णय लेते हैं कि इस केस में किडनी डोनेट हो सकती है या नहीं.

सवाल: साल में प्रदेश में लगभग कितने किडनी ट्रांसप्लांट के केस प्रकाश में आते हैं ?

जवाब : मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के माध्यम से पिछले साल 17 लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया है. प्रदेश में इससे कहीं ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.


सवाल: किडनी की बीमारी और उसके उपचार से संबंधित सरकार किस तरह के जन जागरूकता अभियान चला रही है ?

जवाब: शासन के द्वारा संचालित मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत सभी को 20 लाख रुपए का पैकेज दिया जा रहा है.इस योजना के तहत किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 6 लाख 50 हजार का पैकेज दिया गया है. जिसमे 5 लाख 50 हजार किडनी ट्रांसप्लांट के लिए और 1 लाख बाद में लगने वाली दवाई के लिए दिया जाता है. ऑपरेशन के बाद भी मरीज को लंबे उपचार की जरूरत पड़ती है और उसे दवाइयों की आवश्यकता होती है.

सवाल : छत्तीसगढ़ में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर किस तरह की व्यवस्थाएं हैं, निजी और सरकारी अस्पतालों में किस तरह का उपचार किया जाता है ?

जवाब :अभी छत्तीसगढ़ में शासकीय अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. डीकेएस और एम्स में आने वाले दो-तीन महीने में इसे शुरू किया जा सकता है. इसके लिए एक निश्चित इंफ्रास्ट्रक्चर होना जरूरी होता है. वर्तमान में चार निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है.

सवाल : किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले दूसरे मरीजों से भी आपकी मुलाकात हुई होगी, कैसा रहा मरीजों का अनुभव ? उन्हें किस तरह की परेशानी या फिर किस तरह का परिस्थितियों का सामना करना पड़ा ?

जवाब : मरीजों को सावधानी बरतनी पड़ती है. किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को जीवन शैली में बहुत बड़ा परिवर्तन तो नहीं करना पड़ता लेकिन इंफेक्शन से बचना पड़ता है. इसका मुख्य स्त्रोत है पानी और खाना. यदि आप खानपान बेहतर रखेंगे तो इससे बच सकते हैं.

सवाल: जिन लोगों की किडनी खराब हो चुकी है, वह मदद के लिए किससे संपर्क करें ?

जवाब: किडनी की बीमारी के लिए किडनी स्पेशलिस्ट होते हैं, जो सरकारी और निजी अस्पतालों में होते हैं. उनसे संपर्क करें. वह आपको सही जानकारी देंगे और इलाज बताएंगे. डायलिसिस एक महत्पूर्ण रास्ता है. जब तक ट्रांसप्लांट नहीं होता तब तक मरीज को डायलिसिस पर रखा जाता है.

सवाल : किडनी की बीमारी ना हो उसके लिए किस तरह के एतिहात बरतने की जरूरत है ?

जवाब :किसी के शरीर में लगातार स्टोन बन रहे हैं तो उन्हें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. वह ऐसी चीजें ना खाएं जिससे स्टोन बनता है. बाहरी खानपान से किडनी की बीमारी होती है, इससे बचना चाहिए. किडनी की बीमारी परिवार के एक सदस्य से दूसरे सदस्य में भी जाती है. इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए. किडनी की बीमारी में शुरुआती दौर में उपचार मिल जाए तो उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सवाल : विश्व किडनी दिवस पर आप लोगों से क्या अपील करेंगे ?

जवाब: पानी न तो कम पिये ओर ना ही ज्यादा, ऐसा नहीं है कि ज्यादा पानी पीने से किडनी खराब नहीं होती है. यदि यूरिन से ब्लड जा रहा है, लेकिन आपने ध्यान नहीं दिया तो वह धीरे-धीरे बड़ी बीमारी का रूप ले सकता है. नौबत किडनी खराब होने तक पहुंच जाती है. इसपर ध्यान देना चाहिए.

Last Updated : Mar 11, 2021, 2:58 AM IST

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