रायपुर:रंग...गुलाल...मिठास और रिश्तों का त्योहार होली. होली खुशियां बांटने का त्योहार है, रंगों में सराबोर हो जाने का त्योहार है. इन रंगों के साथ खुशियों और अपनेपन को महसूस कराने का त्योहार है. होली का नाम सुनते ही गुझियों और कचौड़ियों की भीनी-भीनी और मीठी सी महक याद आ जाती है. घर-परिवार की हंसी-ठिठोली और दोस्तों की टोली याद आ जाती है. गालों पर गुलाल और मस्ती ही मस्ती.
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है. होली का त्योहार भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक राजा हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की कहानी होली से जुड़ी हुई है.
ये है पौराणिक मान्यता
हिरण्यकश्यप एक ऐसा राजा था, जो किसी असुर के सामान था. उसके बेटे का नाम प्रहलाद था, जो विष्णु भगवान की पूजा में विलिन रहता था. हिरण्यकश्यप को बेटे की ये बात नागवार गुजरती थी. उसने एक दिन अपने बेटे को जान से मारने की योजना बनाई. हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसका नाम होलिका था. होलिका को वरदान मिला था कि उसपर अग्नि का कोई असर नहीं पड़ सकता.