रायपुर: पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी राजभवन और सरकार के बीच टकराव बढ़ता नजर आ रहा है. करीब 3 महीने पहले कुलपति की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल के अधिकार में कटौती से शुरू हुआ विवाद पहले राजभवन के सचिव की पदस्थापना तक पहुंचा और अब विशेष सत्र को लेकर एक बार फिर टकराव की स्थिति है. छत्तीसगढ़ सरकार और राजभवन के बीच का विवाद अब किसी से छिपा नहीं है. छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए भेजी गई फाइल को राजभवन ने लौटा दिया है, जिसके बाद विवाद खुलकर सामने आ गया है. राजभवन ने विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है. CM भूपेश बघेल ने राज्यपाल पर टिप्पणी भी की है.
राज्यपाल अनुसुइया उइके की ओर से विधानसभा सत्र बुलाए जाने को लेकर जवाब मांगे जाने के बाद राज्य सरकार ने फाइल राजभवन को दोबारा भेज दी है. राज्य सरकार की ओर से सवालों का जवाब भी दिया गया है. जिन सवालों के साथ राजभवन ने फाइल लौटा दी थी, उसके जवाब सरकार ने दिए हैं. छत्तीसगढ़ में राज्यपाल तो राज्य स्थापना के समय से ही रहे हैं, लेकिन अनुसुइया उइके राज्यपाल की परिपाटी से अलग होकर लगातार लोगों से तमाम मुद्दों पर मुखर होकर संपर्क में रही हैं.
अब इस टकराव पर राजनीति तेज हो गई है. छत्तीसगढ़ BJP के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भूपेश बघेल सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने पूछा है कि आखिर ऐसी कौन सी विपदा आन पड़ी है कि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहती है. भारतीय जनता पार्टी ने राजभवन और राज्य सरकार के टकराव को लेकर आपत्ति जताई है. वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि राज्य में ऐसे कौन से आपातकाल के हालात पैदा हो गए, जो आनन-फानन में विधानसभा सत्र बुलाया जा रहा है. 58 दिन पहले ही विधानसभा सत्र बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि राज्यपाल को जानने का पूरा अधिकार है कि राज्य में ऐसी कौन सी आपात स्थिति हो गई है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की जरूरत आ पड़ी है.
CM भूपेश बघेल ने राज्यपाल पर की टिप्पणी
विधानसभा सत्र को लेकर राजभवन से टकराव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि कोई भी बिल विधानसभा से पास होने के बाद राजभवन जाता है. सबसे पहली बात ये है कि पूर्ण बहुमत की सरकार को सत्र बुलाने से राज्यपाल नहीं रोक सकती हैं. इसके बाद भी अगर कोई जवाब-तलब होता है, तो सरकार की ओर से जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राजभवन को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए. राज्यपाल ने कुछ जानकारी मांगी है, वह उन्हें दे दी जाएगी.
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार लागू नहीं करना चाहती है. ऐसे में किसानों के लिए कृषि से जुड़े नए कानून बनाने के लिए सरकार विशेष सत्र बुलाना चाहती है. ETV भारत ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से भी इस मसले पर बात की है. राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव के हालात को लेकर संविधान विशेषज्ञों ने भी चिंता जताई है.
क्या कहा संविधान विशेषज्ञ ने
संविधान विशेषज्ञ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सुशील त्रिवेदी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से राज्यपाल और सरकार के बीच कभी भी विवाद के हालात नहीं बने हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति अलग है. ये राज्य के हित के लिए सही नहीं है. संविधान कहता है कि सरकार का प्रमुख विधानसभा, न्यायपालिका होती है. राज्यपाल को यह देखना होता है कि राज्य में संविधान के अनुरूप काम हो रहा है या नहीं. संविधान के अनुरूप विधानसभा सत्र बुलाने का अधिकार राजभवन को दिया गया है, वो महज औपचारिकता है. उन्होंने बताया कि भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि अगर राज्यपाल इस तरह से चुनी हुई सरकार को काम करने से रोकेंगे, तो वो राज्य के हित में नहीं होगा.
गैर भाजपा शासित राज्यों में टकराव के हालात
गैर भाजपा शासित राज्यों में राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच टकराव की स्थिति नजर आ रही है. इनमें पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और केरल का नाम प्रमुख है. पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर विवाद की स्थिति बनी रहती है. प्रशासन के साथ ही राज्य सरकार के फैसलों को लेकर आए दिन विवाद के हालात बन जाते हैं. इसी तरह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार और राज्यपाल कोशियारी के बीच टकराव की बात सामने आती रही है. केरल में भी संशोधित नागरिकता कानून को लेकर राज्यपाल और केरल सरकार के बीच टकराव चरम सीमा पर पहुंच गया था.
राज्यपाल ने अधिकारी के हटाए जाने को लेकर जताई थी आपत्ति