उत्तराखंड: ईटीवी भारत का सेवाभाव और समाज के प्रति जिम्मेदारी देहरादून में भी दिखी. 23 मार्च दोपहर 2.30 बजे का समय था. पूरे प्रदेश में लॉक डाउन था. सड़कों, गलियों और रास्तों पर सन्नाटा था. लेकिन ईटीवी भारत के रिपोर्टर पल-पल की खबर अपने दर्शकों और पाठकों तक पहुंचाने के लिए संजीदगी से जुटे हुए थे. सुबह से लॉकडाउन पर नजर रखे हमारे उत्तराखंड ब्यूरो चीफ किरनकांत रिपोर्टिंग के दौरान घंटाघर पहुंचे. कैमरामैन वहां की तस्वीरें रिकॉर्ड कर रहा था. इसी दौरान ब्यूरो चीफ किरनकांत की नजर वहां किनारे बैठे एक शख्स पर पड़ी.
ईटीवी भारत ने की बिजनौर का अनुरूप की मदद घंटाघर पर कांप रहा था शरीर, सूख गए थे होंठ
लॉकडाउन में उस शख्स को बाहर देख किरनकांत चौंके. उस व्यक्ति का शरीर कांप रहा था. होंठ सूखे थे. उत्सुकतावश उस शख्स से बात की. बातों-बातों में ही लॉकडाउन के बैकग्राउंड में उस शख्स का दर्द सामने छलक आया.
दो दिन से भूखा था बिजनौर का अनुरूप
ये शख्स उत्तर प्रदेश के बिजनौर का रहने वाला था. जब उसने बताया कि दो दिन से खाना नहीं खाया है तो किरनकांत ने आगे बात करने से पहले अपना टिफिन निकाला. हरिद्वार से सुबह देहरादून आए किरनकांत ने भी कुछ नहीं खाया था. उनकी मां ने प्यार से उनके लिए टिफिन तैयार किया था. सुबह से खुद भूखे किरनकांत ने दो दिन से भूखे बिजनौर के उस शख्स को खाना खिलाना ही अपना धर्म समझा. टिफिन खोला और बिजनौर के अनुरूप सिंह को खाना खिलाया. अपनी बोतल से पानी पिलाया. दो दिन से भूखे उस शख्स के पेट में जब अन्न पहुंचा तो उसकी आंखों में धन्यवाद के आंसू टपक पड़े.
कोरोना से रोजी-रोटी छिनने की रुलाने वाली कहानी
अनुरूप सिंह को खाना खिलाकर किरनकांत ने फिर आगे बातचीत शुरू की. अनुरूप ने बताया कि रोजी-रोटी की खातिर वो बिजनौर से मजदूरी करने देहरादून आया था. दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो ही रहा था कि लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया. काम बंद हुआ तो ठेकेदार ने पैसे भी नहीं दिए. इस कारण दो दिन से भूखा ही था. ब्यूरो चीफ किरनकांत बिजनौर के इस मजदूर की करुण कहानी सुन भावुक हो गए. उनके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि अभी तो इस शख्स को मैंने खाना खिला दिया, इसके बाद इसके खाने का इंतजाम कैसे होगा. ये सोचते हुए उनके सामने उन लाखों लोगों का भूखा चेहरा नाचने लगा जो लॉकडाउन के कारण मंदिर, मस्जिद, रेलवे स्टेशन के बाहर अपना गुजर-बसर करते हैं. वो लोग जो रोज हाड़तोड़ मेहनत करते हैं तो तब जाकर रात में उनका चूल्हा जलता है. किरनकांत ने इस मानवीय समस्या को सरकार के सामने पहुंचाने की ठान ली.
सरकार ने लिया ईटीवी भारत की खबर का संज्ञान
किरनकांत ने सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत तक लॉकडाउन के दौरान रोजी-रोटी की समस्या झेलने वालों का दर्द पहुंचाया. उन्होंने घंटाघर पर उनके साथ हुए वाकये को तफसील से बयान किया. सरकार ने किरनकांत की पोस्ट में छिपे दर्द को समझा. तुरंत ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ की पोस्ट का संज्ञान लिया गया. सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया कि लॉकडाउन के कारण जो लोग अपनी रोजी-रोटी खो चुके हैं उन्हें दो वक्त का खाना दिया जाए. ईटीवी भारत की पहल से समाजसेवी भी प्रेरित हुए और उन्होंने भी जगह-जगह लंगर शुरू किए. अब तो आलम ये है कि आम आदमी भी अपने खर्चे पर मजबूर लोगों को खाने खिलाने आगे आ रहे हैं. इस तरह ईटीवी भारत ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए लॉकडाउन के समय रोटी के मोहताज हुए प्रदेश के हजारों मजबूर लोगों के दो वक्त के खाने का इंतजाम करवाया.