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जब-जब कर्मचारी जागा है, तब-तब मुख्यमंत्री भागा है : कर्मचारी संगठन - Warning to the government of employees union in Raipur

रायपुर में पिछले पांच दिनों से चल रही कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई ( Employees five day strike ends in Raipur) है. इस हड़ताल के खत्म होने के बाद कर्मचारी संघ ने सरकार को बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.

Employees five-day strike ends in Raipur
जब-जब कर्मचारी जागा है, तब-तब मुख्यमंत्री भागा है

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Published : Jul 29, 2022, 7:12 PM IST

रायपुर :छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले 5 दिवसीय प्रदर्शन के बाद शुक्रवार को कर्मचारी अधिकारियों ने रैली निकालकर अपना हड़ताल समाप्त (Employees five day strike ends in Raipur )किया. रैली निकालने के बाद कर्मचारी अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम संयुक्त कलेक्टर निधि साहू को ज्ञापन सौंपा. स्मार्ट सिटी ऑफिस के पास पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक दिया था. जहां पर कर्मचारी और अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए और प्रदर्शन (employees protest in raipur ) किया. कर्मचारी और अधिकारियों ने कहा कि ''सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है तो 15 दिसंबर के बाद से प्रदेशभर के लगभग साढ़े पांच लाख कर्मचारी और अधिकारी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाएंगे.'' गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन 25 जुलाई से 29 जुलाई तक पांच दिवसीय हड़ताल पर थे. जिसका आज समापन हो गया. इस दौरान प्रदेश भर के सभी विभागों में कामकाज पूरी तरह से ठप्प और बंद था.

जब-जब कर्मचारी जागा है, तब-तब मुख्यमंत्री भागा है
क्यों हड़ताल पर थे कर्मचारी : छत्तीसगढ़ के कर्मचारी और अधिकारियों को वर्तमान में राज्य सरकार 22% महंगाई भत्ता दे रही है. कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि उन्हें केंद्र के समान 34% महंगाई भत्ता चाहिए. छत्तीसगढ़ के कर्मचारी और अधिकारियों को छठवां वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा भत्ता दिया जा रहा है. लेकिन प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी केंद्र के समान सातवें वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा भत्ता की मांग (Demand to increase DA of employees in Raipur) करने के साथ ही प्रदेशभर के अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे.

विधायक और मंत्री पर आरोप :छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है "कि छत्तीसगढ़ के विधायक और मंत्री एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं. अपना वेतन ताली बजाकर बढ़ा लिए. लेकिन कर्मचारियों को देने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है. उन्होंने बताया कि ''छत्तीसगढ़ में चार प्रकार का महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, जबकि पूरे देश में बाजार एक है और महंगाई एक है तो हमारे साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि कर्मचारियों को महंगाई भत्ता के लिए सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों की आपसी सहमति के आधार पर जब केंद्र सरकार महंगाई भत्ता बढ़ाएगी तो राज्य सरकार भी महंगाई भत्ता बढ़ाएगी लेकिन कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं दिए जाने को हिटलर शाही का परिणाम (Warning to the government of employees union in Raipu) बताया"


'कर्मचारी जागा है तो मुख्यमंत्री भागा है': कर्मचारी नेता विजय कुमार झा का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ सरकार में बैठे अधिकारी स्वयं केंद्र के समान महंगाई भत्ता ले रही है. इस बात की हमें खुशी है लेकिन अगर सरकार हमें चुनौती दे रही है तो हम उस चुनौती को स्वीकार करते हैं. यह हमारे मान सम्मान की लड़ाई है. ना हम रहेंगे और ना ही हम झुकेंगे. आने वाले समय में अनिश्चितकालीन आंदोलन भी करके सरकार को दिखाएंगे. क्योंकि जब-जब कर्मचारी जागा है तब-तब मुख्यमंत्री भागा है"

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