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नगर सरकार: एक नजर सभी 10 नगर निगमों पर, कहां-किसका है कब्जा

नगरीय निकाय चुनाव के लिए आज काउंटिंग होगी. राज्य के कुल दस नगर निगमों के लिए चुनाव हुए हैं.

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Published : Dec 20, 2019, 11:54 AM IST

Updated : Dec 23, 2019, 11:54 PM IST

Elections are being held for ten municipal corporations of Chhattisgarh
10 नगर निगम की कहानी

रायपुर :छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के लिए आज काउंटिंग होगी. राज्य के कुल दस नगर निगमों के लिए चुनाव हुए हैं. प्रदेश के 151 नगरीय निकायों के कुल 2840 वार्डों में मतदान हुआ है. इस चुनाव में 10 हजार 162 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं प्रदेश में 5 हजार 415 मतदान केंद्रों पर वोटिंग हुई है.

सूबे के प्रमुख नगर निगमों पर एक नजर डालते हैंः

रायपुर नगर निगम
खारून नदी के तट पर बसा रायपुर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है. वहीं रायपुर नगर निगम प्रदेश का सबसे पुराना और सबसे बड़ा नगर निगम है. रायपुर नगर निगम का कुल बजट करीब 300 करोड़ है. कांग्रेस के प्रमोद दुबे वर्तमान में रायपुर नगर निगम के महापौर हैं.

  • रायपुर की कुल जनसंख्या 10 लाख 48 हजार 120
  • रायपुर नगर निगम में कुल वार्ड 70
  • निगम में कुल मतदाता 8.96 लाख
  • निगम में महिला मतदाता 4.38 लाख
  • निगम में पुरुष मतदाता 4.57 लाख
  • क्षेत्र में अन्य मतदाताओं की संख्या 242
  • निगम में बीजेपी पार्षदों की संख्या 37
  • निगम में कांग्रेस पार्षदों की संख्या 29
  • निगम में निर्दलीय पार्षदों की संख्या 4

बिलासपुर नगर निगम
नए परिसीमन और सीमांकन के बाद बिलासपुर नगर निगम का ये पहला चुनाव है. 1 जनवरी 1981 से लेकर अब तक निगम में कई बदलाव हुए. इस दौरान बिलासपुर ने विकास का लंबा दौर देखा तो वहीं कई अधूरे कामों में बिलासपुर के विकास में रोड़ा भी अटकाया. नेता और पार्टियां विकास के अपने-अपने दावे करते हैं लेकिन आम जनता की नजर में बिलासपुर न्यायधानी होने के नाते उतना विकास नहीं कर सकी जितना बाकी शहर आगे हैं.

  • कुल वार्ड - 70
  • कुल मतदाता - 4 लाख 41 हजार 584
  • पुरुष मतदाता - 2 लाख 23 हजार 109
  • महिला मतदाता - 2 लाख 18 हजार 429
  • अन्य मतदाता - 46
  • 2014 नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे
  • 2014 में कुल वार्ड - 66
  • बीजेपी- 39 पार्षद (महिला 11, पुरूष 28)
  • कांग्रेस- 24 पार्षद (महिला 8, पुरूष 16)
  • 3 निर्दलीय पार्षद चुने गए.

जगदलपुर नगर निगम

ये बस्तर संभाग का एक मात्र नगर निगम है, जिसमे 48 वार्ड हैं, जगदलपुर शहर का तेजी से विकास हो रहा है, शहरी क्षेत्र के वार्डों में विकास हुआ है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के वार्डों में आज भी मुलभूत समस्या से लोग जूझ रहे हैं. वहीं जगदलपुर शहर व्यवसाय का प्रमुख केन्द्र है, शहर मे निगम के अंर्तगत 2 व्यापारिक प्रतिष्ठान बनाये गए हैं. वहीं अंतर्राज्यीय बस स्टैण्ड और स्वीमिंग पूल का निर्माण किया गया है.

एक नजर जगदलपुर नगर निगम पर

  • वर्तमान में कांग्रेस के जतिन जायसवाल महापौर हैं.
  • कुल मतदाता- 93 हजार 146
  • महिला मतदाता- 48 हजार 335
  • पुरुष मतदाता- 44 हजार 786
  • थर्ड जेंडर वोटर्स- 25
  • कुल मतदाता में 60 फीसदी सामान्य वर्ग के.
  • जबकि 40 फीसदी ST, SC और OBC मतदाता.
  • कुल 48 वार्डों के लिए 169 प्रत्याशी मैदान में हैं.

चिरमिरी नगर निगम
कोयला नगरी में शुमार नगर निगम चिरमिरी कोरिया जिले का इकलौता नगर निगम है. चिरमिरी शहर इस क्षेत्र में पाए जाने वाले कोयले के भंडार से समृद्ध है. इसी वजह से यह SECL यानी साउथ ईस्टर्न कोल लिमिटेड के अंतर्गत आता है. कोल फील्ड और औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से यहां की बसाहट भी घनी है. कोयले के पर्याप्त खदानों के कारण चिरमिरी की प्रदेश में अलग पहचान है. चिरमिरी कोयला उद्योग के 13 प्रशासनिक क्षेत्रों में से एक है.

  • चिरमिरी नगर निगम में 40 वार्ड हैं
  • साल 2005 में चिरमिरी को नगर निगम का दर्जा मिला
  • चिरमिरी की कुल जनसंख्या 85317 है
  • जिसमें कुल 56311 मतदाता हैं
  • कुल वोटरों की संख्या 56,311 है
  • चिरमिरी कोयला उद्योग के 13 प्रशासनिक क्षेत्रों में शामिल
  • इस नगर निगम पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है
  • कांग्रेस से के.डमरू रेड्डी यहां के महापौर है


अंबिकापुर नगर निगम
यहां बीते 5 साल से कांग्रेस की सत्ता है. जिला अस्पताल में आरएमओ के पद पर पदस्थ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजय तिर्की अपने पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे. इन वर्षों में अंबिकापुर ने स्वच्छता के मामले में देशभर में नाम कमाया. स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में अंबिकापुर को 2017 में 15वें सबसे साफ शहर का खिताब दिया गया. 2 लाख की आबादी वाले शहरों में अंबिकापुर पहले पायदान पर रहा. स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में अम्बिकापुर 11वें स्थान पर रहा. 2019 में अंबिकापुर ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम करते हुए देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर का खिताब अपने नाम किया. अंबिकापुर के मेयर की कुर्सी पर 2 बार बीजेपी का कब्जा रहा है. 2015 में बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए कांग्रेस के डॉ अजय तिर्की ने मेयर की कुर्सी पर कब्जा जमाया.

पढ़ें: निकाय चुनावः पूरी हुई तैयारी, 115 नगरीय निकायों में मतदान कल

  • निगम में कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 23 हजार 136
  • मतदाताओं में कुल 56 हजार 661 पुरुष मतदाता
  • शहर में 57 हजार 109 महिला मतदाताओं की संख्या
  • नगर निगम में 6 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल
  • अंबिकापुर नगर निगम में कुल 48 वार्ड
  • इस बार मतदान के लिए 137 पोलिंग बूथ बनाये गए हैं
  • 35.36 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में बसा है नगर निगम
  • नगर निगम के लिए चौथी बार होने जा रहा है चुनाव
  • अब तक 2 बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस का कब्जा
  • 1983 से 10 साल तक नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं टीएस सिंहदेव

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दुर्ग नगर निगम
कई दिग्गज नेताओं की नगरी होने के बावजूद दुर्ग में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. लोग बुनियादी सेवाओं के लिए तरस रहे हैं. कांग्रेस के महासचिव मोतीलाल वोरा, बीजेपी की महासचिव सरोज पांडेय, प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू इसी शहर से आते हैं. इसके बावजूद शहर के लोग गंदगी, पेय जल जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. दुर्ग नगर निगम में 20 साल से बीजेपी काबिज है. वर्तमान में शहर की हालत सुधारने के लिए विभिन्न कार्य किए गए हैं. जिसे लेकर ने ETV भारत जनता से राय जानने पहुंची. आखिर विकास कार्यों और यहां के नेताओं को लेकर यहां की जनता क्या सोचती है.

  • कुल वार्ड - 60
  • कुल मतदाता - 2 लाख 16 हजार 62
  • महिला मतदाता - 1 लाख 9 हजार 234
  • पुरुष मतदाता - 1 लाख 6 हजार 804
  • अन्य मतदाता - 24

दुर्ग नगर निगम का इतिहास

  • 1918 में यह पालिका के रूप में अस्तित्व में आया.
  • यहां 1984 में पहला निगम चुनाव हुआ
  • दुर्ग नगर निगम पहले महापौर सुच्चा सिहं ढिल्लो
  • पहले यहां 40 वार्ड थे अब 20 नए वार्ड और जुड़े
  • वर्तमान में महापौर बीजेपी की चंद्रिका चंद्राकर हैं
  • 2014 नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे
  • बीजेपी पार्षद - 22
  • कांग्रेस पार्षद - 25
  • निर्दलीय पार्षद - 13


रायगढ़ नगर निगम
2014 के चुनाव में रायगढ़ वासियों ने एक अप्रत्याशित जनादेश दिया. इस जनादेश में निर्दलीय प्रत्याशी मधुबाई किन्नर को महापौर बनाया गया. मधुबाई के महापौर बनने का बाद रायगढ़ वासियों को लगा कि विकास की बयार बहेगी, लेकिन राजनीतिक अनुभव न होने और किसी पार्टी से नहीं जुड़े होने के कारण इसका नुकसान रायगढ़ वासियों को उठाना पड़ा.

इस चुनाव में महापौर के पद के लिए भाजपा से महावीर चौहान और कांग्रेस के जेठूराम मनहर चुनावी मैदान में उतरे थे जिसमें भाजपा दूसरे स्थान पर रही.

  • कुल वार्ड- 48
  • कुल मतदाता- 1लाख 34 हजार 433
  • पुरुष मतदाता - 68 हजार 417
  • महिला मतदाता- 66007
  • अन्य मतदाता- 9
  • कुल मतदान केंद्र 173
  • सहायक मतदान केंद्र 2
  • अति संवेदनशील मतदान केंद्र 26

रायगढ़ नगर निगम का इतिहास

  • 2002 में रायगढ़ नगर पालिका को भंग कर नगर निगम बनाया गया
  • 2002 से 2004 तक प्रशासन ने किया निगम का संचालन
  • 2004 में पहला प्रत्यक्ष चुनाव हुआ
  • 2004 में कांग्रेस के जेठूराम मनहर महापौर बने
  • 2009 में भाजपा के महेंद्र चौथा महापौर बने


राजनांदगांव नगर निगम
नगरीय निकाय चुनाव में इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनने की व्यवस्था ने भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टी के लोगों को टेंशन में डाल दिया है. राजनांदगांव नगर निगम की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव है, तो वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम लेकर आई कांग्रेस ने इस बार नगरीय निकाय की सत्ता हथियाने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर रखी है. इतना ही नहीं निर्दलियों ने भी अपने मजबूत कदम वार्डों में जमा रखे हैं.

नगर निगम राजनांदगांव में 51वार्ड आते हैं. इन वार्डों में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग की जनसंख्या है और इसके बाद जनरल कैटेगरी के मतदाताओं की संख्या है. वर्तमान में 124601 मतदाता हैं, जिनमें महिला वोटर की संख्या 63860 है. वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 60739 है. आरक्षण के बाद 18 वार्डों में परसीमन का कोई असर नहीं पड़ा है. इन वार्डों में जनसंख्या को लेकर कोई बदलाव नहीं हुए हैं. वहीं शहर में दो नए वार्ड अस्तित्व में आए हैं. इसके अलावा 21 वार्डों की सीमाओं और जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है. इसके चलते राजनीतिक समीकरण भी बदले हैं.

दो बार कांग्रेस, 5 बार भाजपा और एक बार निर्दलीय का रहा कब्जा

  • नगर निगम की सत्ता में 5 बार भारतीय जनता पार्टी के महापौर का कब्जा रहा है. वहीं दो बार कांग्रेस प्रत्याशी महापौर चुने गए. एक बार विजय पांडेय के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी ने प्रत्यक्ष चुनाव से जीत दर्ज कर महापौर की सत्ता हथियाई थी.
  • सन 1994 में शरद वर्मा महापौर बने. इसके बाद राजनीतिक उठापटक के चलते साल 1996 में अजीत जैन महापौर बने.
  • 1999 में हुए चुनाव में विजय पांडेय को प्रत्यक्ष प्रणाली से जीत हासिल हुई और वे महापौर बने.
  • इसके बाद राज्य शासन से उन्हें हटाकर कार्यवाहक महापौर के रूप में सुदेश देशमुख को कमान सौंपी. सन 2004 में भाजपा की सत्ता आने के बाद राजनांदगांव नगर निगम में मधुसूदन यादव को कार्यवाहक महापौर बनाया गया.
  • साल 2005 में शोभा सोनी महापौर बनी जो कि भाजपा से चुनकर आई थी. फिर इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी नरेश डाकलिया महापौर बने. इसके बाद सन 2015 में महापौर की कमान वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव के हाथों में जनता ने सौंपी.
  • ओबीसी महिला के खाते में आई महापौर की सीट

कोरबा नगर निगम
प्रदेश की ऊर्जाधानी कही जानी वाली कोरबा नगरी में लोगों को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है. पिछली चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्कर थी.जबकि इस बार लड़ाई चौतरफा होगी कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी, जनता कांग्रेस भी मैदान में है. नगर निगम चुनाव से पहले ETV भारत ने लोगों से जाना शहर में विकास का हाल.

  • कुल वार्ड - 67
  • कुल मतदाता - 2 लाख 75 हजार
  • महिला मतदाता - 1 लाख 34 हजार 589
  • पुरूष मतदाता - 1 लाख 40 हजार 392

धमतरी नगर निगम

135 साल तक धमतरी नगर पालिका रही है. पांच साल पहले सीमांकन के बाद धमतरी को नगर निगम घोषित किया गया है. धमतरी को नगर निगम बने 5 साल हो गए हैं, लेकिन यहां आज भी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. पार्षद और महापौर का कहना है कि शहर में विकास कार्य हुए हैं, लेकिन लोगों का आरोप है कि वार्ड में नाली से लेकर सड़क-पानी, सब्जी मंडी समेत तमाम समस्याएं आज भी हैं. नाली की सफाई नहीं होने से नालियां बजबजाती रहती है, जिससे वार्ड में बीमारियां फैलती है. इससे लोगों में कहीं न कहीं नाराजगी है.

देश-प्रदेश में भले ही कई दशकों तक कांग्रेस की सत्ता रही है, लेकिन धमतरी निकाय में आज तक कांग्रेस काबिज नहीं हो सकी है. यहां लगातार शासन करने का रिकॉर्ड पहले जनसंघ और बाद में सिर्फ भाजपा के पास है.

धमतरी का राजनैतिक इतिहास देखें, तो यहां अनेक ऐसे नेता हुए हैं, जिनकी प्रदेश की राजनीति में धाक रही है. बाबू पंडरीराव कृद्दत ने जी तोड़ मेहनत कर जनसंघ की मजबूत नींव रखी, तो वहीं कांग्रेस के लिए भोपालराव पवार एक बड़ा नाम हुआ करता था. वे अविभाजित मध्यप्रदेश में शिक्षामंत्री थे.

Last Updated : Dec 23, 2019, 11:54 PM IST

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