रायपुर : सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले (CM formula of two and a half year) की वजह से अक्सर आमने सामने दिखाई देते हैं. पिछले कई दिनों से दोनों के बीच मनमुटाव साफ देखा जा सकता है. सिंहदेव ने सीएम बघेल के फैसले पर विरोध दर्ज किया है. अब सिंह देव खुलकर विरोध करने से नहीं चूक रहे हैं.
बघेल और सिंहदेव के बीच बढ़ रही दूरियां
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पताल (private hospitals in rural areas) खोलने की योजना बनाई है, लेकिन उसके विपरीत स्वास्थ्य मंत्री ने इस योजना की जानकारी ना होने की बात कही. उन्होंने सरकार के निर्णय पर भी आपत्ति जताते हुए अपना खुलकर विरोध दर्ज कराया है. इसके पहले भी कोरोना की महत्वपूर्ण बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को नहीं बुलाया गया था उस दौरान भी बघेल और सिंहदेव के बीच की दूरी की चर्चा जोरों पर थी. हालांकि कुछ समय बाद यह विवाद थम गया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में निजी अस्पताल खोले जाने के निर्णय के बाद इन दोनों के बीच एक बार फिर विवाद देखा जा रहा है.
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दूरी का क्या होगा असर
भूपेश बघेल और सिंहदेव के बीच ऐसे दूरी बनी रही तो इसका सरकार और पार्टी पर बुरा असर पड़ेगा. ETV भारत से जानकारों ने इस पर चर्चा की है.
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विरोध में आए थे सिंहदेव
विपक्ष की बात की जाए तो उनका कहना है कि वर्तमान में सरकार में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि अभी तक इसलिए मामला रुका हुआ था कि टीएस बाबा को लगता था कि ढाई साल के बाद उनकी मांग पर केंद्रीय नेतृत्व मुहर लगाएगा और उन्हें मुख्यमंत्री बनाएगा. इसलिए वह कई बातें संकोच करते हुए कहते थे, लेकिन जब ढाई साल पूरे होने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो अब सिंहदेव की बातें खुलकर सामने आने लगी है. उनके मंत्रालय संबंधित निर्णय में उनकी उपेक्षा की गई, उनसे पूछा नहीं गया. इतना बड़ा फैसला उनसे बिना पूछे ही ले लिया गया, सार्वजनिक रूप से उन्होंने अपना गुस्सा व्यक्त किया है. ऐसा पूर्व में होता रहा कि उनके विभाग की बैठकों में उन्हें नहीं बुलाया गया, लेकिन इतना खुलकर उन्होंने कभी आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी. उपासने ने कहा कि घोषणा पत्र बनाने में सिंहदेव की महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन सरकार उस घोषणा पत्र के अनूरूप भी काम नहीं कर रही है, इसकी आपत्ति भी सिंहदेव पहले ही दर्ज करा चुके हैं. यही वजह है कि सरकार में अब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
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कांग्रेस का मिशन 2023 कभी नहीं होगा पूरा
उपासने ने कहा कि कांग्रेस में गुटबाजी बहुत तेजी से चली आ रही है. निगम मंडल आयोग की घोषणा नहीं होना, गुटबाजी का कारण है. कांग्रेस के अंदर भी अंदरूनी तौर पर विरोध के स्वर नजर आ रहे हैं. सिर्फ विज्ञापनों में इनकी योजना दिख रही है, धरातल पर सभी विकास के कार्य ठप पड़े हुए हैं. यही कारण है कि कांग्रेस का मिशन 2023 कभी पूरा नहीं होगा.
भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच नहीं है कोई मनमुटाव
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच चल रहे मनमुटाव को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के बीच कोई मनमुटाव नहीं है. भाजपा की यही भूमिका है फूट डालो और राज करो. मरकाम ने कहा कि आज भाजपा ढाई साल से सरकार से बाहर है उसकी छटपटाहट उनमें साफ तौर पर देखी जा सकती है. टीम भावना के साथ मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री काम कर रहे हैं.
हमारा टारगेट 70 प्लस
मरकाम ने कहा कि व्यापारी, मजदूर, किसान सभी वर्ग यहां खुश है और हमें लगता है कि सरकार की उपलब्धियों के दम पर मिशन 2023 में हम विजय हासिल करेंगे. हमारा टारगेट 70 प्लस ही होगा, माइनस 70 नहीं होगा.
छत्तीसगढ़ में पंजाब और राजस्थान जैसी स्थिति!
वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी का कहना है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच मतभेद की स्थिति है. यह मतभेद छत्तीसगढ़ को आगे जाकर पंजाब या फिर राजस्थान की तरह स्थिति में लाकर खड़ा न कर दें. मतभेद का मतलब है कि सरकार में तालमेल के साथ काम नहीं होगा और खींचतान होगी. गुटबाजी भी देखने को मिलेगी जो पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा. 70 प्लस का जो टारगेट लेकर कांग्रेस चल रही है उसे पार पाना संभव नहीं होगा.
विभाग के नीतिगत फैसलों में सिंहदेव को नहीं किया जा रहा शामिल
अभी स्वास्थ्य मंत्री के बयान को देखकर तो यही लगता है कि जो विभागीय नीतिगत निर्णय लेना है उसमें स्वास्थ्य मंत्री को सरकार शामिल नहीं कर रही है. यदि जल्द इस गतिरोध को दूर नहीं किया गया तो आने वाले समय में सरकार और पार्टी दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
कांग्रेस सरकार को ढाई साल पूरे हो गए हैं, लेकिन जो ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले की बात सामने आ रही थी उस पर हाईकमान ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है. यही कारण है कि अब ढाई साल पूरा होते ही सिंहदेव सरकार के निर्णय के विरोध में खुलकर बोलने लगे हैं. यदि यही हाल रहा तो इसका खामियाजा आने वाले समय में सरकार और कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ सकता है. ऐसे में मिशन 2023 के लिए कांग्रेस की रणनीति को झटका लग सकता है. ऐसे में 70 प्लस का लक्ष्य कैसे हासिल होगा?.