रायपुरः
उज्जवला योजना 1.0 के सिलेंडर हुए कबाड़, अब 2.0 से गैस चूल्हा जलवाने की कवायद तेज
केन्द्र सरकार ने 10 अगस्त को उज्जवला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की है. सरकार का दावा है कि योजना के पहले चरण में ही लोगों को बड़ी राहत मिली थी. लोग अब लकड़ी, कोयले और मिट्टी तेल से चूल्हों पर खाना बनाने के बदले गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ की स्थिति इससे बिल्कुल विपरीत बताई जा रही है. यह प्रदेश में उज्ज्वला योजना के आंकड़े बता रहे हैं. ऐसे में यह देखना लाजिमी है कि अब उज्जवला योजना 2.0 का क्या हाल होता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को उज्जवला योजना (ujjwala yojna) के दूसरे चरण की शुरुआत की है. दूसरे चरण को पहले चरण की तुलना में बेहतर करने का प्रयास किया गया है. योजना के दूसरे चरण (second faze) के तहत सबसे बड़ी सुविधा यह दी गई है कि कनेक्शन के लिए राशन कार्ड या कोई अन्य एड्रेस प्रूफ देने की अब आवश्यकता नहीं होगी. इस तरह उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन (gas connection) लेने वालों का दायरा काफी हद तक बढ़ जाएगा.
1 मई 2016 को उज्जवला योजना की हुई थी शुरुआत
"स्वच्छ ईंधन,बेहतर जीवन" के नारे के साथ केंद्र सरकार ने 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक सामाजिक कल्याण योजना प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत 5 करोड़ परिवार हो खासकर गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने वाली महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराए गए थे. यह योजना इसलिए लाई गई थी, ताकि इससे प्रदूषण भी कम हो और पेड़-पौधे भी कम कटे और महिलाओं बच्चों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहे.
साढ़े 4 साल में ही 8 लाख गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य पूरा
इस योजना के शुरू होते ही केंद्र सरकार ने एक लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसके तहत 5 साल में 8 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन यह लक्ष्य निर्धारित समय के 6 महीने पहले मतलब साढ़े 4 साल में ही पूरा कर लिया गया.
जिन्होंने लिये थे गैस कनेक्शन, फिर से चूल्हे पर ही खाना बनाने को मजबूर
छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहा पूर्व में संचालित उज्जवला योजना का लाभ भी लोगों को नहीं मिल रहा है. जिन लोगों ने उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन लिए थे, आज आलम यह है कि वे लोग फिर से चूल्हे पर ही खाना बनाने को मजबूर हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि लगातार गैस के दाम बढ़ते जा रहे हैं. सब्सिडी भी कम मिल रही है और सरकार द्वारा उज्जवला योजना के तहत मिलने वाले सिलेंडर के दामों में भी किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी गई है.
29 लाख में से महज 7 लाख गैस कनेक्शन की ही हो रही रिफिलिंग
फरवरी 2021 में मिले आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 29 लाख 6 हजार के लगभग उज्जवला गैस कनेक्शन हैं. इनमें से उज्जवला गैस कनेक्शन के तहत प्रति महीने केवल 7 लाख 18 हजार गैस रिफिलिंग हो रही है. गैस एजेंसी से मिले आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 तक इन 9 महीनों के दौरान कुल 64 लाख 7 हजार गैस की रिफलिंग की गई है.
उज्जवला योजना 1.0 के सिलेंडर हुए कबाड़, उज्जवला 2.0 से कोई उम्मीद नहीं
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि उज्जवला योजना 1 से गैस सिलेंडर कबाड़ हो रहे हैं. जितने गैस सिलेंडरों का वितरण हुआ और जितने हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया गया, रिफिलिंग की संख्या उसकी एक-तिहाई भी नहीं है. मतलब दो-तिहाई लोग सिलेंडर रिफिल नहीं करा पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में मोदी सरकार द्वारा उज्जवला 2.0 की घोषणा बहुत ही चिंता का विषय है. मोदी सरकार को सबसे पहले उज्जवला 1.0 में समुचित क्रियान्वयन पर ध्यान देना चाहिए.
केंद्र की योजनाओं पर आपत्ति और उपहास उड़ाना कांग्रेस सरकार की बन चुकी है नीति
इधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा उज्जवला योजना का विस्तार किया गया है. इसका लाभ गरीबों को मिल रहा है. उज्जवला योजना की वजह से लोगों की जीवन शैली में बदलाव आया है, इससे कांग्रेस को पीड़ा क्यों हो रही हैं. लोगों के घरों पर सिलेंडर पहुंच रहा है, इससे किसी को क्या पीड़ा हो सकती है. लेकिन यह विकास विरोधी लोग हैं जिन लोगों को आज केंद्र सरकार की हर योजना से आपत्ति है. कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर भी सिर्फ राजनीति कर रही है.