रायपुर: कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान मजदूर, किसान सहित सभी वर्ग किसी न किसी तरीके से परेशान हैं और इस परेशानी से निजात दिलाने केंद्र और राज्य सरकारें अपनी-अपनी योजनाओं का पिटारा खोलने के दावे कर रही है. लेकिन इस पिटारे से जरूरतमंदों तक मदद पहुंचती हुई दिखाई नहीं दे रही है. यही कारण है कि मजदूर बड़ी संख्या में पैदल या ट्रकों के माध्यम से अपने गांव लौट रहे हैं. थोड़ी बहुत मदद पहुंच रही है उसे लेकर भी केंद्र सहित राज्य सरकार उसका श्रेय लेने में लग गई है.
चाहे फिर वह ट्रेनों और बसों के माध्यम से मजदूरों और लोगों को उनके गृह ग्राम तक पहुंचाने का मामला हो या फिर उन तक भोजन सामग्री पहुंचाना. इस दौरान मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराना शामिल है इसके अलावा भी कई योजनाएं है जो केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर चला रही हैं. लेकिन दोनों ही इस योजनाओं को अपनी बताकर श्रेय लेने में जुटी हुई है.
कोरोना संकट से उत्पन्न हुई स्थिति में राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को बार-बार पत्र लिखकर आर्थिक मदद की मांग की जा रही है, वहीं केंद्र सरकार भी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकारों तक राहत पहुंचाने के दावे कर रही है.
मंत्री रविंद्र चौबे का केंद्र सरकार पर आरोप
लेकिन मंत्री रविंद्र चौबे की माने तो केंद्र सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज में से किसानों और श्रमिकों को एक रुपए का भी सहयोग नहीं किया गया है. केंद्र सरकार की ओर से किसान और मजदूरों के लिए 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना लागू की गई है जिसमें अगस्त 2020 से 5 किलो खाद्यान्न योजना और 2 साल बाद किराए में रहने वाले लोगों के मकान की सिर्फ घोषणा की गई है. लेकिन अभी जो मजदूर प्रदेश वापस लौट कर आएंगे तो उन्हें किस तरह से मदद पहुंचे इसकी योजना के सरकार के पास नहीं है.
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