रायपुर: किसी भी समाज के विकास का सीधा संबंध उस समाज की महिलाओं के विकास से जुड़ा होता है. महिलाओं के विकास के बिना व्यक्ति, परिवार और समाज के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती. ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की नव दुर्गा में हम आपको एक ऐसी ही महिला शक्ति से रूबरू कराने जा रहे हैं. जिन्होंने महिलाओं के विकास के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है. हम बात कर रहे हैं, रायपुर की रहने वाली समाजसेविका जया द्विवेदी की. जिन्होंने 500 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया.
सवाल: आपने सुदूर अंचल की बहुत सी महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया, इसकी शुरुआत कैसी की?
जवाब: शुरू से ही मेरा उद्देश्य रहा है कि मानव से लेकर जीव-जंतु और पर्यावरण की रक्षा की जाए. क्योंकि इन सब पर हमारा अधिकार नहीं होता. इसी तरह की भावना लेकर मैंने सबसे पहले महिलाओं को सशक्तिकरण करने का सोची. क्योंकि महिला जब भी कुछ अर्न करती है तो उसे अपनी फैमिली के लिए ही लगाती है. जिससे वह घर सुदृढ़ हो जाता है. यह सोच कर मैंने छोटे-छोटे काम शुरू किए. इस पर मैंने सरकार या किसी व्यक्ति से कोई मदद नहीं ली. खुद के ही पैसों से मैंने जितना हो पाया, वह किया. उसके बाद छोटे छोटे लघु उद्योग की शुरुआत की. जिसमें महिलाओं से पूछकर कि वह किस तरह का काम पसंद करेंगी. उनके मुताबिक काम की शुरुआत की. अभी काफी महिलाएं सक्षम है. सबसे जय फोकस मेरा बस्तर में है. क्योंकि वहां के बच्चे या उनके माता पिता को सेनेटरी नैपकिन क्या होता है. इसके बारे में जानकारी नहीं है. ऐसे में वहां के 3000 बच्चों को सेनेटरी नेपकिन फ्री में वितरित की. अभी 3000 सेनेटरी नैपकिन फिर बना रही है. उसे भी नि:शुल्क वितरित की जाएगी. मैं वहां की महिलाओं को माला छोटी-छोटी बांस की टोकरी, राखी बनाने की ट्रेनिंग दी. इसमें बच्चियां भी शामिल रहीं.
सवाल:500 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया, उन महिलाओं को अपने कैसे जोड़ा?
जवाब: मेरे पास महिलाओं के अलावा पुरुष और यंग बच्चे भी हैं. जिनकी संख्या एक से डेढ़ हजार है. उनसे ज्यादा भी बच्चे मेरे साथ जुड़ना जाते हैं. क्योंकि आप धरातल में यदि काम करते हैं तो आपके साथ पूरा गांव जुड़ जाता है. मेरे पास तो 500 से 800 महिलाएं रजिस्टर्ड हैं. कई गांव हैं जहां पूरे के पूरे गांव में काम कर रही हूं. मेरा सपना बहुत अलग है, अगर ईश्वर ने चाहा तो मैं वह काम करूंगी जो छत्तीसगढ़ में शायद कोई सोच भी नहीं सकता. बस्तर में मैंने बहुत से काम किए. करीब एक हजार गायों को कटने से बचाया. कई गौशालाओं को पुनर्जीवित किया. तीन चार गौशालाएं खोल कर भी दी. मैं एक प्रोजेक्ट को लेकर काम कर रहीं हूं. जिसमें दो तीन गांव को गोद लेने की तैयारी है.
सवाल: पहले आप बैंक में जॉब कर रहीं थी, रिजाइन देने की क्या वजह है?
जवाब: मैंने 3-4 बैंकों में काम किया. कुछ में ब्रांच मैनेजर भी रहीं. इंडिया में एचडीएफसी में वो रिकॉर्ड बनाया है, जिसे कोई नहीं तोड़ सकता. मैं हर जगह टॉप पर रही है. इसके लिए काफी मेहनत किया. मेरा यह ध्येय कभी नहीं रह कि मुझे पैसा कमाना है. मुझे नाम के साथ अपने इज्जत के साथ काम करना है. मुझे लगा कि मेरे में काबिलियत है. फिर मैने रिजाइन किया और खुद की जयास टेक्नोलॉजी के नाम से कंपनी डाली. जिसमें मुझे सरकारी काम भी बहुत अच्छे मिले. उस काम में मुझे अच्छी अर्निंग भी हुई.