रायपुर : कोरोना संक्रमण के कारण हरेक क्षेत्र प्रभावित हो रहा है. वहीं इसका असर त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है. कोविड-19 के कारण लोगों की जीवनशैली में काफी परिवर्तन आया है. 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाता है. इस साल गिरजाघर और चर्च में सादगी पूर्ण तरीके से क्रिसमस मनाया जाएगा. हर साल होने वाले भव्य आयोजन इस साल नहीं किए जाएंगे. प्रार्थना के लिए भी बारी-बारी से लोगों के समूह को बुलाया जाएगा.
कोरोना के कारण क्रिसमस भी पड़ा फीका बैरन बाजार स्थित संत जोसेफ महागिरजाघर के फादर ने बताया कि इस बार ईसा मसीह का जन्म आध्यात्मिक तरीके से मनाया जाएगा. अन्य आयोजन नहीं किए जाएंगे. सामूहिक रूप से खानपान या सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं किए जाएंगे.
कोरोना गाइडलाइन का किया जाएगा पालनसरकार की गाइडलाइन के अनुसार चर्च में आने वाले सभी लोगों की जानकारी ली जाएगी. मास्क लगाना अनिवार्य होगा. एक समय में 200 से ज्यादा लोग प्रार्थना नहीं कर पाएंगे. 10 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को चर्च आने की मनाही होगी.
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रैली निकालने की परम्परा टूटेगी
रायपुर के सभी चर्च मिलकर हर साल क्रिसमस के मौके पर भव्य जुलूस निकाला करते थे, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार किसी तरह की रैली या जुलूस का आयोजन नहीं किया गया है. हर साल बड़ी-बड़ी झांकियों के साथ बड़ी संख्या में लोग इस रैली में भाग लिया करते थे, लेकिन कोरोना के कारण सबकुछ की मनाही है.
कैरोल गीत का भी आयोजन नहीं
चर्च के फादर ने बताया कि ईसा मसीह के जन्म को लेकर घर-घर जाकर कैरोल गीत और प्रार्थना गाया जाता था. लोगों को शुभ संदेश दिए जाते थे, लेकिन इस साल यह कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया गया है. साथ ही चर्च में आने वाले लोगों को केक बांटने पर भी रोक है.
सादगी से मनाया जाएगा क्रिसमस
हर साल की तरह इस साल भी गिरिजाघरों में सजावट की जाएगी, लेकिन आयोजन फीका रहेगा. ईसा मसीह का जन्म 2000 साल पहले हुआ है और उनका जन्म गौशाला में हुआ था. इसे याद करते हुए झांकी स्वरूप गौशाला तैयार की जाएगी.