रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी पहली रेडियोवार्ता लोकवाणी के जरिए प्रदेश की जनता से रूबरू हुए. रेडियोवार्ता में उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा बदलने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों एवं कार्यों की जानकारी दी.
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण जनजीवन को खुशहाल बनाने के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी 'सुराजी गांव योजना' को विस्तार से बताया. कृषि और ग्रामीण विकास विषय पर पहली कड़ी में पूछे गए सवालों के जबाव दिए. लोगों ने मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों 2500 रुपए में धान खरीदी, तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर 4 हजार रुपए मानक बोरा करने के साथ ही छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार हरेली, तीजा, माता कर्मा जयंती, छठ पूजा और विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश के लिए बधाई भी दी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 'खेती राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार है. किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिलता है, तब वह पैसा गांव से लेकर शहर तक बाजारों में आता है. खेती चलती है तो कारखाने के पहिए भी चलते हैं. इसलिए हमने किसानों और उनके माध्यम से गांवों को समृद्ध बनाने की रणनीति अपनाई हैं. हमने 2500 रुपए क्विंटल में धान खरीदी, कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी और वन टाइम सेटलमेंट का निर्णय लिया ताकि जितनी जल्दी हो सके किसानों को अपना खोया हुआ मान-सम्मान वापस मिल सके'. दीर्घकालिक योजना पर काम करते हुए हमने ‘नरवा, गरुवा, घुरवा अउ बारी’ को संस्थागत रूप से विकसित करने का निर्णय लिया है'.
एक हजार नरवा होंगे पुनर्जीवित
मुख्यमंत्री ने कहा कि 'विज्ञान और तकनीक की मदद से हमने प्रदेश के 1000 नरवा को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है. नरवा में सतत् जल प्रवाह होगा तो ट्यूबवेल में जलस्तर बना रहेगा'. 'प्रदेश का 44 प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित है, इसलिये ऐसे वॉटर स्ट्रक्चर बनाएंगे, जिससे पर्यावरण या वन अधिनियम का उल्लघंन न हो.