रायपुर/बस्तर:छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल कार्यक्रम में प्रदेश के स्कूलों में शाला प्रवेश उत्सव का शुभारंभ (chhattisgarh government reopend 260 schools in bastar) किया. मुख्यमंत्री ने नक्सल प्रभावित चार जिलों- सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर में डेढ़ दशक से बंद पड़े 260 स्कूलों को फिर से शुरू किया. इन स्कूलों में 11 हजार 13 बच्चों ने प्रवेश लिया है. बीजापुर जिले में सबसे अधिक 158, सुकमा जिले में 97, नारायणपुर जिले में 4 और दंतेवाड़ा जिले में एक बंद स्कूल फिर से खोला जा (Education get boost in Naxalgarh) रहा है. शाला प्रवेश उत्सव के साथ ही प्रदेश के प्राथमिक स्कूल परिसरों में 6 हजार 536 बालवाड़ियों को भी शुरू किया गया (Shala Pravesh festival in Bastar) है.
सीएम बघेल समारोह में हुए शामिल: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा ''प्रदेश में शिक्षा की अधोसंरचना और गुणवत्ता (chhattisgarh government schools reopen) बढ़ाने के लिए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी और हिन्दी माध्यम स्कूल संचालित किए जा रहे हैं. इसके अंतर्गत प्रदेश में 171 अंग्रेजी माध्यम और 32 हिन्दी माध्यम स्कूलों का संचालन किया जा रहा है. जिन स्थानों से मांग आ रही है, उन स्थानों पर इस योजना का लाभ देने की व्यवस्था की जा रही (Education in Naxalite areas of Bastar) है. हमारा प्रयास है कि शासकीय स्कूलों की उत्कृष्टता का स्तर किसी भी निजी स्कूल से कम न हो. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य भी उज्ज्वल हो. सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं नए शिक्षा सत्र के शुभारंभ और शाला प्रवेश उत्सव को सार्थक बनाते हुए नई ऊर्जा और संकल्प के साथ शिक्षादान के कार्य में पूरे समर्पण के साथ जुट जाएं. सब मिलकर शिक्षित छत्तीसगढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाएं.''
सीएम बघेल ने प्रवेश शाला उत्सव में लिया हिस्सा शिक्षा मंत्री ने बस्तर में शिक्षा को मिशन बताया : छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा ''नए शिक्षा सत्र के प्रारंभ से ही हम मिशन मोड में हैं. हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ-साथ मूलभूत सुविधा को दुरूस्त करने कृत संकल्पित हैं. शिक्षा सत्र के प्रारंभ में भी हमने लक्ष्य तय किया है कि सभी बच्चों को भाषाई ज्ञान, अंक ज्ञान के साथ-साथ पढ़ना-लिखना और बोलना आ जाए. समय-समय पर अपने स्तर पर उनके ज्ञान का आकलन भी करेंगे.''
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ज्ञान दूत की भी हुई नियुक्ति: बीजापुर से कार्यक्रम में जुड़े प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा ''15 वर्षों से बंद स्कूल खुलने से नक्सल प्रभावित इलाके के बच्चों में उत्साह और पालकों के चेहरे पर खुशी है.'' बीजापुर जिले में साल 2005 से 300 स्कूल बंद थे. इनमें से कडेनाल,पड़ेदा, काकेकोरमा, पालनार, पुसनार समेत 158 बंद स्कूलों को खोला गया है. स्कूल के संचालन के लिए ग्रामों में ज्ञान दूत की नियुक्ति की गई है, जिनके माध्यम से शिक्षा दी जा रही है. गुरुवार को बीजापुर में शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम हुआ. इसमें भोपालपटनम, भैरमगढ़, बीजापुर समेत उसूर ब्लॉक के मुख्यालय और बंद स्कूलों के गांव के बच्चे पहुंचे.
बस्तर में 400 से अधिक स्कूल थे बंद: बस्तर में करीब 15 साल पहले नक्सलवाद के खिलाफ चलाये गए अभियान.. सलवा जुड़ूम के दौरान हुई हिंसा में इन इलाके के स्कूलों की बलि चढ़ गई. जगदलपुर के वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बाजपेयी के मुताबिक तब नक्सलियों ने स्कूलों की इमारतों को बम से उड़ा दिया था. नक्सली मानते थे कि सलवा जुड़ूम के कार्यकर्ता और सुरक्षा बल के जवान स्कूल भवनों का उपयोग छिपकर हमला करने के लिए करते हैं. दो पक्षों के बीच छिड़ी जंग का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा. 15 साल के लंबे इंतजार के बाद भी इस इलाके में शिक्षा की ज्योत नहीं जली. बस्तर क्षेत्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगभग 15 वर्षों से करीब 400 सरकारी स्कूल बंद हैं. राज्य सरकार ने सुकमा, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों के इन 400 में से 250 से अधिक स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला लिया.
विश्वास, विकास और सुरक्षा के साथ बनाई गई योजना: प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि ''राज्य की पूर्ववर्ती बीजेपी की सरकार के समय बस्तर क्षेत्र के स्कूलों को बंद किया गया. कभी सलवा जुड़ूम तो कभी नक्सली आतंक के नाम पर स्कूलों को बंद किया गया. बीजेपी शासनकाल में बस्तर क्षेत्र के 400 से अधिक स्कूल बंद किए गए. राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे प्राथमिकता पर रखा कि बस्तर क्षेत्र के बंद पड़े स्कूलों को फिर से शुरू किया जाए ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके.''
बस्तर के लोगों में जगा विश्वास: सुशील आनंद शुक्ला के मुताबिक इस काम के लिए सरकार ने विश्वास, विकास और सुरक्षा के साथ कार्ययोजना बनाई. इसका परिणाम यह हुआ कि बस्तर क्षेत्र में शांति की बहाली हुई. लोगों में विश्वास की बहाली हुई और बस्तर के बंद स्कूलों में से ज्यादातर स्कूलों को खोलने में सरकार ने सफलता प्राप्त की. शुक्ला ने कहा कि ''इन स्कूलों में पढ़ाई फिर से शुरू हो रही है, यह संतोष की बात है. सरकार ने एक लक्ष्य हासिल किया है लेकिन आगे शत-प्रतिशत स्कूलों को न सिर्फ खोला जाएगा बल्कि आवश्यकता के अनुरूप वहां नए स्कूल भी खोले जाएंगे.'' शुक्ला ने यह भी बताया कि इन इलाकों में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल भी खोले जाएंगे.
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पढ़ाई होगी तब दावों पर होगा भरोसा: भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि ''यह महज सरकार के आंकड़ों की जादूगरी है. जब इन सभी स्कूलों में बच्चे जाएंगे, वहां पढ़ाई होगी... तभी दावों पर भरोसा किया जाएगा. राज्य सरकार झूठे आंकड़े दिखाकर जनता को भ्रमित करती है.'' श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि बस्तर में भी जिन 460 स्कूलों को खोलने की बात की जा रही है, वह भी महज आंकड़ों का जाल है. धरातल में तस्वीर कुछ अलग ही है.
नक्सलगढ़ में शिक्षा रूपी शस्त्र रामबाण: नक्सल गढ़ में बंद स्कूल दोबारा खुलने पर नक्सल एक्सपेक्ट वर्णिका शर्मा का कहना है ''यह एक अच्छी पहल है. इसका लाभ क्षेत्र के बच्चों को मिलेगा. यह भी देखने की जरूरत है कि मैदानी क्षेत्रों में खोले जाने वाले स्कूल और जनजाति क्षेत्र में खोले जाने वाले स्कूलों में थोड़ा अंतर है. ऐसे में वहां की व्यवस्था स्थानीय आधार पर की जाएगी तो उसके और भी बेहतर परिणाम सामने आएंगे. प्रशासन के द्वारा जो ढांचा तैयार करके दिया जा रहा है, उसकी लगातार मॉनिटरिंग की जरूरत है. शिक्षा ही एक ऐसा शस्त्र है जो उस क्षेत्र में नक्सली चुनौती का सामना करने के लिए रामबाण साबित होगा.''
नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा की राय