रायपुर: छत्तीसगढ़ में गुरुवार को 1 हजार 734 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई है. वहीं 1 हजार 259 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है. प्रदेश में अब तक स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज मरीजों की संख्या 1 लाख 70 हजार 760 है. वहीं कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 23 हजार 113 है. जबकि अब तक कोरोना से 1 लाख 96 हजार 233 लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं गुरुवार को 13 लोगों की कोरोना से मौत हुई है, जबकि प्रदेश में अब तक कोरोना वायरस से 2360 लोगों की मौत हो चुकी है.
COVID 19 UPDATE: कोरोना पर नहीं होता ठंड या गर्मी का असर, मानवीय व्यवहार जिम्मेदार
08:14 November 06
छत्तीसगढ़ में 1,734 नए पॉजिटिव केस, गुरुवार को 11 की मौत
07:48 November 06
ठंड से नहीं घर बंद रहने और प्रदूषण से बढ़ सकता है कोरोना
छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर जारी है. साथ ही प्रदेश में गुलाबी ठंड ने भी दस्तक दे दी है. वैसे लोग ठंड के कारण कोरोना बढ़ने की आशंका से डरे हुए हैं, क्योंकि इस मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार लोगों को जल्दी होता है, लेकिन डॉक्टर्स का मनाना है कि ठंड का कोरोना पर असर नहीं होगा, बल्कि इस मौसम में घर अक्सर बंद रहते हैं. इस वजह से वायरस अंदर ही रह जाता है और संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा हो जाता है. वहीं ठंड में सतह से 50-60 फीट की ऊंचाई तक प्रदूषण ज्यादा रहता है, जिसके कारण कोरोना का संक्रमण फैल सकता है.
07:06 November 06
COVID 19 UPDATE: कोरोना पर नहीं होता ठंड या गर्मी का असर, मानवीय व्यवहार जिम्मेदार
भारतीय-अमेरिकी अनुसंधानकर्ता के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोनावायरस के प्रसार में तापमान या आर्द्रता की कोई प्रभावी भूमिका नहीं है. 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इनवायरमेंटल रिसर्च ऐंड पब्लिक हेल्थ' में प्रकाशित शोधपत्र से संकेत मिलता है कि कोरोनावायरस के संक्रमण का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रसार पूरी तरह से मानवीय व्यवहार पर निर्भर करता है, ना कि गर्मी या सर्दी के मौसम पर.अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मौसम केवल उस माहौल को प्रभावित करता है, जिसमें कोरोनावायरस किसी नए व्यक्ति को संक्रमित करने से पहले जिंदा रहता है.
अध्ययन में कहा गया कि मौसम हालांकि, इनसानी व्यवहार को भी प्रभावित करता है, जिससे वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है.अमेरिका के ऑस्टिन स्थित टेक्सास यूनिवर्सिटी में प्रोफसर देव नियोगी ने अध्ययन का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा, 'मौसम का प्रभाव कम है और अन्य पहलुओं जैसे लोगों की आवाजाही आदि संक्रमण के प्रसार में अधिक प्रभावी हैं. संक्रमण के प्रसार के सदंर्भ में विभिन्न कारकों को देखें, तो मौसम आखिरी है.' अध्ययन में मौसम को 'हवा के तापमान' के बराबर परिभाषित किया गया, जो तापमान और आर्द्रता का संयुक्त मूल्य है.