छत्तीसगढ़ विधानसभा में नया आरक्षण विधेयक सर्व सम्मति से पारित हो गया है.
CG Assembly Special Session Live Update: छत्तीसगढ़ विधानसभा में नया आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित
20:21 December 02
छत्तीसगढ़ विधानसभा में नया आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित
15:04 December 02
क्वॉन्टिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गई: नारायण चंदेल
विधानसभा विशेष सत्र अपडेट: छत्तीसगढ़ विधानसभा में दूसरे दिन की कार्रवाई जारी है. आरक्षण विधेयकों पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा, क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश ही नहीं की गई. सदन को उसकी कोई जानकारी नहीं है. सरकार कह रही है जनसंख्या के अनुपात को आरक्षण का आधार बनाया है तो बिना डाटा के कैसे आधार बना दिया. पहले डाटा पेश कर देते. फिर कानून बना लेते. सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी चर्चा अब भी जारी है. इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसपर जवाब देंगे. उसके बाद विधेयक पारित होगा.
13:16 December 02
राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़: भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश करने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने कहा बेहतर वित्तीय प्रबंधन से अक्टूबर माह तक 898 करोड़ का राजस्व अधिक मिला है. जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है. प्रदेश के सभी वर्गों की आय और क्रय क्षमता में वृद्धि हुई है. सौर सुजला योजनांतर्गत अनुपूरक में 105 करोड़ का प्रावधान है. बिजली बिल हाफ योजनांतर्गत अनुपूरक में 31 करोड़ का प्रावधान है. स्टील उद्योग के उपभोक्ताओं को राहत हेतु 57 करोड़ का प्रावधान है. राजीव गांधी किसान न्याय योजनांतर्गत 950 करोड़ का प्रावधान है. राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना अंतर्गत 129 करोड़ का प्रावधान. चालू वर्ष के प्रथम 8 माह (अप्रैल से नवंबर तक ) बाजार से कोई ऋण नहीं लिया गया. नवंबर माह तक 6 हजार करोड़ से अधिक का पूंजीगत व्यय राज्य के संसाधनों से किया गया. इससे राज्य की सुदृढ़ वित्तीय स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है."
11:54 December 02
छत्तीसगढ़ विधानसभा में सीएम भूपेश बघेल ने किया अनुपूरक बजट पेश
छत्तीसगढ़ विधानसभा में सीएम भूपेश बघेल ने विधानसभा में चार हजार तीन सौ सैंतीस करोड़ और पचहत्तर लाख तिरानवे हजार आठ सौ बत्तीस रूपये की अनुपूरक बजट का प्रस्ताव पेश किया गया.
09:53 December 02
CG Assembly Special Session Live Update
छत्तीसगढ़ में विभिन्न वर्गों को आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है. विशेष सत्र के दूसरे दिन राज्य सरकार आरक्षण से संबंधित दो विधेयक पेश कर रही है.मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 को पेश करेंगे. इसके साथ ही शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक को भी पेश किया जाना है. सत्ता पक्ष और विपक्ष की चर्चा के बाद इन विधेयकों को पारित कराने की तैयारी है. राज्य कैबिनेट ने इन विधेयकों के प्रारूप को 24 नवम्बर को हुई बैठक में मंजूरी दी थी.
राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक विधेयकों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 32 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए चार फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 76 प्रतिशत हो जाएगा.
आरक्षण पर ऐसे हुआ विवाद शुरू
राज्य में आरक्षण का मुद्दा तब उठा जब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितंबर 2022 को साल 2012 में जारी राज्य सरकार के सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाने के आदेश को खारिज कर दिया और कहा कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है.
इस फैसले के बाद राज्य में जनजातियों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है. राज्य में लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या जनजातियों की है. ओबीसी 14 फीसदी और एससी का आरक्षण 13 से बढ़कर 16 फीसदी हो गया है.
19 सितम्बर तक प्रदेश में 68% आरक्षण था. इनमें से अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण के साथ सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था थी. 19 सितम्बर को आए बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया. उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया है.
विधेयक पारित हुआ तो संकल्प आएगा
दोनों विधेयकों के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा में एक शासकीय संकल्प भी पेश करने वाले हैं. इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया जाना है कि वह छत्तीसगढ़ के दोनों आरक्षण कानूनों को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए. संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल विषयों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती. यानी सामान्य तौर पर इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.