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छत्तीसगढ़ की महिलाएं सड़क पर रात बिताने को मजबूर क्यों हैं ?

रायपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका कल्याण संघ के बैनर तले यह प्रदर्शन हो रहा है. कार्यकर्ता यहां रात में सड़कों पर सोने के लिए मजबूर हैं. तेज गर्मी में राजधानी की सड़कों पर रात गुजारने को विवश इन महिलाओं की अब तबीयत बिगड़ रही है.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

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Published : Jun 10, 2022, 2:24 PM IST

Updated : Jun 10, 2022, 5:40 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सड़कों पर शुक्रवार को जो मंजर नजर आया, उसे देखकर किसी के भी होश उड़ जाएंगे. करीब साढ़े तीन हजार महिलाएं राजधानी की सड़क पर रात बिताने को मजबूर हुईं. ये सभी महिलाएं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका कल्याण संघ के बैनर तले प्रदेश भर के 25 जिलों के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंदोलन कर रहे हैं. करीब 3500 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 7 सूत्रीय मांग को लेकर 2 दिनों की हड़ताल पर हैं.

रायपुर में विरोध प्रर्दर्शन कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की तबीयत बिगड़ी:रायपुर में विरोध प्रदर्शन कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की तबीयत बिगड़ गई है. यहां प्रदर्शन स्थल पर शुक्रवार दो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ गई. एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रायपुर की है और दूसरी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राजनांदगांव की रहने वाली है. तबीयत बिगड़ने के बाद दोनों कार्यकर्ताओं को उल्टी और चक्कर आने के साथ ही बुखार आया था. जिसके बाद दोनों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्राथमिक उपचार कराने के बाद उनके परिजन अपने साथ उन्हें वापस ले गए.

छत्तीसगढ़ की महिलाएं सड़क पर रात बिताने को मजबूर

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आंदोलन के लिए क्यों हुए मजबूर: सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय दिए जाने का आश्वासन दिया था. सरकार बने 3 साल बीत चुके हैं. बावजूद इसके आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इसका लाभ नहीं मिला है. अब नाराज आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने मोर्चा खोल दिया है. राजधानी में 45 डिग्री तापमान के बाद भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

सड़क पर रात बिताने को मजबूर महिलाएं



तेज गर्मी में भी प्रदर्शन:रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका कल्याण संघ 9 और 10 जून को दो दिवसीय प्रदर्शन कर रहा है. यहां पर प्रदेश के अधिकांश जिलों के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका गर्मी की तपिश में भी अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं. तेज गर्मी होने के बाद भी भूखे-प्यासे अपनी मांग मनवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. इनके दो दिवसीय प्रदर्शन पर चले जाने से आंगनबाड़ी के सभी काम लटक गए हैं.

मांगे पूरी होने तक आंदोलन: ब्लॉक अध्यक्ष बागबाहरा सरोज चंद्राकर का कहना है कि '' हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हम लोगों को शासकीय कर्मचारी घोषित करने तक कलेक्टर दर दी जाए. यह धरना प्रदर्शन दो दिन का है. हमारी मांगें नहीं मानी जाती है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी. चाहे धूप हो, आंधी आए या तूफान आए हम डटे रहेंगे.''

रायपुर में महापड़ाव: छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ प्रदेश अध्यक्ष पद्मावती साहू का कहना है कि ''प्रदेश भर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका भीषण गर्मी में रात में महापड़ाव पर बैठी हैं. पूरे प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं. आंदोलन को सफल बना रहीं हैं. हमारी मुख्य मांग शासकीय कर्मचारी घोषित करते तक कलेक्टर दर देने की है. जनघोषणा पत्र में भी यह कहा गया था. हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता तो 7 से 11 जुलाई तक अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगी.''

आंदोलन से सरकारी काम प्रभावित: बेमेतरा जिला अध्यक्ष विद्या जैन का कहना है कि ''आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के आंदोलन से मुख्यमंत्री पोषण अभियान प्रभावित हो रहा है. हम सभी शासकीय काम करते हैं लेकिन हमें शासकीय नहीं माना जाता है.''



आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका संघ की ये हैं सात सूत्रीय मांग

  1. शासकीय कर्मचारी घोषित करते तक जन घोषणा पत्र में किए गए लिखित वादा कलेक्टर दर को पूर्ण किया जाए.
  2. सामाजिक सुरक्षा के रूप में मासिक पेंशन और समूह बीमा योजना के लिए नीति निर्धारित कर इसको लागू कराने का कष्ट करें.
  3. सेवानिवृत्त और मृत्यु होने पर कार्यकर्ताओं को 5 लाख रुपए और सहायिकाओं को 3 लाख रुपए की राशि एकमुश्त भुगतान किया जाए.
  4. मिनी आंगनबाड़ी को पूर्ण आंगनबाड़ी बनाने के साथी कार्यकर्ताओं को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त किया जाए.
  5. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर के रिक्त पद पर शत प्रतिशत बिना उम्र बंधन और बिना परीक्षा लिए भर्ती किया जाए. इसी तरह सहायिकाओ को कार्यकर्ता के रिक्त पद पर लिया जाए. 25% का बंधन समाप्त किया जाए. साथ ही विभागीय सेवा भर्ती नियम में संशोधन किया जाए.
  6. प्रदेश स्तर में रिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए.
  7. पोषण ट्रैकर एप और अन्य कोई भी कार्य जब तक मोबाइल नेट चार्ज करने का पैसा नहीं दिया जाता है तब तक मोबाइल से कोई भी कार्य ना लिया जाए.
  8. रेडी टू ईट का परिवहन व्यय नहीं देकर परियोजना कार्यालय से उठाव का दबाव बनाया जा रहा है, जिसे निरस्त कर पहले के समान आंगनबाड़ी केंद्रों तक रेडी टू ईट दिया जाए.

उग्र आंदोलन की चेतावनी: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने आगे भी उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि प्रदर्शन के बाद भी सरकार मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं करती है तो 7 से 11 जुलाई तक आंगनबाड़ी के सवा लाख कार्यकर्ता और सहायिका हड़ताल पर चले जाएंगे.

Last Updated : Jun 10, 2022, 5:40 PM IST

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