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आज से महापर्व छठ शुरू, रायपुर में बिहार के साथ छत्तीसगढ़िया कलाकार बिखेरेंगे अपना जलवा

नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ छठ महापर्व (Chhath festival) की शुरूआत हो चुकी है. वहीं रायपुर (Raipur) में घाट की सफाई (cleaning the pier) का काम भी शुरू हो चुका है. ऐसे में रायपुर में संघ्या अर्घ्य (Sanghya Arghya) के बाद रात को छठ कार्यक्रम के दौरान बिहार (Bihar) के साथ छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे.

Artists of Chhattisgarh will also spread their glory in Chhath festival
छत्तीसगढ़ के कलाकार भी छठ पर्व में बिखेरेंगे अपना जलवा

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Published : Nov 8, 2021, 4:10 PM IST

रायपुरःआज से छठ महापर्व (Chhath festival) की शुरुआत हो चुकी है. छठ मुख्य तौर पर पूर्वांचल का पर्व है, लेकिन मौजूदा समय में लोगों के मन में छठ के लिए इतनी आस्था बढ़ गई है कि देश नहीं पूरे विश्व में ये महापर्व मनाया जाने लगा है. छठ मूलतः 4 दिनों का होता है. आज नहाए खाय(Nahay Khay) है. आज के दिन महिलाएं (vrati) सुबह उठकर स्नान करती है और साफ-सुथरे वस्त्र पहन कर बिना लहसुन प्याज के लौकी की सब्जी और चावल (Louki chawal) बनाकर ग्रहण करती हैं. वहीं आज से 4 दिन तक महिलाएं चप्पल नहीं पहनतीं. साथ ही आज से व्रती रात को जमीन पर ही सोएंगी.

छत्तीसगढ़ के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे

दूसरे दिन खरना किया जाता है

दूसरे दिन को खरना (Kharna) कहा जाता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जल व्रत रख कर शाम को प्रसाद में खीर और रोटी मिट्टी के चूल्हे पर पकाती हैं. फिर खीर और रोटी के साथ फलों को छठ मैया को भोग लगाया जाता है, उसके बाद व्रती खरना करती हैं. व्रती के प्रसाद ग्रहन करने के बाद घर के और सदस्य उस प्रसाद को ग्रहण करते हैं.तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है. खरना के दिन से शुरु हुई व्रत इस दिन भी जारी रहता है. व्रती निर्जल व्रत में रहकर पूरे दिन छठ का खास प्रसाद ठेकुआ, पुआ, पुड़ी वगैरह पकाती हैं.

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डूबते सूर्य को अर्घ्य के साथ शुरू होती है पूजा

उसके बाद गंगा घाट जाकर व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य (Sandhya arghya) देकर छठ मैया को सूप में प्रसाद अर्पित करती हैं. प्रसाद में मौसमी फलों के साथ केले का घउद, नारियल और गन्ना के साथ मौसमी फलों का विशेष महत्व होता है.शाम का अर्घ्य देकर व्रती घर लौट आती है फिर दूसरे दिन सूर्योदय से पूर्व घाट पहुंचकर कमर तक पानी में डूबकर भगवान सूर्य के उदय होने का इंतजार करती हैं. कहते हैं कि उषा अर्घ्य के दिन सूर्य देवता जरा देरी से उगते हैं. व्रती घाट पर जल का लोटा लेकर भगवान सूर्य की आराधना करती है. फिर सूर्योंदय के समय उषा अर्घ्य के साथ व्रत को पूरा करती हैं.

दिवाली के बाद से शुरू की जाती है तैयारी

बता दें कि दिवाली के बाद से ही छठ पूजा (Chath puja) की तैयारी शुरू कर दी जाती है. घाट की साफ-सफाई पर प्रशासन का पूरा ध्यान रहता है. वहीं, रायपुर के महादेव घाट में पिछले कई सालों से धूमधाम से छठ पूजा मनाया जाता है. हजारों की तादाद में यहां पर भीड़ उमड़ती है. हालांकि पिछले साल कोविड के वजह से छठ पर्व इतने उत्साह से नहीं मनाया गया था लेकिन इस साल लोगों में इसको लेकर काफी उत्साह है. इधर महादेव घाट छठ समिति द्वारा घाट की साफ सफाई की जा रही है, जिसमें रायपुर नगर निगम भी सहयोग कर रहा है.

वहीं इस विषय में रायपुर महापौर एजाज ढेबर (Raipur Mayor Ejaz Dhebar) ने छठ घाट में साफ सफाई की जिम्मेदारी प्रमोद मिश्रा को सौंपी. ईटीवी भारत ने महादेव घाट छठ समिति के सदस्यों से बातचीत की और इस बार छठ की तैयारियों को लेकर सदस्यों से जानकारी ली.

बिहार के साथ छत्तीसगढ़ी कलाकार भी बिखेरेंगे अपना जलवा

वहीं, छठ महापर्व आयोजन समिति के सदस्य अजीत उपाध्याय (Ajit Upadhyay) ने बताया कि इस बार छठ पर्व को बड़े धूमधाम से मनाने की तैयारी हो रही है. अभी से घाट की साफ-सफाई की जा रही है. ताकि छठ के दिन जब महिलाएं शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी, तो देर रात रंगारंग कार्यक्रम भी महादेव घाट (Mahadev Ghat) में ऑर्गेनाइज किया जाएगा. जिसमें भोजपुरी कलाकार रायपुर आ रहे हैं. इसके अलावा इस बार छत्तीसगढ़ी कलाकार (chhattisgarhi artist) दिलीप सारंगी को बुलाया गया है.

छठ के दिन महाआरती का आयोजन

इधर, छठ पर्व आयोजन समिति के राजपुरोहित रंजीत महाराज ने कहा कि मैं सभी को छठ पर्व की शुभकामनाएं देता हूं. आज से छठ का पर्व शुरू हो चुका है. आज नहाए खाए हैं. छठ का पर्व बहुत ही पावन पर्व माना जाता है.आज इस पर्व को पूरे विश्व में मनाया जाता है. आज के दिन व्रती सुबह उठकर स्नान कर लौकी की सब्जी और चावल ग्रहण करती हैं. वहीं, संध्या अर्घ्य के बाद देर रात महादेव घाट पर छठ पर कलाकार अपना जलवा बिखेरेंगे, जिसमें बिहार के साथ छत्तीसगढ़ी कलाकार भी शामिल होंगे.

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