दुर्ग: प्रकृति और आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. दुर्ग में रहने वाले उत्तर भारतीय दिवाली के बाद से ही छठ पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं. छठ पूजा को लेकर जितनी श्रद्धा उत्तर भारतीय के मन में होती है. उतनी ही श्रद्धा दूसरे राज्यों के लोगों के मन भी है. छठ पूजा की खरीदारी के चलते बाजारों में अलग ही रौनक देखी जा रही है. पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है. नहाय खाय के दिन घर में सात्विक भोजन बनता है जिसे प्रसाद भी कहा जाता है.
खरना का प्रसाद:नहाय खाय के दूसरे दिन शनिवार को खरना का प्रसाद छठ व्रतियों के घर बनता है. मिट्टी के चूल्हे पर खीर और रोटी बनाई जाती है जिसमें शुद्ध गाय के घी का इस्तेमाल होता है. खरना का प्रसाद सबसे पहले छठ व्रती महिला खाती हैं फिर प्रसाद घर वालों और रिश्तेदारों को दिया जाता है. गेहूं के आटे से ही ठेकुआ बनाया जाता है छठ में मुख्य प्रसाद के तौर पर माना जाता है. खरना के बाद रविवार के दिन शाम नदी और तालाब के घाटों पर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है.