रायपुर :छत्तीसगढ़ में एक अनूठी परंपरा है, यहां उम्र में बड़े होने के बावजूद अपने से छोटे उम्र के भांजे का पैर छूकर मामा आशीर्वाद लेते हैं. जानकारों के मुताबिक इसके पीछे की वजह भगवान श्रीरामचंद्र का (Nanihal of Lord Shri Ramchandra Chhattisgarh) ननिहाल छत्तीसगढ़ को होना बताया जाता है. भगवान श्रीरामचंद्र की माता कौशल्या (Mata Kaushalya was a resident of Chhattisgarh) छत्तीसगढ़ की ही रहने वाली थीं. इस क्षेत्र को तब दक्षिण कोशल (Southern Kosala Region) प्रदेश के नाम से जाना जाता था. इसी लिहाज से भगवान श्रीरामचंद्र छत्तीसगढ़ वासियों के रिश्ते में भांजे हुए. यहीं से इस परंपरा की शुरुआत हुई कि मामा अगर उम्र में अपने भांजे से बड़े भी हों तब भी वे अपने भांजे पर रामचंद्र जी की छवि देखते हुए उनसे आशीर्वाद लेते हैं. आज हम कौशल्या माता की जन्म स्थली चंद्रखुरी में है. जहां दीपावली मनाने की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. दीपावली के अवसर पर विश्व के इकलौते कौशल्या माता के इस मंदिर में 51 हजार दीप प्रज्वलित किये जाएंगे. यानी कि आयोध्या की तर्ज पर ही दीपावली में भगवान राम का ननिहाल भी जगमगाएगा.
पहले नाव के सहारा मंदिर प्रांगण तक पहुंचते थे श्रद्धालु
राजधानी रायपुर से करीब 24 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रखुरी गांव स्थित है. यहां कौशल्या माता का मंदिर तालाब के बीचों-बीच बनाया गया है. इस पुरातन मंदिर में आने के लिए अब शासन ने खूबसूरत ब्रिज का निर्माण करा दिया है. लेकिन दशकों से इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि पहले मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ता था. बाद में एक ब्रिज का निर्माण स्थानीय विधायक द्वारा किया गया. इस सरकार ने राम वन गमन पथ को विकसित करने की जो कार्य योजना तैयार की है, उसी के तहत यहां पर मूलभूत सुविधाओं और सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है.
विश्व का इकलौता कौशल्या माता मंदिर, जहां मां की गोद में विराजमान हैं रामलला