रायपुर: यूं तो कहा जाता है कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं. उनका निश्छल मन, कोमल भावनाएं बिना किसी दुराग्रह से ग्रसित हुए जो मन होता है, वहीं करती है. पर हालात ना जानें क्या से क्या करवा दे. पिछले कुछ वर्षों में बच्चों में अपराधिक प्रवृति में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है, जो अत्यन्त ही चिंता का विषय है. 18 वर्ष की आयु से कम उम्र के किशोरों को आपराधिक मामलों में बाल संप्रेक्षण गृह में रखने का प्रावधान है. जहां उनकी मूलभूत सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इन बच्चों के खाने-पीने, रहने, कपड़े और पढ़ाई की व्यवस्था समेत तमाम सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है.
छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में बाल संप्रेक्षण गृह स्थापित है. इन संप्रेक्षण गृह में तमाम व्यवस्था और सुविधाओं के बावजूद बच्चों के भागने के मामले काफी बढ़े हैं. आए दिन संप्रेक्षण गृहों से बच्चों के भागने की खबरें आ रही है. ETV भारत ने इस मामले में विशेष रिपोर्ट तैयार की है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इसके पीछे की मुख्य वजह क्या है ?
किशोर न्याय बोर्ड
किशोर न्याय बोर्ड में (बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015) जिसमें किशोर (18 वर्ष से कम) एक न्यायाधीश के समक्ष पेश हो सकते हैं. अधिनियम में कहा गया है कि 16 से 18 आयु वर्ग के किशोरों पर अपराधिक मामलों में मुकदमा चलाया जा सकता है. यदि उन्होंने जघन्य अपराध किया है. हालांकि सभी किशोर, अपराध किशोर घरों (JUVENILE HOMES) में दर्ज किए जाते हैं.
संप्रेक्षण गृह में सभी सुविधाएं
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में माना स्थित बाल संप्रेक्षण गृह बनाया गया है, जिसमें बच्चों के रहने खाने-पीने और पढ़ने समेत अन्य सुविधाएं की गई है. बावजूद इसके यहां से बच्चों के भाग जाने की खबरें लगातार मिल रही हैं. राजधानी के अलावा दूसरे जिलों के संप्रेक्षण गृहों से भी बच्चों के भागने के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
संप्रेक्षण गृह से भागे बच्चे
- महासमुंद स्थित बाल संप्रेक्षण गृह से फरवरी 2020 को तीन अपचारी बच्चे फरार हो गए.
- दुर्ग संप्रेक्षण गृह से 2 मार्च 2018 को दो बच्चे भागने में सफल हुए.
- जशपुर बाल संप्रेक्षण गृह से मई 2018 को 9 बच्चे भागने में सफल रहे.
- जुलाई 2019 को दुर्ग पुलगांव स्थित बाल संप्रेक्षण गृह से पांच अपचारी बालक भागने में कामयाब रहे.
- रायपुर माना स्थित बाल संप्रेक्षण गृह से 5 नवंबर 2020 हत्या और रेप की सजा काट रहे दो अपचारी बालक दीवार में सुराख कर भागने में कामयाब रहे.
- रायगढ़ से 30 दिसंबर 2020 को 3 अपचारी बच्चों के भागने का मामला सामने आया.
यह चंद मामले हैं जिनका उल्लेख हम इस खबर में कर रहे हैं. इसके अलावा और भी कई केस हैं. जिसमें अपचारी बालक बाल संप्रेक्षण गृह से भागने में कामयाब रहे हैं. उसके बाद संप्रेक्षण गृह की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे.
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कोरोना के बाद बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति बढ़ी
किशोर न्यायालय के मामले देखने वाले वकील सुनील कुमार खटवानी का कहना है कि वर्तमान में कोरोना के बाद बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है. जिसमें चोरी, लूट, रेप और हत्या जैसी घटनाएं शामिल है. सुनील बताते हैं इन दिनों बच्चों में नशे की लत भी तेजी से बढ़ती जा रही है. इस नशे के कारण भी वे कई अपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर छोटे मामलों में बच्चों को फाइन कर छोड़ दिया जाता है. जिससे उनको सीख भी मिल जाए और उनका भविष्य भी खराब ना हो.
संप्रेक्षण गृह और प्लेस ऑफ सेफ्टी
महिला एवं बाल विकास के अधिकारी अशोक पांडे बताते हैं कि संप्रेक्षण गृह में दो पार्ट में बच्चों को रखा जाता है. पहला संप्रेक्षण गृह और दूसरा प्लेस ऑफ सेफ्टी. संप्रेक्षण गृह में 18 साल से कम उम्र के अपचारी बालक रखे जाते हैं. जो किसी न किसी आपराधिक मामलों में संलिप्त होते हैं. 16 से 18 साल तक के ऐसे बच्चे जो जघन्य अपराध करते हैं और यह प्रूफ हो जाता है कि उन्होंने पूरे सूझबूझ के साथ अपराधिक वारदात को अंजाम दिया है. ऐसे बच्चों को प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखते हैं. अभी तक रायपुर में ऑब्जर्वेशन होम में ही प्लेस ऑफ सेफ्टी के बच्चों को रखने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अब सरकार ने अलग भवन का प्रावधान किया है. जिसके तहत प्लेस ऑफ सेफ्टी का भवन अलग से बन रहा है. प्लेस ऑफ सेफ्टी के बच्चों को ऑब्जर्वेशन से दूर रखना इसलिए भी जरूरी है कि कई बार प्लेस ऑफ सेफ्टी में जघन्य अपराध करने वाले बच्चे होते हैं. जिससे ऑब्जर्वेशन होम के छोटे उम्र के बच्चों को तकलीफ होती है.
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मूलभूत सुविधाओं का रखा जाता है ख्याल