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Birsa Munda Death Anniversary : आदिवासियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत थे बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा को बिरसा भगवान के नाम से भी जाना जाता है.भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे और भारत के वर्तमान झारखंड के क्षेत्र में मुंडा जनजाति के एक आदिवासी नेता थे. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को उलिहातु गांव में हुआ था. जो ब्रिटिश भारत के छोटा नागपुर डिविजन का हिस्सा था. 9 जून 1900 को छोटी सी उम्र में बिरसा की मौत हो गई थी.

Birsa Munda Death Anniversary
आदिवासियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत थे बिरसा मुंडा

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Published : Jun 9, 2023, 2:15 PM IST

रायपुर :बिरसा मुंडा ने दमनकारी ब्रिटिश शासन और स्थानीय जमींदारों की शोषणकारी प्रथाओं के खिलाफ आदिवासी समुदायों को लामबंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.स्वदेशी लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जनजातीय विद्रोहों और आंदोलनों का नेतृत्व किया. बिरसा मुंडा के नेतृत्व में सबसे उल्लेखनीय आंदोलनों में से एक 1899-1900 में "उलगुलान" आंदोलन था. जिसे हम आदिवासी विद्रोह के नाम से भी जानते हैं. विद्रोह का उद्देश्य ब्रिटिश प्रशासन की अन्यायपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करना और आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों को बहाल करना था.

आदिवासियों के उत्थान के लिए काम : बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदायों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में भी काम किया.उन्होंने अपने विचारों का प्रचार करने और आदिवासियों के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए "बिरसा मंडल" नामक संगठन का गठन किया. आंदोलनों को कारण 1900 में ब्रिटिश अधिकारियों ने बिरसा को गिरफ्तार किया़ था. 9 जून, 1900 को 25 वर्ष की आयु में जेल में उनकी मृत्यु हो गई थी.

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स्वतंत्रता सेनानी के रूप में बनाई पहचान : अपने छोटे जीवन के बावजूद, एक आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में बिरसा मुंडा ने आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया.उनकी विरासत पीढ़ियों को विशेष रूप से आदिवासियों को प्रेरणा देने वाली है.आदिवासियों के बीच बिरसा को एक नायक और आदिवासी सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता है.15 नवंबर को झारखंड में राजकीय अवकाश के रूप में बिरसा मुंडा की जयंती और 9 जून को पुण्यतिथि मनाई जाती है.

छत्तीसगढ़ के नेताओं ने किया याद : बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि के अवसर पर छत्तीसगढ़ के नेताओं ने उन्हें याद किया.सीएम भूपेश बघेल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में लिखा कि '' आदिवासी चेतना के प्रणेता, आदिवासियों के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महान क्रांतिकारी जननायक बिरसा मुण्डा जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन.उन्होंने आदिवासियों को एकत्र कर जल, जंगल और जमीन पर अधिकारों के लिए आंदोलन चलाया. उनके शौर्य और बलिदान की गाथा आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है. बिरसा मुण्डा जी ने हमें सिखाया कि सामूहिक इच्छाशक्ति, हथियारों की शक्ति पर भी भारी पड़ती है. उनका अदम्य साहस हम सबके लिए प्रेरणादायी है. आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाना और उनके स्वाभिमान की रक्षा बिरसा मुंडा जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने लिखा कि ''आदिवासी समाज के हितों के रक्षक, महान स्वतंत्रता सेनानी और पूज्य जननायक, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन। उनकी वीरता और नेतृत्व क्षमता हम सभी को सदा प्रेरणा देती रहेगी.

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह ने लिखा कि ''जल, जंगल और जमीन की रक्षा हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध वीरता पूर्वक युद्ध कर आदिवासी अस्मिता की रक्षा करने वाले भगवान बिरसा मुंडा जी को उनके बलिदान दिवस पर शत-शत नमन. जनजातीय अधिकारों की रक्षा तथा उनके सशक्तिकरण को समर्पित बिरसा मुंडा जी का जीवन सदैव हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेगा.

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