रायपुर/ हैदराबाद :पूरे भारत में आज भीष्म अष्टमी मनाई जा रही है, जो महाभारत के पितामह भीष्म को समर्पित है. पितामह भीष्म को गंगा पुत्र, भीष्म पितामह जैसे नामों से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को उन्होंने अपना शरीर त्यागा था, इसलिए भीष्म पितामह की मृत्यु की वर्षगांठ भीष्म अष्टमी के चौर पर माघ शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है. वहीं ऐसा माना जाता है कि भीष्म पितामह ने उत्तरायण के शुभ दिन अपने शरीर को छोड़ा था. भीष्म अष्टमी के दिन लोग उनके सम्मान में एकोदिष्ट श्राद्ध की रस्म निभाते हैं. इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदी में डुबकी लगाई जाती है.
भीष्म अष्टमी के शुभ मुहूर्त :हिंदू पंचाग के अनुसार, इस बार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जनवरी दिन शनिवार को सुबह 08:43 से प्रारंभ होकर 29 जनवरी दिन रविवार को सुबह 9 बजे समाप्त होगी. क्योंकि 28 जनवरी को पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी, इसलिए इस दिन भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाएगा. इसके अलावा इस दिन अश्विनी नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग भी दिन भर रहेगा. साथ ही, इस दिन भरणी और साध्य योग भी रहेंगे.
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भीष्म अष्टमी व्रत पूजा विधि :इस दिन सुबह किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो घर में ही स्नान मंत्र बोलकर नहा लें. नहाते समय पितामह भीष्म के निमित्त हाथ में तिल, जल लेकर अपसव्य यानी जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर इस मंत्र का जाप करें.