रायपुर:राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी स्थित दही हांडी मैदान में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के राम कथा का आयोजन 7 दिनों के लिए किया जा रहा है. इस प्रवचन में हजारों लोग पहुंच भी रहे हैं. बुधवार को बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया के कई सवालों का जवाब दिया है. विराट कोहली को लेकर भी बागेश्वर धाम बाबा ने अपनी बात रखी.
"सनातनी पूरी तरह से अहिंसात्मक हैं":पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि "धर्मांतरण को रोकने के लिए हर एक 2 महीने के दौरान अंदरूनी और ग्रामीण इलाकों में नई विचारधारा लाने के लिए 3 दिनों के कथा का आयोजन किया जा रहा है. जिससे धर्मांतरण पर रोक लगाई जा सके. इस तरह कथा के आयोजन से कई हिंदू जो ईसाई धर्म को मानने लगे थे. उन्हें वापस हिंदू धर्म में लाया गया है. लगातार कथा का आयोजन भविष्य में भी किया जाएगा. जो लोग धर्म विरोधी या सनातनी धर्म के खिलाफ काम कर रहे हैं. उन्हें मुंह की खानी पड़ रही है. सनातनी पूरी तरह से अहिंसात्मक हैं."
"हम अंधविश्वास के पक्षकार नहीं हैं":नागपुर में कथा के दौरान विवादित बयान के मामले में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि "हमारी कथा 7 दिन की थी, हम कथा छोड़कर नहीं भागे हम दिव्य दरबार लगाए तो वह क्यों नहीं आए. अब हमें बदनाम करने की कोशिश हो रही है. आरोप लगाने वाले छोटी मानसिकता के लोग हैं. रायपुर में भी 9 दिन की कथा थी जिसे 7 दिन का किया गया है और हम 7 दिन ही कथा करते हैं. हम अपने इष्ट का प्रचार करते हैं. हमारा दावा नहीं है कि हम आपकी समस्या को मिटा देंगे लेकिन हमें अपने इष्ट पर भरोसा है और हम अंधविश्वास के पक्षकार नहीं हैं."
"हम ईश्वर नहीं हैं":पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आगे कहा कि "हम ईश्वर नहीं हैं. हम नहीं कहते समस्या दूर कर सकते हैं. हमारे इष्ट लोगों की समस्या को दूर करते हैं. हनुमान जी की पूजा करना उनका प्रचार करना क्या गलत है. यह सनातन धर्म को टारगेट करने की सोची समझी साजिश उन्होंने कहा कि हमें कानून का उल्लंघन नहीं किया है और ना ही करेंगे."
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"इंसान खुद को भगवान बताता है तो यह अंधविश्वास है":भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली को लेकर उन्होंने कहा कि "वृंदावन में बाबा नीम करौली के दर्शन के लिए विराट कोहली सपरिवार गए और साधु की कृपा मिलने के बाद उन्होंने दो शतक बनाए. साधु कृपा मिलने से जीवन में शतक शतक लगेगा." ऐसे में उन्होंने साधु संतों की कृपा को महत्वपूर्ण बताया. इसके साथ ही विश्वास और अंधविश्वास के अंतर के बारे में उन्होंने कहा कि "दोनों के बीच में बारीक सा फर्क है. उन्होंने कहा कि बिना देखे किसी पर विश्वास करना अंधविश्वास कहलाता है. जांच परख और वैदिक परंपरा के अनुसार भगवान पर भरोसा करना विश्वास है. अगर कोई इंसान अपने आप को भगवान बताता है तो वह अंधविश्वास है."