रायपुर : हिंदू पंचांग पांच तत्व तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण इन तथ्यों पर आधारित है. अर्थात इन पांचों से मिलकर हिंदू पंचांग बनता है. कुल 7 वार, 15 तिथि, 27 नक्षत्र, 27 योग और 11 करण माने गए हैं. नव हिंदू पंचांग चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होते हैं. मूल रूप में यह तिथि सृष्टि स्थापना दिवस और नूतन आर्य हर्ष के रूप में जाना जाता है.
हिंदू नववर्ष का स्वागत :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "यह सनातन सभ्यता में नवीन वर्ष है. इसका स्वागत पूजन उत्साह उमंग और उल्लास से किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवती मां दुर्गा ने दैत्य शक्तियों का विनाश करने के लिए और मानवता को बचाए रखने के लिए समस्त राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों का सर्वनाश किया. तब से ही भगवती की पूजन आराधना की जाती है.''
कई जगहों पर होती है घट स्थापना : ''चैत्र शुक्ल पक्ष में जगह जगह माता की स्थापना की जाती है. 22 मार्च को घट स्थापन का समय सुबह 11:36 से लेकर दोपहर दोपहर 12:24 तक है. यह नवरात्र का आरंभ कहलाता है. इस वर्ष का संवत्सर नाम पिंगल है. महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, सिंधी समाज चेटीचंड के रूप में मनाता है. यह प्रकृति या सृष्टि के जन्म होने का समय माना गया है. यह ऋतु परिवर्तन का समय है. इस समय यज्ञ, हवन, पूजन पाठ, मंत्र सिद्धि ध्यान आदि करना पूर्णता सफल माना जाता है."
नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा ::ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "9 दिन माता भगवती की पूजा की जाती है. दुर्गा शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, स्कंद माता, सिद्धिदात्री, महागौरी आदि अनेक रूपों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है. अलग-अलग स्थानों पर दुर्गा के पंडाल लगाए जाते हैं. यह संपूर्ण पक्ष उजियारे प्रकाश आत्मानुभूति का है. यह समय परिवार घर और कुटुंबीजनों के साथ बैठकर नए रूप में जीवन को संवारने का है. यह नए संकल्पों नए प्रकल्पों का महापर्व है. पूरे दिवस मंदिरों में चमक रोशनी और बिजली रहती है. जगह-जगह जवारे के साथ माता की स्थापना की जाती है.