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फिल्म इंडस्ट्री में काम कर चुके कलाकार पेट पालने के लिए कर रहे ड्राइवर का काम

हेमंत निषाद ने न्यूटन और चमन बहार जैसी चर्चित हिंदी फिल्म के साथ डेढ़ दर्जन से अधिक छत्तीसगढ़ी फिल्मों में काम कर चुके हैं. लेकिन आज वे मुफलिसी भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. घर-परिवार का पेट पालने के लिए कलाकार हेमंत प्राइवेट ड्राइवर का काम कर रहे हैं. जिससे दो जून की रोटी का बंदोबस्त हो पाता है.

Film artist Hemant Nishad
फिल्म कलाकार हेमंत निषाद

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Published : Sep 19, 2021, 8:09 PM IST

रायपुर: कोरोना काल के बाद से फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कलाकारों का हाल बेहाल है. उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. संस्कृति विभाग (Culture Department) ने भी इस विकट परिस्थिति पर उन्हें अकेला छोड़ दिया है. कलाकारों की किसी भी तरह की मदद नहीं की गई. हालात यह बन गए हैं कि फ़िल्म इंडस्ट्री (film industry) से जुड़े सैकड़ों कलाकार दाने दाने को मोहताज हैं. इन्ही कलाकारों में से एक हैं हेमंत निषाद (Hemant Nishad). हेमंत निषाद ने न्यूटन और चमन बहार जैसी चर्चित हिंदी फिल्म के साथ डेढ़ दर्जन से अधिक छत्तीसगढ़ी फिल्मों (Story of Struggle of film artist) में काम कर चुके हैं. लेकिन आज वे मुफलिसी भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. घर-परिवार का पेट पालने के लिए कलाकार हेमंत प्राइवेट ड्राइवर का काम कर रहे हैं. जिससे दो जून की रोटी का बंदोबस्त हो पाता है.

फिल्म कलाकार के संघर्ष की कहानी

सावधान इंडिया में भी कर चुके हैं काम

हेमंत निषाद (Hemant Nishad) ने ईटीवी भारत को बताया कि वे शुरू से इप्टा से जुड़े हुए हैं. नाटक के बाद धीरे-धीरे उन्हें छत्तीसगढ़ी फिल्मों में काम करने का मौका मिला. उनकी एक्टिंग की वजह से न्यूटन और चमन बहार जैसी चर्चित हिंदी फिल्म में काम करने ऑफर आया था. यही नहीं बल्कि 'सावधान इंडिया' (Savdhaan India) जैसे एपिसोड में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. वे कहते हैं कि कोरोना काल की वजह से दो साल से काम बंद है. चार पहिया चलाने आता है. इसलिए अवेजी में कार चलाने का काम करता हूं, ताकि परिवार का पेट पाल सकूं.

पूरे परिवार की जिम्मेदारी

कलाकार हेमंत निषाद (Artist Hemant Nishad) के घर मे 8 लोग रहते हैं. घर का हाल भी बेहाल है. उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बच्चे, मां, दादी, भतीजी और एक बहू है. उनके भाई की मौत होने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर है. उन्होंने बताया कि कम खर्च में जेब काटकर कर रहे हैं, जो भी थोड़ा बहुत कमाते हैं, उसी से गुजारा कर रहे हैं. आस है जितना जल्दी हो सके कहीं से मूवी का ऑफर आए. यदि बढ़िया मूवी मिली और आफर अच्छा रहा तो उसमें काम करने के बाद जो पैसे आएंगे, उससे खुद का कुछ बिजनेस शुरू करूंगा. क्योंकि कोरोना ने बहुत कुछ सीखा दिया है.

फिल्म कलाकार हेमंत निषाद

फिल्म इंडस्ट्री ने मदद की

छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री ने कोरोना काल में कुछ कलाकारों की मदद जरूर की है. लेकिन संस्कृति विभाग (culture department) से किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं दिया. हेमंत निषाद बताते हैं कि हमारे एसोसिएशन के डायरेक्टर ने कोरोना के समय मदद की. लेकिन सरकार की ओर से किसी तरह की कोई मदद नहीं की गई. हमारी इंडस्ट्री में टेक्नीशियन (technicians in the industry), कैमरे के पीछे और कैमरे के आगे भी जो काम करते हैं या छत्तीसगढ़ी मूवी के डांसर, कोरियोग्राफर के साथ जो काम करते हैं. तमाम ऐसे लोग हैं जो इस वक्त मुफलिसी भरी जिंदगी जी रहे हैं. लेकिन एक कलाकार को कला के अलावा दूसरा काम नहीं आता है.

छत्तीसगढ़ी कलाकारों को करे सपोर्ट

कलाकार हेमंत निषाद (Artist Hemant Nishad) ने बताया कि कोरोना काल की वजह से पूरी तरह से काम बंद था. इस विकट परिस्थिति में घर का परिवार पालने के लिए काम करना जरूरी है. क्योंकि जब आफर आएगा उस वक्त देखा जाएगा. फिलहाल पेट के लिए काम पहली प्राथमिकता है. हेमंत निषाद (Hemant Nishad) ने सरकार से मांग की है कि सरकार को छत्तीसगढ़ी मूवी को सपोर्ट करना चाहिए, सब्सिडी देना चाहिए. यह सब सरकार को करने की जरूरत है. इससे पहले सरकार लोकेशन के लिए अमाउंट लेती थी, वर्तमान में फ्री कर दिया गया है, जो अच्छी बात है.

लंब इंतेजार के बाद बनी फिल्म नीति

नया राज्य निर्माण के बाद से छत्तीसगढ़ फिल्म पॉलिसी बनाने की मांग (Demand to make Chhattisgarh film policy) लगातार उठती रही है. स्थानीय फिल्म के कलाकार और निर्देशक निर्माता लगातार इसे लेकर कोशिश करते रहे. क्योंकि हमारे प्रदेश के साथ ही बने उत्तराखंड और झारखंड में पहले ही अपने राज्यों की फिल्म पॉलिसी बना लिया था. हालांकि अब लंबे इंतजार के बाद सरकार ने फिल्म नीति बनाने की मंजूरी तो दे दी है, लेकिन देखना यह बड़ा दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाई गई फिल्म नीति, यहां कि फिल्म उद्योग और उससे जुड़े लोगों को कितना लाभ पहुंचा पाती है.

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