बड़े पर्दे पर दिखेगा झीरम घाटी नक्सल हमला रायपुर : झीरम को छत्तीसगढ़ का अब तक का सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है. जिसमें कई कांग्रेसी नेताओं समेत दूसरे लोगों की मौत हुई थी.इस घटना के बाद किस तरह की वेदना लोगों को झेलनी पड़ी इसे लेकर एक फिल्म बनाई जा रही है. जिसकी शूटिंग बहुत जल्द छत्तीसगढ़ में शुरु की जाएगी. फिल्मकारों के मुताबिक इस हमले का मुख्य टारगेट बस्तर टारगर महेंद्र कर्मा थे.क्योंकि नक्सली उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे.नक्सलियों ने झीरम घाटी हमले में महेंद्र कर्मा के शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया था. यहीं नहीं उनके शव के साथ अमानवीय हरकत भी की गई थी.
हिंसा से नहीं निकलता हल :फिल्म के निर्देशक दिनेश सोनी ने बताया कि ' मैं झीरम घाटी पर इसलिए फिल्म बनाना चाहता हूं. क्योंकि यह बेहद ही हिंसात्मक घटना है.हमारे देश के लिए साथ ही पूरे छत्तीसगढ़ के लिए बहुत ही दुखद घटना थी. इसमें बड़े नेताओं ने शहादत दी है. अगर इस तरह की घटना नेताओं के साथ होती रहेगी तो समाज को क्या मैसेज जाएगा. समस्या का और भी समाधान हो सकता था. किसी की मृत्यु या खून खराबा करके कोई सॉल्यूशन नहीं निकाला जा सकता. इस फिल्म को बनाने के माध्यम से मेरा प्रयास रहेगा कि मैं समाज को यह संदेश दूं कि दोबारा इस तरह की घटना ना हो. हिंसा से कोई सॉल्यूशन नहीं होता है.'
कब हुआ था झीरम हमला : गौरतलब है कि साल 2013 के अंत में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव होने वाला था. जहां लगातार दो चुनावों से भाजपा का राज कायम था.रमन सिंह मुख्यमंत्री थे. कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा निकाली. जिसकी शुरुआत 25 मई के दिन सुकमा से की गई थी. इस रैली के खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर की ओर लौट रहा था. उसका काफीले में करीब 25 गाड़ियां थीं. जिनमें करीब 200 नेता सवार थे. सबसे आगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपनी सुरक्षा गार्ड के साथ थे. इनके पीछे महेंद्र कर्मा और मलकीत सिंह यादव की गाड़ियां थीं. बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार कुछ अन्य नेताओं के साथ चल रहे थे. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता इस काफिले में शामिल थे.
ये भी पढ़ें-धान खरीदी पर सीएम भूपेश ने अरुण साव को घेरा
कैसे किया हमला : शाम करीब 4:00 बजे कांग्रेस नेताओं का काफिला झीरम घाटी से गुजरा तो नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता बंद कर दिया. पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. नक्सलियों ने सभी गाड़ियों को निशाना बनाया .नंद कुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश को नक्सलियों ने अगवा कर लिया. फायरिंग खत्म होने के बाद नक्सली पहाड़ों से उतरे और एक-एक गाड़ी को चेक करने लगे. जो पहले से ही मर चुके थे उन्हें दोबारा गोलियों से मारा गया चाकू से उन पर कई वार किए गए ताकि कोई भी जिंदा ना बचे.इसी बीच महेंद्र कर्मा ने खुद को नक्सलियों के हवाले कर दिया. जब तक बैकअप फोर्स पहुंचती तब तक नक्सलियों ने नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल समेत महेंद्र कर्मा की हत्या कर दी थी.