रायपुर: वर्ष 2019 ने छत्तीसगढ़ की सियासी किताब में कई नए पन्ने जोड़े. कोई राजनीति के आसमान पर चमका, तो किसी के सितारे गर्दिश में रहे. छत्तीसगढ़ के लिए आर्थिक, सामाजिक के साथ-साथ साल 2019 राजनीतिक रूप से भी काफी दिलचस्प रहा.
भूपेश बघेल की मजबूत हुई पकड़
2018 में कांग्रेस सरकार की छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राष्ट्रीय स्तरीय नेता बनकर उभरे थे. साल 2019 में मुख्यमंत्री बघेल के कई फैसलों ने राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. इसमें आदिवासियों की जमीन वापसी, दलित-आदिवासी और ओबीसी आरक्षण जैसे फैसले ने सीएम बघेल को सामाजिक रूप से एक अलग पहचान दिलाई. इसके अलावा सरकार द्वारा शुरू की गई योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना की तारीफ भी विश्व स्तर पर हुई.
बीजेपी का नया दांव
2018 के विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद बीजेपी का लोकसभा में नया फार्मूला भी देशभर में सुर्खियों में रहा. बीजेपी ने कभी चुनाव न हारने वाले रमेश बैस जैसे दिग्गज का भी टिकट काट दिया. जिसका लाभ बीजेपी को मिला और 2018 में मिली करारी शिकस्त के बाद 2019 में 11 में से 9 सीटें जीतकर शानदार वापसी की.
नक्सली हमले में विधायक की हत्या
मई, साल 2013 में झीरम कांड में कांग्रेस के कई दिग्गजों की शहादत के बाद 2019 भी छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए ठीक नहीं रहा. 2013 के बाद 2019 में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के नेता पर हमला किया. इसमें बस्तर से बीजेपी के एकमात्र विधायक को अपनी जान गंवानी पड़ी. उनके साथ 5 जवानों की भी जान गई. नक्सलियों का ये हमला भी देश भर में छाया रहा और कांग्रेस सरकार में बीजेपी विधायक की मौत पर सरकार राष्ट्रीय पटल पर बैकफुट पर नजर आई.