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Published : Oct 28, 2020, 9:45 AM IST

Updated : Oct 28, 2020, 9:55 AM IST

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छत्तीसगढ़ में अब निजी मंडियों की निगरानी, सरकार कर सकेगी भंडारण पर अंकुश, MSP पर निर्णय बाद में होगा

छत्तीसगढ़ में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक में मंडियों पर नियंत्रण के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. प्रदेश सरकार का दावा है कि संशोधित विधेयक प्रदेश के किसानों को काफी राहत देगा.

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छत्तीसगढ़ में अब निजी मंडियों की निगरानी

हैदराबाद:छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 के जरिए मंडियों पर नियंत्रण और भंडारण पर अंकुश लगाने के लिए कई प्रावधान किए हैं. हालांकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विशेष सत्र में कोई चर्चा नहीं हुई. छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि नया कानून किसानों को केंद्रीय कृषि कानून के दुष्परिणामों से बचाएगा.

'कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक से किसानों को मिलेगी राहत'

छत्तीसगढ़ सरकार ने मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 पेश किया. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार केंद्रीय कानून को टच भी नहीं कर रही है. लेकिन केंद्र के कानून लागू होने के बाद हम छत्तीसगढ़ के किसानों के हितों की रक्षा के लिए मंडी अधिनियम में संशोधन कर रहे हैं और किसानों को राहत दे रहे हैं.

पढ़ें:छत्तीसगढ़ में मंडी मजबूत: कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 पारित, किसानों के हितों की होगी रक्षा!

जानिए केंद्र और राज्य के कानून में अंतर

केंद्रीय कानून में प्रावधान राज्य के कानून में प्रावधान
निजी मंडियां खुलेंगी निजी मंडियों को डीम्ड मंडी बनाएंगे
भंडारण की लिमिट तय नहीं भंडारण के जांच का अधिकार
दूसरे राज्यों से धान की आवाजाही हो सकेगी इसकी जांच और जब्ती का अधिकार
विवाद निपटने पर संशय मंडी समिति, अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार
सजा का प्रावधान स्पष्ट नहीं 3-6 महीने की सजा, 5-10 हजार जुर्माना

'जरूरत पड़ी तो और संशोधन'

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा है कि केंद्र के कानून से किसानों के मन में संशय है. जरूरत पड़ती है तो और भी संशोधन किए जाएंगे.

मंडी संशोधन विधेयक के प्रावधान

1-निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी लघु और सीमांत किसान हैं. इन किसानों की कृषि उपज भंडारण और मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से, बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव और भुगतान की जोखिम को ध्यान में रखते हुए, उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना करना जरूरी है, जो इस प्रावधान से संभव हो पाएगा.

2-राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी के जांच का अधिकार

राज्य में सभी मंडी खासकर डीम्ड मंडियों की जांच का अधिकार राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी को होगा. वह मंडियों में सभी तरफ के ऑपरेशनल प्रक्रिया की जांच कर सकेगा.

3-अनाज की आवाजाही निरीक्षण में जब्ती का अधिकार

मंडियों में गड़बड़ी होने और अनाज को स्टोरेज कर लाने और ले जाने के दौरान अनियमितता होने पर अनाज की जब्ती का अधिकार भी मंडी से जुड़े अधिकारियों को दिया गया है.

4-निजी मंडियों में अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का होगा अधिकार

सिर्फ सरकारी मंडियों में नहीं बल्कि निजी और डीम्ड मंडियों में भी भंडारण की तलाशी का अधिकार मंडी के अधिकारियों को दिया गया है. जिसका प्रावधान इस नए विधेयक में है.

5-मंडी समिति और अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार

मंडी समिति पर नकेल कसने के लिए भी इस बिल में प्रावधान है. अगर मंडी में गड़बड़ी पाई जाती है तो मंडी समिति और उससे जुड़े अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार होगा.

6-इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन भुगतान संचालन राज्य सरकार में बने नियम से होगा.

कृषि से जुड़े व्यापार और उससे जुड़े प्लेटफॉर्म में ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था राज्य सरकार के बने नियमों से की जाएगी.

7- सजा का भी प्रावधान

जानकारी छुपाने और गलत जानकारी देने पर 3 महीने की सजा या 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान इसके अलावा दूसरी बार गलती पर 6 महीने की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

Last Updated : Oct 28, 2020, 9:55 AM IST

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