हैदराबाद:छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 के जरिए मंडियों पर नियंत्रण और भंडारण पर अंकुश लगाने के लिए कई प्रावधान किए हैं. हालांकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विशेष सत्र में कोई चर्चा नहीं हुई. छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि नया कानून किसानों को केंद्रीय कृषि कानून के दुष्परिणामों से बचाएगा.
'कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक से किसानों को मिलेगी राहत'
छत्तीसगढ़ सरकार ने मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 पेश किया. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार केंद्रीय कानून को टच भी नहीं कर रही है. लेकिन केंद्र के कानून लागू होने के बाद हम छत्तीसगढ़ के किसानों के हितों की रक्षा के लिए मंडी अधिनियम में संशोधन कर रहे हैं और किसानों को राहत दे रहे हैं.
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जानिए केंद्र और राज्य के कानून में अंतर
केंद्रीय कानून में प्रावधान | राज्य के कानून में प्रावधान |
निजी मंडियां खुलेंगी | निजी मंडियों को डीम्ड मंडी बनाएंगे |
भंडारण की लिमिट तय नहीं | भंडारण के जांच का अधिकार |
दूसरे राज्यों से धान की आवाजाही हो सकेगी | इसकी जांच और जब्ती का अधिकार |
विवाद निपटने पर संशय | मंडी समिति, अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार |
सजा का प्रावधान स्पष्ट नहीं | 3-6 महीने की सजा, 5-10 हजार जुर्माना |
'जरूरत पड़ी तो और संशोधन'
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा है कि केंद्र के कानून से किसानों के मन में संशय है. जरूरत पड़ती है तो और भी संशोधन किए जाएंगे.
मंडी संशोधन विधेयक के प्रावधान
1-निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी लघु और सीमांत किसान हैं. इन किसानों की कृषि उपज भंडारण और मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से, बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव और भुगतान की जोखिम को ध्यान में रखते हुए, उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना करना जरूरी है, जो इस प्रावधान से संभव हो पाएगा.
2-राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी के जांच का अधिकार