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ट्रांसपोर्ट की फर्जी आईडी बनाकर 35 हजार की ठगी, आरोपी यूपी से गिरफ्तार

रंगोली की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनी से 35 हजार रुपए की ठगी करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उसे पुलिस ने कई मशक्कत के बाद फर्रुखाबाद से पकड़ा है. पुलिस ने इंटरनेट पर मिलने वाले इस प्रकार के ठगों से बचने के लिए लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है.

fake press card recovered
फर्जी प्रेस कार्ड बरामद

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Published : Jul 17, 2021, 11:05 PM IST

रायपुर:पुलिस ने ट्रांसपोर्ट के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपी को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से गिरफ्तार किया है. आरोपी ने रायपुर की एक रंगोली मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनी से 35 हजार रुपए की ठगी को अंजाम दिया है. आरोपी के पास से पुलिस ने 7 मोबाइल फोन, 2 एटीएम कार्ड और प्रेस का एक फर्जी आई कार्ड जब्त किया है.

ऐसे दिया ठगी को अंजाम

आरोपी आकाश राठौर ने न्यू महावीर ट्रांसपोर्ट की फर्जी आईडी बनाकर प्रार्थी को अपना शिकार बनाया है. पुलिस के मुताबिक, प्रार्थी बसंत निधि ने खमतराई थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. वह एक रंगोली की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनी की मैनेजर हैं. 28 जून 2021 से कंपनी सामान भेजने के लिए ट्रांसपोर्ट ढूंढ रही थी. नेट में सर्च करने पर एक ट्रांसपोर्ट मिला, जिसका नाम न्यू महावीर ट्रांसपोर्ट ऑल इंडिया था. जिसके बाद इंटरनेट पर उपलब्ध ट्रांसपोर्ट के नंबरों पर फोन किया गया और भाड़ा पूछा गया.

फर्जी प्रेस कार्ड बरामद

इस दौरान कंपनी को 30 टन के लिए 35 हजार रूपए भाड़ा बताया गया, जो कि दूसरे से कम था. यह माल कंपनी अपने ग्राहक को नेल्लोर, आंध्रप्रदेश भेज रही थी. ट्रांसपोर्ट ने अपनी कंपनी को अपना जीएसटी (GST) नंबर और गाड़ी नंबर दिया. जिसके बाद ठग ने पीड़ित से फोन करके 17 हजार रूपए एडवांस राशि जमा करने को कहा और कहा कि 1 जुलाई की सुबह कंपनी रायपुर के भनपुरी में अपनी गाड़ी लगाएगा. पीड़ित ने भरोसा करके आरोपी के बैंक खाते में 28 जून 2021 को 17 हजार भेज दिए.

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ठगी का शिकार शिकायतकर्ता 1 जुलाई को ट्रांसपोर्ट की गाड़ी का इंतजार करता रहा, लेकिन गाड़ी नहीं आई. इसके बाद आरोपी को फोन किया तो उसने पीड़ित को कहा की उसके पास गाड़ी नहीं है, वो किसी दूसरे ट्रांसपोर्ट से गाड़ी भेज देगा, जिसका नाम उसने रेवा लोजिस्टिक्स बताया. उसने साथ ही गाड़ी के ड्राइवर का मोबाइल नंबर दिया. शिकायतकर्ता ने जब ड्राइवर से बात की तो उसने कहा कि वह एडवांस भुगतान में काम करते हैं और उन्हें 18 हजार एडवांस देने होंगे. शिकायतकर्ता ने उससे गाड़ी की डिटेल मांगी और डिटेल आने के बाद ड्राइवर को 18 हजार भेज दिए, लेकिन इसके बाद भी वहां कोई गाड़ी नहीं आई. जिसके बाद इस ठगी की शिकायत पुलिस में दर्ज की गई.

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