देहरादून:देशभर में लोग जहां 5G की ओर कदम बढ़ा रहे हैं तो वहीं, उत्तराखंड में कुछ ऐसे गांव भी हैं जहां अभी तक मोबाइल फोन की 2G सेवा भी उपलब्ध नहीं हो पाई है. इसके चलते प्रदेश के ये गांव मोबाइल फोन से महरूम हैं. आखिर क्या है प्रदेश में नेटवर्क कनेक्टिविटी की स्थिति, कितने गांव ऐसे हैं जहां अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं मोबाइल टॉवर? देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल स्टोरी.
इसी साल आने वाला है 5G
आधुनिक युग में मोबाइल फोन लोगों के जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन गया है. लगभग हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन उपलब्ध है. देश के भीतर 4G का इस्तेमाल किया जा रहा है. जल्द ही 5G के आने की भी उम्मीद है. इससे ना सिर्फ इंटरनेट की कनेक्टिविटी बेहतर होगी, बल्कि मोबाइल फोन से बातचीत के दौरान आने वाली समस्या भी समाप्त हो जाएगी.
वर्तमान समय में मोबाइल फोन एक महत्वपूर्ण यंत्र हो गया है. मोबाइल फोन के माध्यम से लगभग सभी कार्य कर सकते हैं. जिसके लिए पहले डेस्कटॉप या फिर लैपटॉप की जरूरत होती थी अब मोबाइल वही काम रहे हैं. यहां तक कि मोबाइल फोन ने डिजिटल कैमरे की भी जगह ले ली है. लेकिन मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल कनेक्टिविटी की अहम भूमिका है. इसके ना होने से मोबाइल फोन किसी काम का नहीं रह जाता है. मोबाइल फोन से बातचीत करने या फिर इंटरनेट चलाने के लिए मोबाइल फोन में नेटवर्क होना बहुत आवश्यक है. बिना इसके ना ही आप फोन पर किसी से बातचीत कर सकेंगे ना ही इंटरनेट चला सकेंगे.
उत्तराखंड के 434 गांवों में नहीं है मोबाइल नेटवर्क
उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य की परिस्थितियां अन्य राज्यों से काफी भिन्न हैं. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में विकास करना, पहाड़ चढ़ने जितनी बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि उत्तराखंड गठन के बाद राज्य को जिस मुकाम पर पहुंचना चाहिए था वह मुकाम अभी तक हासिल नहीं कर पाया है. क्योंकि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए उस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को व्यवस्थित करना होता है. लेकिन प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अभी भी बहुत व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं हैं. इसी तरह प्रदेश के 434 गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है. जी हां, आज के इस आधुनिक युग में उत्तराखंड राज्य में ऐसे गांव हैं जहां के लोग मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं.