पूर्णिया: कहते हैं मेहनत और लगन सच्ची हो तो परिश्रम कभी खाली नहीं जाता. पूर्णिया के 15 साल के शुभम कुमार ने इस कहावत को सच साबित किया है. 9वीं क्लास के छात्र शुभम ने 3 किलो वजन लेकर उड़ सकने वाला ड्रोन बनाया है. दुर्गम पहाड़ हो या बर्फीली चोटी हर जगह यह सामान पहुंचा सकता है. अब शुभम भारतीय सेना की जरूरत को ध्यान में रखकर 10 किलोग्राम वजन लेकर उड़ने वाला ड्रोन बना रहे हैं.
हर जगह सामान पहुंचा सकता है शुभम का ड्रोन शहर के पॉलिटेक्निक स्थित विकास नगर इलाके में रहने वाले शुभम के इस इनोवेशन को खूब सराहा जा रहा है. शुभम अब तक 18 से भी अधिक ड्रोन बना चुके हैं. टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में दिलचस्पी ऐसी कि शुभम अपने डेली रूटीन का आधा से अधिक समय अपने इनोवेशन को निखारने और इससे जुड़ी किताबें पढ़ने में बिताते हैं.
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हर जगह सामान पहुंचा सकता है शुभम का ड्रोन दुर्गम चोटियों और पहाड़ों पर काम कर सकता है ड्रोन
अपने इनोवेशन को लेकर शुभम ने कहा "भारत में इस्तेमाल होने वाले आम ड्रोनों से यह अलग है. यह सेल्फ ऑटोमेटेड ड्रोन है. इसे बनाने का मकसद देश की सरहदों की रक्षा के लिए डटे जवानों को सहायता पहुंचाना है. दुर्गम चोटियों या पहाड़ों के साथ ही माइनस टेम्परेचर वाले क्षेत्रों में यह काम कर सकता है. यह सामान पहुंचाने के साथ आपात स्थिति में फंसे जवानों को मदद पहुंचाने के काम आ सकता है. 3 किलोग्राम की क्षमता वाले मालवाहक ड्रोन को डेवलप करने के बाद मैं 10 किलोग्राम क्षमता वाले ड्रोन पर काम कर रहा हूं. जल्द ही इसे डेवलप कर लूंगा. इसके बाद उसे इंडियन आर्मी को समर्पित करूंगा."
15 किलोमीटर तक काम करता है ड्रोन
शुभम कहते हैं कि 3 किलो वजन ढोने में सक्षम उनका सेल्फ ऑटोमेटेड मालवाहक ड्रोन ट्रैफिक, स्वास्थ्य, कृषि, सिक्युरिटी, प्रोडक्ट डिलीवरी जैसी अनेक सुविधाओं के लिए इस्तेमाल हो सकता है. ड्रोन अपने हाइली इनेवल्ड सेंसर, गूगल मैप और सेल्फ ऑटोमेटेड फीचर के जरिए 15 किलोमीटर के रेडियस में सुविधाएं पहुंचा सकता है.
शुभम बताते हैं कि बाजार में इस समय उनके ड्रोन की कीमत 30 हजार से 2 लाख तक है. जल्द वह कीमत को आधा कर लेंगे. इसे लेकर वे काम कर रहे हैं. शुभम की कामयाबी से गदगद उनके पिता अमित कुमार कहते हैं कि शुरुआत से ही शुभम अपने इनोवेटिव ड्रोन को लेकर काम कर रहा था. वह रात-रात भर जागकर काम करता था.