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गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में शेरों के आहार के लिए छोड़े जाएंगे 100 चीतल और 10 नील गाय

गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व (Guru Ghasidas Tiger Reserve) शेरों (Lion)के आहार (Food) के लिए 100 चीतल (100 cheetals) और 10 नील गाय (10 NilGai) छोड़े जाएंगे. वन विभाग (Forest department) ने सेंट्रल जू अथॉरिटी (Central Zoo Authority) से इसके लिए अनुमति (Permission) मांगी थी, जो कि विभाग को दे दी गई है.

Diet of lions in Guru Ghasidas Tiger Reserve
गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में शेरों के आहार

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Published : Nov 10, 2021, 9:05 PM IST

रायपुरः जंगल (Forest) में शेर (Lion) का होना उतना ही जरूरी होता है, जैसे किसी घर में उसके मालिक का होना. लेकिन शेर जंगल में है तो उसके लिए भोजन (Food) की व्यवस्था भी बेहद जरूरी है. शायद यही वजह है कि वन विभाग (Forest department) के अफसर जंगल के राजा शेर के लिए भोजन की व्यवस्था में जुट गए हैं. वन विभाग ने नंदनवन (Nandanwan) की शान 10 नीलगाय (10 NilGai) और 100 चीतल (100 cheetals) प्रस्तावित गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व (Guru Ghasidas Tiger Reserve) में छोड़े जाने का निर्णय लिया है. इसके लिए विभाग ने सेंट्रल जू अथॉरिटी (Central Zoo Authority) से अनुमति मांगी थी, जिसकी अनुमति विभाग को दे दी गई है. अब विभाग 1 माह के भीतर इन दोनों जानवरों को गुरु घासीदास नेशनल पार्क (Guru Ghasidas National Park) में छोड़ने की तैयारी में जुट गई है.

शेरों के आहार के लिए छोड़े जाएंगे 100 चीतल और 10 नील गाय

चीतल और नील गाय को छोड़ने बनेगी कमेटी

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दोनों जानवरों की गुरु घासीदास में छोड़ने के लिए वन मुख्यालय के निर्देश पर एक कमेटी का गठन किया जाएगा. इसके बाद कमेटी निर्णय लेगी कि आखिर चीतल और नील गाय को कब और कैसे शिफ्ट करना है. साथ ही इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि दोनों प्रजाति के एनिमल की शिफ्टिंग के दौरान उन्हें किसी प्रकार से नुकसान ना हो. सूत्रों की माने तो संभावना जताई जा रही है कि एक माह के भीतर ही कमेटी गठित कर इन जानवरों को टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया जाएगा.

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पहले इन्हें रखा जाएगा बाड़ा में

बता दें कि नील गाय और चीतल एक ऐसे वन्यजीव हैं, जो झुंड में रहना पसंद करते हैं. यदि इन वन्यजीवों को जंगल में अलग-अलग छोड़ा जाए तो इनमें हताशा की भावना घर कर सकती है. साथ ही अचानक से एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने पर यह परिस्थिति के अनुकूल नहीं ढल पाएंगे. ऐसी स्थिति में उनकी जान भी जा सकती है. विभागीय अफसरों की मानें तो इन वन्यजीवों को पहले बाड़ा में रखा जाएगा. जब ये वहां के माहौल में ढल जाएंगे उसके बाद 10-10 के झुंड में छोड़ दिया जाएगा.

इसलिए बाघों का निवाला हैं नील गाय और चीतल

चीतल और नील गाय बाघों के लिए आसान शिकार माना जाता है. साथ ही टाइगर रिजर्व का इलाका मध्यप्रदेश, यूपी और झारखंड से लगा हुआ है. ऐसे में वहां के जानवर भी विचरण करने के लिए टाइगर रिजर्व आते हैं.यदि उन्हें घासीदास टाइगर रिजर्व में शिकार बेहतर मिलक तो उनके यहां बसने की संभावना है.

सेंट्रल जू अथॉरिटी से मिल गया परमिशन

वन विभाग ने इस बारे में बताया कि नंदनवन जू में हमारे पास सरप्लस में चीतल और नील गाय है. ऐसे में हमने सेंट्रल जू अथॉरिटी से परमिशन लिया है. अब हम इन चीतलों को गुरुघासी दास नेशनल पार्क में शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है.

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