रायगढ़:जिले केबरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से महज 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर में बसा ग्राम पंचायत परधियापाली. जिसके आश्रित ग्राम भालूपानी में आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी सड़क निर्माण नहीं हो पाया है. इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण खेतों की मेड़ पर चलने को मजबूर हैं. सड़क न होने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
सारंगढ़ के इस गांव में आजादी के 74 साल बाद भी नहीं बनी सड़क ग्रामीणों के मुताबिक उन्हें इलाज के लिए अगर पास के उप स्वास्थ्य केंद्र जाना होता है, तो वह बड़ी मुश्किल से वहां तक पहुंच पाते हैं. बारिश के दिनों में यहां तालाब सा बन जाता है, जो ग्रामीणों की परेशानी का सबब है. यहां रहने वाले बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कतों का समाना करना पड़ता है.
बेसुध हैं जिम्मेदार!
ग्रामीण बताते हैं कि यहां घरों तक चार पहिया ले जाने की भी सुविधा नहीं है. आपातकाल में अगर एबुलेंस भी बुला लिया जाए, तो वह भालूपानी गांव तक नहीं पहुंच सकती. ग्रामीण कई बार अपनी इस मूलभूत परेशानी से जिम्मेदारों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी या नेता-मंत्री ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया.
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ग्रामीण कहते हैं कि वे लिखित में कई पहुंचविहीन गांव भालूपानी में सड़क निर्माण को लेकर शासन-प्रशासन के आला अधिकारियों को बता चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. अब तक भालूपानी मुख्यधारा से अलग है. न ही इस गांव को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिए जोड़ा गया है और न ही मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत. वे कहते हैं कि दूसरे गांव आने-जाने के लिए उन्हें भारी दिक्कत होती है.
ग्रामीणों की मांग है कि शासन-प्रशासन जल्द ही इस ओर ध्यान दें और सड़क निर्माण करें. जिससे यहां रहने वाले लोगों को सुविधा मिल सके.