रायगढ़:कोरोना काल में आए सभी त्योहार फीके पड़े हुए हैं. अब राखी आने वाली है, लेकिन इसी बीच प्रदेश में लॉकडाउन भी लग गया है. इसकी वजह से ना तो बहनों को अपने भाइयों के लिए नई राखियां मिल रही हैं और ना ही दुकानदारों की अच्छी बिक्री हो पा रही है.
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बहनों को नहीं मिल रही मनपसंद राखियां
भाई-बहन के बीच प्यार, विश्वास और सुरक्षा के अटूट बंधन का नाम है राखी. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधती हैं और बदले में भाई उनको खुशी, प्यार और सुरक्षा का वचन देते हैं. बरसों पुरानी इस परंपरा को कोरोना की नजर लग गई है और इस बार राखी का रंग फीका हो गया है. रंग-बिरंगी राखियों से सजने वाले बाजार की रौनक अब पहले की तरह नहीं रही. पिछले साल तक लगने वाले रंग-बिरंगी राखियों के स्टॉल अब मार्केट में नहीं लग रहे हैं. इस महामारी के कारण कुछेक स्टॉल में ही राखी दुकान सिमट गए हैं. कोरोना के खतरे के बीच भी बहनें अपने भाइयों के लिए राखी खरीदने पहुंच रही हैं. हालांकि उन्हें मायूसी ही मिल रही है, क्योंकि बहनें प्यार के साथ ही अपने भाई के लिए सबसे खूबसूरत राखी ढूंढती हैं, लेकिन लॉकडाउन लगने और बाजार बंद रहने के कारण बहनों को मनमुताबिक राखियां नहीं मिल रही हैं. ट्रांसपोर्टेशन ना होने की वजह से रंग-बिरंगी और डिजाइनर राखियां बाजार से पूरी तरह से गायब हैं.
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