रायगढ़:रायगढ़ के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आज तीसरा दिन है. महोत्सव के दूसरे दिन इंडोनेशिया से आए कलाकारों ने सीता हरण और राम रावण युद्ध की खास प्रस्तुति दी. पूरे प्रसंग को इंडोनेशियाई कलाकरों ने अपनी भावभंगिमा के माध्यम से रामायण के इस प्रसंग को इतना प्रभावी बना दिया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. कलाकारों की यह प्रस्तुति अद्भुत धुनों के साथ शुरू हुई.
बाली द्वीप पर भारतीय सभ्यता का प्रभाव: इंडोनेशिया के जावा द्वीप के काकवीन रामायण और बाली द्वीप के रामायण प्रमुख हैं. यह भट्टी कवि के काव्य से प्रेरित है.बाली द्वीप में भारतीय सभ्यता स्थानीय प्रभाव के साथ अक्षत हैं. विद्वान मानते हैं कि इस पर दक्षिण का प्रभाव ज्यादा है. इनकी भावमुद्रा दक्षिण के कत्थककली कलाकारों जैसी होती है. इसका जीता जागता उदाहरण महोत्सव के दूसरे दिन देखने को मिला.
संगीत के साथ दिखी खास प्रस्तुति:बात अगर संगीत की करें तो इंडोनेशियाई रामायण की प्रस्तुति में संगीत बेहद शानदार रहा. राम और सीताजी के बाद मंच पर हनुमान आए. इस प्रस्तुति में हनुमानजी की बड़ी भूमिका देखने को मिली. उनका मुकुट, उनकी वस्त्र सज्जा बताती है कि भारतीय समाज की तरह ही बाली का समाज भी प्रकृति का गहरा आदर करता है. हाथों की मुद्रा संगीत के साथ बदलती दिखी. यहां का संगीत बिल्कुल अलग और खास है. केवल संगीत के साथ ताल में भाव मुद्रा के माध्यम से राम कथा कही जा रही थी.