रायगढ़: छत्तीसगढ़ सरकार ने भले ही बसों के संचालन की अनुमति दे दी है, लेकिन बस संचालक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. यहीं वजह है कि ग्रामीण इलाकों में परिवहन सुविधा बहाल नहीं हो पाई है. बस संचालकों का कहना है कि इस साल का टैक्स माफ किया जाए और डीजल के बढ़े दामों को देखते हुए किराये में बढ़ोतरी की जाए. सिटी बस ऑपरेटरों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. वहीं दूसरी ओर अधिकारी भी यह मानते हैं कि यात्रियों की कमी है, जिससे बस संचालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
बस संचालकों का कहना है कि, सवारी नहीं मिलने के कारण बसें खड़ी हैं और बस ऑपरेटर कई तरह की छूट देने की मांग कर रहे हैं. शासन से अभी तक कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. बस संचालकों ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर परिवहन मंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
वेट टैक्स में राहत की मांग
बीते 5 महीने से बसों का संचालन बंद रहने के बाद अब भले ही शासन ने बसों के परिचालन की अनुमति प्रदान कर दी है, लेकिन बस ऑपरेटर अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. बस ऑपरेटरों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण वे विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं. कोरोना की वजह से सवारी नहीं मिल रही और डीजल के दाम भी काफी बढ़ गए हैं. ऐसे में बसों के संचालन से उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा. डीजल पर वेट टैक्स को कम कर राहत दी जानी चाहिए या किराये में कम से कम 40 फीसदी की बढ़ोतरी की जानी चाहिए.
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वहीं सिटी बस ऑपरेटरों ने भी बसों के संचालन से इनकार कर दिया है. दूसरी ओर परिवहन अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि कोरोना के डर से लोग यात्रा नहीं कर रहे हैं. सिटी बसों का संचालन शुरू किया गया था, जिसे सवारी नहीं मिलने पर बंद करना पड़ा था.