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Kharasiya Assembly Seat Profile : कांग्रेस के अभेद्य किले में सेंधमारी करने की रणनीति, बीजेपी का प्रत्याशी क्या बदल पाएगा इतिहास ? - विधानसभा

LIVE Kharsiya, Chhattisgarh, Vidhan Sabha Chunav, Assembly Elections Result 2023 News Updates छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं. आईए आपको बताते हैं खरसिया सीट का हाल

Kharasiya Assembly Seat Profile
कांग्रेस के अभेद्य किले में सेंधमारी करने की रणनीति

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 30, 2023, 8:50 PM IST

Updated : Dec 3, 2023, 11:16 AM IST

रायगढ़:छत्तीसगढ़ राज्य में 90 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन इन 90 विधानसभा सीटों में से कुछ सीटें ऐसी हैं. जिन्हें किसी भी पार्टी के लिए जीतना पहाड़ चढ़ने जैसा है. इन सीटों पर जिस दल या विधायक का कब्जा है,उसे हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है.लेकिन नतीजा नया नहीं होता.ऐसी ही एक हाईप्रोफाइल सीट है खरसिया.इस सीट पर पहले नंदकुमार पटेल चुनाव जीतते आए हैं.लेकिन उनके निधन के बाद उनकी विरासत को उनके बेटे उमेश पटेल ने संभाला.इस बार भी चुनाव में कांग्रेस ने उमेश पटेल को टिकट दिया है. जब से ये सीट अस्तित्व में आई है.तब से इस सीट से कांग्रेस अजेय ही रही है. आज तक कांग्रेस ने इस विधानसभा में हार का मुंह नहीं देखा.हाल ही में बीजेपी ने इस सीट से अपने प्रत्याशी का ऐलान किया है. बीजेपी को उम्मीद है कि अबकी बार खरसिया का रिकॉर्ड पार्टी जरुर तोड़ेगी.

महेश साहू खरसिया से प्रत्याशी :बीजेपी ने 21 विधानसभा के उम्मीदवारों की लिस्ट की घोषणा की थी. जिसमें खरसिया विधानसभा क्षेत्र के महेश साहू को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. महेश साहू बीजेपी के कर्मठ नेता हैं. पिछले 10 साल से साहू समाज की बागडोर महेश साहू के हाथों में है.सहज और सरल स्वभाव के कारण हर वर्ग के अंदर महेश साहू की पैठ देखी गई है.

क्या है महेश साहू की ताकत ? : इनका संबंध खरसिया के उद्योगपति, किराना व्यापारी, किसान यहां तक की समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति से भी है. जिससे खरसिया विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी को कमतर नहीं आंका जा सकता.मौजूदा समय में खरसिया में कांग्रेस के कई पदाधिकारी पार्टी से नाराज भी चल रहे हैं.यदि चुनाव में उनको साधा नहीं गया तो नतीजा कुछ भी हो सकता है.

खरसिया विधानसभा का इतिहास :खरसिया विधानसभा कांग्रेस के लिए अजेय सीट मानी जाती है. इस विधानसभा से अब तक कांग्रेस प्रत्याशी की हार नहीं हुई है. जब छत्तीसगढ़ की स्थापना नहीं हुई थी तब 1988 में यहां के विधायक लक्ष्मी पटेल को इस्तीफा दिलवाया गया और उपचुनाव हुए. जिसमें कांग्रेस ने अर्जुन सिंह और भारतीय जनता पार्टी ने दिलीप सिंह जूदेव को मैदान में उतरा था. उस समय दिलीप सिंह जुदेव बीजेपी के स्टार प्रचारक भी थे.लेकिन अर्जुन सिंह ने दिलीप सिंह जूदेव को हरा दिया.तब से लेकर 2018 के चुनाव तक ना जाने कितने प्रत्याशी कांग्रेस के सामने आए और गए लेकिन जीत नसीब नहीं हुई.

खरसिया में मतदाताओं की संख्या :खरसिया में कुल मतदाता की संख्या 215491 है, जिसमें से पुरुष मतदाता 107527 और महिला मतदाता 107959 हैं. इसके अलावा थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 5 है. खरसिया विधानसभा के जातीय समीकरण की बात करें तो कहने को तो यह सामान्य सीट है,लेकिन पिछड़ा वर्ग के वोटर्स का दबदबा है.इस विधानसभा में पिछले चुनाव में 86.78 फीसदी वोटिंग हुई थी.

खरसिया विधानसभा का समीकरण :आंकड़ों की बात करें तो इस विधानसभा में साहू, तेली समाज के लगभग 18 हजार वोटर हैं. अगरिया,पटेल समाज के 20 हजार वोटर, सर्व आदिवासी समाज 55 हजार वोटर और पिछड़ा वर्ग के 70 हजार वोटर हैं. वहीं सामान्य वर्ग से 30 हजार मतदाता आते हैं. खरसिया विधानसभा में कृषि और औद्योगिक क्षेत्र समावेश है. इलाके में खनिज भंडार भी है. यहां के किसान धान, गेहूं, सरसो, अरहर और सब्जियों का उत्पादन करते हैं.

2018 में चुनाव परिणाम :2018 के विधानसभा चुनाव में शहीद स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के बाद उनके पुत्र उमेश पटेल को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया. वहीं भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ओपी चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया था. 2018 के चुनाव में कड़ी टक्कर के बाद उमेश पटेल ने खरसिया विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की.खरसिया विधानसभा क्षेत्र में उमेश पटेल को हराने के लिए ओपी चौधरी ने काफी जोर लगाया.लेकिन मतदाताओं का मन नहीं बदल सके. खरसिया विधानसभा के 2018 चुनाव के परिणाम कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल को 94201 वोट मिले थे. वहीं भारतीय जनता पार्टी के ओपी चौधरी को 77234 वोट मिले थे. कांग्रेस के उम्मीदवार उमेश पटेल ने 16967 वोट से अपनी जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में कुल 12 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था

खरसिया विधानसभा सीट पर मुद्दे और समस्याएं :खरसिया विधानसभा क्षेत्र में मौजूदा समय में कांग्रेस के कामकाज को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. शहरी क्षेत्रों की जनता शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क-पानी की सुविधा को पहले से बेहतर बता रही है. लेकिन वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में नजरिया बदल जाता है.गांव में सड़क,साफ पानी, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग आज भी लोग कर रहे हैं. इसके साथ ही बेरोजगारी और रेल सुविधाओं में बढ़ोतरी को लेकर कई बार आवाज उठाई जा चुकी है.

Last Updated : Dec 3, 2023, 11:16 AM IST

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